जीत चुकीं हैं कई मैडल लेकिन फिर भी चाय बेचने को मजबूर, पढ़ें एक पदक विजेता की कहानी
नई दिल्लीः खेलों में मेडल जिताने वाले खिलाड़ी अपने राज्य, देश का नाम रोशन करते हैं। मेडल जिताने के कुछ दिन बाद तो विजेता का नाम हर किसी की जुबान पर होता है लेकिन कुछ समय बाद उसे सब भूल जाते हैं। एक ऐसी ही कहानी है तमिलनाडु की रहने वाली कलईमनि की, कलईमानि अभी तक राज्य स्तर पर चार गोल्ड मैडल जीत चुकी हैं, साथ ही उन्हें कई अवॉर्ड भी मिले हैं।
कलईमानि की उम्र 45 साल है और अब चाय बेचने को मजबूर हैं। एक अंग्रेजी न्यूज पेपर से बातचीत में कलईमनि ने कहा कि वो अपने परिवार को पालने के लिए चाय की स्टॉल चलाती हैं। कलईमनि के चेहरे की किसी तरह का कोई दुख-दर्द नहीं दिखा, वो अपनी जिंदगी में खुश रहती हैं।
कलईमानि के लिए उम्र आज भी बाधा नहीं है, वो 45 साल की उम्र में भी हर रविवार को 21 किलोमीटर दौड़ती हैं। उनका अगला लक्ष्य 41 किमी मैराथन में भाग लेने का है। उन्होंने कहा कि 'मास्टर ऐथलेटिक चैंपियनशिप में भाग में लेने के लिए कोई भी अप्लाई कर सकता है चाहे उसकी उम्र 100 साल क्यों न हो. बस आपको इसके लिए खुद को फिट और स्वस्थ रखना है।'
कलईमानि आर्थिक दिक्कतों का सामना कर रही हैं। उनकी मदद के लिए कोई भी सामने नहीं आ रहा है फिर भी हिम्मत कम नहीं हुई है। उनका 45 साल की उम्र में 21 किलोमीटर की मैराथन में भाग लेना उनकी मेहनत को दर्शाता है।
साल 2017 में उन्होंने स्टेट लेवल ऐथलेटिक मीट में तीन गोल्ड मेडल जीते। इससे पहले भी वो कई बार मैडल जीतती रही हैं। कलईमनि के दोनों बेटे है और दोनों ही स्कूल वैन ड्राइवर हैं, और उनकी एक बेटी है जो बीएससी की पढ़ाई कर रही है।
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