केदारनाथ 5 साल: जब IAF का हेलीकॉप्टर हो गया क्रैश, लोगों की जिंदगियां बचाने वाले 20 हीरो हो गए शहीद
उत्तराखंड के केदारनाथ में सेना और वायुसेना राहत कार्यो को अंजाम दे रही थीं। मुश्किल हालातों में भी हर सैनिक जान की बाजी लगाकर फंसे हुए लोगों की जान बचा रहा था। लेकिन 25 जून को एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सबकी आंखें नम कर दी।
देहरादून। उत्तराखंड के केदारनाथ में सेना और वायुसेना राहत कार्यो को अंजाम दे रही थीं। मुश्किल हालातों में भी हर सैनिक जान की बाजी लगाकर फंसे हुए लोगों की जान बचा रहा था। लेकिन 25 जून को एक ऐसा हादसा हुआ जिसने सबकी आंखें नम कर दी। केदारनाथ में राहत कार्यों में लगा इंडियन एयरफोर्स का हेलीकॉप्टर एमआई-17 क्रैश हो गया। इस दुर्घटना में 20 लोग शहीद हो गए। आपको बता दें कि केदारनाथ बाढ़ के बाद सेना और वायुसेना की ओर से आजादी के बाद का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया था। 16 जून को जब बाढ़ आई तो इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) की वेस्टर्न एयर कमांड से मदद मांगी गई। 17 जून को ऑपरेशन राहत लॉन्च हुआ।
गौरीकुंड से लौट रहा था वापस
गौरीकुंड से रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा करके एयरफोर्स का एमआई-17 वापस लौट रहा था और उसी समय यह क्रैश हो गया। जो हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ उसमें 19 लोग सवार थे और इनमें से सभी की मौत हो गई थी। पहले इस हादसे में मरने वालों की संख्या आठ बतायी जा रही थी। इस हेलीकॉप्टर में पांच एयरफोर्स ऑफिसर, नौ एनडीआरएफ और छह आईटीबीपी के जवान सवार थे। उस समय एनएके ब्राउन एयरफोर्स चीफ थे और उन्होंने इस हादसे पर गहरा दुख व्यक्त किया था।
पहाड़ी से टकरा गए थे ब्लेड्स
यह हेलीकॉप्टर बद्रीनाथ से लौट रहा था और गौरीकुंड में हादसे का शिकार हो गया था। एनएके ब्राउन ने बताया था कि हादसे के समय 10 मिनट के अंतराल में तीन हेलीकॉप्टर रवाना हुए थे। एक हेलीकॉप्टर 10 मिनट पहले ही रवाना हो चुका था और बाकी दो ने 10 मिनट बाद उड़ान भरी थी। हेलीकॉप्टर जिस समय क्रैश हुआ उस समय दोपहर के दो बजे थे लेकिन आसमान में काले बादल छाए थे। जिस समय हेलीकॉप्टर वापस आ रहा था इसके ब्लेड्स एक पहाड़ी से टकरा गए थे।
हर किसी को आज तक है गर्व
पूर्व एयरचीफ ने हादसे के बाद कहा कि इस रेस्क्यू ऑपरेशन में लगा हर सैनिक गर्व की अनुभूति कर रहा है। उस समय ब्राउन ने न सिर्फ एयरफोर्स बल्कि सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ की भी सराहना की थी। इस हादसे में एयरफोर्स ने अपने यंग पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेट के प्रवीण को भी गंवा दिया था। दुख की बात यह थी कि सुबह रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए निकलते समय उन्होंने अपनी मां से शाम को बात करने को कहा था। लेकिन उनकी मां का इंतजार जिंदगी भर के इंतजार में बदलकर रह गया।