5 वजहें जो साबित करती हैं कि विंग कमांडर की रिहाई इमरान खान का 'पीस जेस्चर' नहीं है
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के खिलाफ जिस तरह से एयर स्ट्राइक की और बड़ी संख्या में जैश के कमांडरों और आतंकियों को ढेर किया उसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारतीय एयर स्पेस का उल्लंघन किया। पाक वायुसेना की इस हिमाकत का भारतीय वायुसेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। भारत की ओर से इस जवाबी कार्रवाई में विंग कमांडर अभिनंनदन ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने विंटेज एयरक्राफ्ट मिग-21 से पाकिस्तान के आधुनिक एफ-16 को मार गिराया। लेकिन इस दौरान विंग कमांडर अभिनंदन का एयरक्राफ्ट एलओसी पार चला गया और उनका एयरक्राफ्ट क्रैश हो गया। जिसके बाद विंग कमांडर को पाकिस्तान की सीमा में पैराशूट के जरिए आपात लैंडिंग करनी पड़ी। जहां उन्हे पाक कि सेना ने बंदी बना लिया। बंदी बनाए जाने के बाद जिस तरह से विंग कमांडर का खून से सना चेहरा सोशल मीडिया पर सामने आया उसके बाद भारत की ओर से विंग कमांडर को वापस किए जाने की मांग उठने लगी। तमाम दबाव के बीच 28 फरवरी को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कहते हुए विंग कमांडर को 1 मार्च को रिहा किए जाने का ऐलान किया कि पाकिस्तान की ओर से यह 'पीस जेस्चर' है, यानि शांति की अपील के तहत विंग कमांडर को रिहा किया जा रहा है। इमरान खान के ऐलान के बाद से ही तमाम लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह वाकई पाकिस्तान की ओर से शांति की पहल है। आइए डालते हैं तमाम घटनाक्रम पर कि क्या वाकई इमरान खान की ओर से यह पीस जेस्चर था।
भारत ने पहले ही दो टूक चेतावनी दी
पाकिस्तान के डिफेंस प्रवक्ता की ओर 26 फरवरी को भारतीय एयरक्राफ्ट को मार गिराने और पायलट को बंदी बनाए जाने को लेकर एक के बाद एक कई भ्रामक ट्वीट किए गए। लेकिन भारत सरकार ने इन तमाम ट्वीट पर शांति बनाए रखी। हालांकि इस बात को स्वीकार किया कि उनका एक पायलट लापता है, लेकिन यह स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह पाकिस्तान की सेना के कब्जे में हैं। लेकिन शाम को पाकिस्तान की ओर से जब आधिकारिक रूप से कहा गया कि हमारे पास भारतीय वायुसेना के पायलट हैं। इसके बाद भारत ने पाक को दो टूक कहा था कि हमारे पायलट को वापस किया जाए, अगर उन्हें कुछ भी होता है तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। साथ ही विंग कमांडर के साथ हुए बर्ताव पर भी भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
अमेरिका सहित कई देशों का था दबाव
जिस तरह से भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी तरह की नरमी बरतने से इनकार किया और लगातार सख्त रुख अपनाए रखा, उसके बाद पाकिस्तान पर दबाव था वह विंग कमांडर को रिहा करे। भारत ने लगातार पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव बनाना जारी रखा, इसी के तहत ना सिर्फ अमेरिका बल्कि तमाम देशों की ओर से भारत को समर्थन मिला। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह से इमरान खान के ऐलान से तकरीबन चार घंटे पहले यह ऐलान किया कि भारत-पाकिस्तान को लेकर अच्छी खबर आ सकती है। उसके बाद साफ हो गया था कि भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच विंग कमांडर की रिहाई को लेकर फैसला लिया जा चुका था। ट्रंप के बयान के बाद इमरान खान का यह दावा करना कि यह शांति की पहल के तहत किया जा रहा है, उसकी कलई खुल थी।
तीनों ही सेना प्रमुखों की पीसी से ठीक पहले ऐलान
विंग कमांडर की रिहाई के लिए भारत ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाक पर दबाव बना रहा था बल्कि देश देश में लगातार ऐसे फैसले लिए जा रहे थे जिससे कि पाक पर दबाव को और बढ़ाया जाए। इमरान खान के ऐलान से कहीं पहले ही भारत ने आक्रामक तेवर दिखा दिए थे। सेना के तीनो विंग की ओर से प्रेस कॉफ्रेंस का ऐलान कर दिया गया था। गौर करने वाली बात यह है कि कारगिल के युद्ध के बाद यह पहली बार था जब सेना के तीनों ही विंग की ओर से साझा प्रेंस कॉन्फ्रेंस का ऐलान किया गया था। जिसके बाद साफ था कि अगर विंग कमांडर को रिहा नहीं किया जाता है तो भारत पाकिस्तान के खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाने के लिए तैयार था। हालांकि इमरान खान ने जब खुद ही अभिनंदन की रिहाई का ऐलान कर दिया, जिसके सेना के तीनों विंग की प्रेस कॉन्फ्रेंस को दो घंटे के लिए आगे बढ़ दिया गया।
पाकिस्तान की ओर से उकसाऊ कदम
एक तरफ जहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत और पाक के बीच शांति बहाल किए जाने की अपील कर रहे थे तो दूसरी तरफ जिस तरह से पाकिस्तान की ओर से एफ-16 लड़ाकू विमान का इस्तेमाल भारतीय एयरस्पेस में किया गया, उससे साफ था कि पाक भारत पर हमले की तैयारी से ही आया था। पाकिस्तान ने ना सिर्फ एफ-16 का इस्तेमाल किया बल्कि तकरीबन 10 से अधिक लड़ाकू विमानों का भी इस्तेमाल भारत के रक्षा स्थल पर हमला के लिए किया गया। जिसकी पुष्टि खुद भारतीय सेना की ओर से की गई। यही नहीं भारतीय एयरस्पेस के उल्लंघन के बाद पाकिस्तान ने एलओसी पर 26 फरवरी के बाद 50 से अधिक बार सीज फायर का उल्लंघन किया था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि पाकिस्तान को एफ-16 विमान अमेरिका ने इस शर्त पर दिया था कि इसका इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के खिलाफ किया जाएगा। हालांकि पाकिस्तान ने दावा किया था कि उसने एफ-16 का इस्तेमाल नहीं किया था, लेकिन सेना की तीनों ही विंग ने अपनी साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबूत के साथ पाक के दावे की पोल खोल दी थी। ऐसे में पाक की ओर से उठाए
पुलवामा आतंकी हमला
इन तमाम वजहों के अलावा जम्मू कश्मीर के पुलवामा में जिस तरह से सीआरपीएफ के काफिले पर फिदायीन हमला किया गया और उसमे 40 जवान शहीद हो गए उसके बाद भारत ने इस हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने का पुख्ता सबूत पेश किए थे। ना सिर्फ भारत ने बल्कि खुद पाक स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जिम्मेदारी खुले तौर पर ली थी। यही नहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुद सीएनएन को दिए गए साक्षात्कार में यह कबूल किया है कि जैश का मुखिया मसूद अजहर पाकिस्तान में ही है और वह बीमार है।
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