केंद्र के अध्यादेश पर बोले राघव चड्ढा- 'ये सुप्रीम कोर्ट के आदेश और जनता के जनादेश की अवमानना'
दिल्ली में एलजी फिर से 'बॉस' बन गए हैं। केंद्र के अध्यादेश पर अब AAP सांसद राघव चड्ढा ने पलटवार किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार केजरीवाल सरकार को दे दिया था, लेकिन शुक्रवार रात को केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर दिया। इसके तहत नेशनल कैपिटल सिविल सर्विसेज अथॉरिटी गठित होगी। ऐसे में उपराज्यपाल के पास फिर से शक्तियां लौट आईं। इस पर अब आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने निशाना साधा है।
राघव ने ट्वीट कर लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की सांविधानिक पीठ के सर्व सहमति के फैसले को एक राजनीतिक ऑर्डिनेंस (अध्यादेश) लाकर पलटने का दुस्साहस केंद्र सरकार ने किया। ये ऑर्डिनेंस देश के संघीय ढांचे और चुनी सरकार की शक्तियों को तार-तार करता है। ये माननीय सुप्रीम कोर्ट और जनता के जनादेश - दोनों की अवमानना है।
वहीं दूसरी ओर AAP भी इसको लेकर केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमलावर है। मामले में दिल्ली की मंत्री आतिशा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वाला है मोदी सरकार का ये अध्यादेश, जो ताकत सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने चुनी हुई सरकार को दी, ये उसकी ताकत को गैर संवैधानिक तरीके से छीनने का प्रयास है।
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मतलब है- दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल को चुनकर भेजा है, तो 3 विषयों को (लैंड, लॉ एंड ऑर्डर, पुलिस) छोड़कर निर्णय लेने की ताकत मुख्यमंत्री के पास है। एलजी को राज्य सरकार के निर्णय को मानना चाहिए।
क्या
है
अध्यादेश
में?
अध्यादेश
के
मुताबिक
राष्ट्रीय
राजधानी
सिविल
सेवा
प्राधिकरण
का
गठन
होगा,
जिसके
पास
ट्रांसफर-पोस्टिंग
और
विजिलेंस
का
जिम्मा
होगा।
इसमें
दिल्ली
के
सीएम,
मुख्य
सचिव
और
गृह
सचिव
होंगे।
तीनों
में
बहुमत
के
हिसाब
से
फैसला
होगा।
इसके
बाद
अंतिम
फैसला
उपराज्यपाल
लेंगे।
अगर
आसान
भाषा
में
कहें
तो
अब
फिर
से
एलजी
दिल्ली
के
'बॉस'
हो
गए
हैं।
उनके
पास
ट्रांसफर-पोस्टिंग
का
अधिकार
आ
गया
है।
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