हाईवे पर शराब की दुकानों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के आदेश की 8 मुख्य बातें
हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकती है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि राष्ट्रीय राजमार्गों और स्टेट हाईवे से पांच सौ मीटर के दायरे में शराब की दुकानें नहीं होंगी। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है। याचिका में कोर्ट से निवेदन किया गया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हाईवे के किनारे शराब की बिक्री न हो।
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हर वर्ष सड़क दुर्घटनाओं में करीब डेढ़ लाख लोगों की मौत पर चिंता जताते हुए इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के किनारे शराब के ठेके बंद करने का आदेश दे सकती है। जानिए इस आदेश के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु-
1. नेशनल और स्टेट हाईवे के 500 मीटर के दायरे में शराब की ना देसी और ना अंग्रेजी शराब की दुकान होगी और ना ही उसकी बिक्री ही होगी।
2. जिनके पास लाइसेंस हैं वो खत्म होने तक या 31 मार्च 2017 तक जो पहले हो, तक इस तरह की दुकानें चल सकेंगी। यानी एक अप्रैल 2017 से हाईवे पर इस तरह की कोई भी दुकानें नहीं होंगी।
3. शराब की दुकानों के लाइसेंसों का नवीनीकरण नहीं होगा और नए लाइसेंस जारी नहीं किए जाएंगे।
4. सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में यह फैसला लागू होगा। इसके साथ ही राजमार्गों के किनारे लगे शराब के सारे विज्ञापन और साइन बोर्ड हटाए जाएंगे। राज्यों के मुख्य सचिव और डीजीपी सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कराने की निगरानी करेंगे।
5. चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को कड़ी फटकार लगाई। पंजाब सरकार की दलील थी कि अगर राजमार्ग एलिवेटेड हों तो उसके नीचे या करीब शराब के ठेके खोलने की इजाजत दी जाए।
6. पीठ ने राज्यों द्वारा राजमार्गों के बगल से ठेके हटाने के काम में बरती जा रही उदासीनता पर भी नाराजगी जताई।
7. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार की भी खिंचाई की। पीठ ने कहा कि भारत सरकार अब कह रही है कि राष्ट्रीय और राज्य राज्यमार्गों के किनारे शराब के ठेके को हटा दिया जाना चाहिए। पिछले 10 वर्षों में कुछ नहीं हुआ, लिहाजा हमें दखल देना पड़ा।
8. सुनवाई के दौरान यह भी दलील दी गई कि लोगों को शराब खरीदने के लिए दूर जाना पड़ता है। इस पर कोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि तो आप शराब की 'होम डिलीवरी करा दीजिए।