हैदराबाद। सभी माता-पिता को अपने बच्चे के पैदा होने का जश्न मनाने का मौका नहीं मिलता है। इस साल अप्रैल के महीने में के.शिवा और उनकी पत्नी साईं प्रिया एक बेटी के माता-पिता बने हैं और उसके जन्म पर इन दोनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दोनों ने अपने सभी परिवार वालों को ये खुशखबरी सुनाई। बच्ची का जन्म प्रीमैच्योर था और सात महीने में ही कुछ मुश्किलों के चलते उसे गर्भ से बाहर निकाला गया था। जन्म के तुरंत बाद ही पीडियाट्रिशियन ने बच्ची को वेंटिलेटर पर रख दिया, अब महीनों बाद भी शिवा और प्रिया की वो नवजात बच्ची हैदराबाद के लिटल स्टार चिल्ड्रन अस्पताल में भर्ती है।
प्रिया को सेहत संबंधित दिक्कतें
बच्ची के जन्म से पहले ही साई प्रिया को सेहत संबंधित दिक्कतें होने लगी थीं, उसकी सेहत ठीक नहीं रहती थी। एक रात उसे सांस लेने में बहुत दिक्कत हो रही थी, तब एयरसेल का एक कर्मचारी उसे तुरंत अस्पताल ले गया। डॉक्टरों ने सी-सेक्शन सर्जरी द्वारा उसके गर्भस्थ शिशु को बाहर निकालने के लिए कहा और ये चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा नहीं करते हैं तो मां और बच्चे दोनों की जान को खतरा हो सकता है। बच्ची के जन्म के बाद ऑपरेशन के ज़ख़्म तो प्रिया के शरीर से भर गए, अगले दो हफ्तों में वो पूरी तरह से ठीक भी हो गई लेकिन उसे अपनी बच्ची की चिंता खाये जा रही है।
आर्थिक मदद की जरूरत
वो अब तक बच्ची को अपना दूध तक नहीं पिला पायी है। वहीं उस नन्ही सी जान को छोटी बड़ी ट्यूब और सुईंयों की मदद से वेंटिलेटर पर रखा गया है। वो बहुत कमज़ोर है और जब भी उसे कोई छूता है तो रो पड़ती है। दिन गुज़रने के साथ अस्पताल का खर्चा बढ़ता जा रहा है। प्रिया और शिवा को अब चिंता सताने लगी है कि उनकी नन्ही सी जान की सेहत ठीक बेहतर होने का नाम नहीं ले रही है, मगर इसकी वजह से उनकी आर्थिक स्थिति ज़रूर बिगड़ती जा रही है।
बेहाल मां-बाप, कीजिए मदद
पिता शिवा की नौकरी भी जा चुकी है
अस्पताल के चक्कर लगाने में शिवा की नौकरी भी जा चुकी है और अब वो बस 15 हज़ार रुपए महीना ही कमाता है। उसके परिवार की ज़रूरतों के लिए ये पैसा पर्याप्त है लेकिन अपनी बेटी के इलाज के लिए उसे फंड की जरूरत है। शिवा का कहना है कि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसे कभी इस तरह अचानक, इतने पैसों की जरूरत पड़ जाएगी। अपनी बच्ची के इलाज के लिए शिवा पहले ही अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे उधार ले चुका है। मई में अस्पताल वालों ने 4.5 लाख रुपए का बिल थमा दिया था और इसके लिए शिवा को सोने के गहने तक बेचने पड़े थे। अपनी संपत्ति के जाने का गम ना तो शिवा को है और ना ही प्रिया को। उन्हें तो बस अपनी बच्ची को घर ले जाने की जल्दी है।
बस बेटी को जिंदा देखना चाहते हैं मां-बाप
बेटी को इलाज के लिए चाहिए 8 लाख
बच्ची को पूरी तरह से ठीक होने में तकरीबन 8 लाख का खर्चा आएगा। शिवा और प्रिया के लिए ये बहुत मुश्किल समय है। उनके पास बच्ची के इलाज के लिए पैसों का इंतज़ाम करने का कोई रास्ता नहीं है। उनके लिए 8 लाख रुपए जितनी बड़ी रकम जुटा पाना बहुत मुश्किल है। अगर आप शिवा और प्रिया की उनकी बेटी लौटना चाहते हैं और उसके इलाज के लिए मदद करना चाहते हैं तो आप फेसबुक या व्हॉट्सऐप पर उनके लिए अनुदान संचय कर सकते हैं।