2008 मालेगांव ब्लास्ट केस: पुरोहित की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित किया आदेश
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मालेगांव विस्फोटों के कर्नल श्रीकांत पुरोहित के जमानत याचिका पर गुरुवार को आदेश सुरक्षित रख लिया। इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से सूचना दी गई थी कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी NIA0 कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत का विरोध कर रहा है और तर्क दिया कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखा जाना चाहिए। बता दें कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर आतंक और हत्या के साजिश का आरोप लगाया गया था। वो पहले सैन्य अधिकारी हैं, जिसके खिलाफ आतंकी कृत्य के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया था, जिसने राष्ट्र के विश्वास को हिलाकर रख दिया था।
एक मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीयन ब्राह्मण परिवार से आने वाले पुरोहित एक बैंक ऑफिसर के बेटे हैं। पुणे में जन्मे, पुरोहित ने अभिनव विद्यालय और गरवारे कॉलेज से अपनी शिक्षा प्राप्त की है। वो जम्मू और कश्मीर में कई महत्वपूर्ण आतंकवाद-विरोधी अभियानों का हिस्सा थे। साल 2002 और साल 2005 के बीच वो एमआई -25 या खुफिया क्षेत्र सुरक्षा इकाई के भाग के रूप में कार्यरत थे। एमआई -25 को सीमा पर दुश्मन को देखकर काम सौंपा गया है। यह आरोप लगाया गया कि पुरोहित एक रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय के संपर्क में आए, जब वो महाराष्ट्र में नाशिक के निकट देवलाली में एक संपर्क इकाई अधिकारी के रूप में तैनात किया गया।
60 किलो RDX चोरी करने का आरोप
बाद में उन पर सेना से 60 किलो आरडीएक्स चोरी करने का आरोप लगाया गया था, इनमें से कुछ मालेगांव विस्फोट में कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया था। उन पर अभिनव भारत जैसे हिंदू उग्रवादी समूहों को धन और प्रशिक्षण देने का आरोप लगाया गया था। माना गया था कि मालेगांव विस्फोट की योजना इसी संगठन ने बनाई और फिर विस्फोट किया।
मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर, 2008 को हुआ, जिसमं छह लोग मारे गए और कई लोग घायल हो गए। शुक्रवार की नमाज के बाद एक मस्जिद में एक मोटरसाइकिल पर बम विस्फोट हुआ था। पुरोहित की गिरफ्तारी के तुरंत बाद सेना ने एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया जिससे बाद में पुरोहित को सेवा से बर्खास्त करने की सिफारिश की गई। हालांकि, कुछ महीनों बाद पुरोहित ने आरोप लगाया कि सैन्य खुफिया अधिकारियों ने उन्हें प्रताड़ित किया।