बिहार सीट समझौता: नीतीश कुमार हुए राजी, अब पासवान की डिमांड ने उड़ाए बीजेपी के होश
बिहार सीट समझौता: नीतीश कुमार हुए राजी, अब पासवान की डिमांड ने उड़ाए बीजेपी के होश शॉर्ट हेडलाइन
नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव के लिए नीतीश कुमार और बीजेपी के बीच समझौता हो गया है। सूत्रों के मुताबिक, जदयू और बीजेपी के बीच हुई बातचीत के आधार पर जो डील तय हुई है, उसके मुताबिक, बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से बीजेपी 17, जदयू 16, राम विलास पासवान की पार्टी लोजपा को 5 और उपेद्र कुशवाहा की रालोसपा को दो सीटें देने पर सहमति बनी है। बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए में काफी समय से उथल-पुथल मची हुई है। नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच डील फाइनल होने की यह खबर सोमवार रात जब मीडिया में आई तो ऐसा लगा कि बात बन गई, लेकिन एनडीए में उठा-पटक खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। महीनों की जद्दोजहद के बाद नीतीश कुमार राजी हुए तो राम विलास पासवान ने बागी तेवर अपना लिए हैं। पासवान की पार्टी अब बिहार ही नहीं, बल्कि झारखंड और यूपी में भी सीटें मांग रही है।
पशुपति कुमार पारस का दावा- नहीं हुई सीट बंटवारे पर कोई बात
नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच समझौते की खबर के सामने आते ही राम विलास पासवान की पार्टी ने आगी तेवर अपना लिए हैं। एलजेपी ने दोटूक कह दिया है कि उन्हें 7 सीट से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। एलजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और पशुपालन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने मंगलवार को कहा कि 7 सीटों से कम पर उनकी पार्टी किसी भी सूरत में चुनाव नहीं लड़ेगी। पशुपति कुमार पारस के बयान से सीट शेयरिंग समझौते की खबर पर भी सवाल उठ रहे हैं। इधर खबर आ रही है कि बीजेपी और जदयू के बीच डील सील हो चुकी है और उधर पशुपति कुमार पारस दावा कर रहे हैं कि अभी सीट बंटवारे पर कोई बातचीत नहीं हुई है।
रालोसपा प्रदेश अध्यक्ष बोले- एनडीए में बनी रहेगी पार्टी
वहीं, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा ने भी यह दावा किया है कि सीट बंटवारे को लेकर अब तक घटक दलों की बैठक नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि सीटों को लेकर जो भी दावे सामने आ रहे हैं, उनमें दम नहीं है। हालांकि, भगवान सिंह कुशवाहा ने इतना जरूर कहा कि उन्हें चाहे दो सीटें मिलें या चार, लेकिन उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी।
मतलब नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच ही हुई बातचीत
लोजपा और रालोसपा नेताओं के बयान से स्पष्ट है कि बिहार में 2019 लोकसभा चुनाव के लिए जो सीट बंटवारे पर बात चल रही है, उसमें अब तक सभी सहयोगी दलों की बैठक नहीं हुई है। मतलब बातचीत सिर्फ नीतीश कुमार और अमित शाह के बीच ही चल रही है। एनडीए के भीतर चाहे जो भी चल रहा हो, लेकिन पासवान की पार्टी तेवर से साफ है कि सीट बंटवारे को लेकर चल रही माथापच्ची इतनी आसानी से हल नहीं होने वाली। वैसे सीट बंटवारे में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार ही थे, जिन्हें मनाने में अमित शाह सफल हो गए हैं। हालांकि, बीजेपी को इसके लिए कई सीटें छोड़नी पड़ी हैं। संभव है कि अगर पासवान जिद पर अड़े रहे तो एक-एक सीट बीजेपी और जेडीयू को और छोड़नी पड़ सकती है।