इसरो के लॉन्च की 10 बड़ी बातें, जानिए कैसे पाकिस्तान के लिए बनेगा बड़ी मुसीबत
Recommended Video
श्रीहरिकोटा। इसरो ने आज अपना 100वां सैटेलाइट सफलतापूर्वक लांन्च कर दिया है, इसके लिए इसरो ने अपनी तैयारियां पहले ही पूरी कर ली थी। 100 वें सैटेलाइट के साथ ही इसरो आज श्रीहरिकोट के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 30 अन्य सैटेलाइट को भी लॉन्च किया। इस वर्ष यह इसरो का पहले सैटेलाइट लॉन्च हुआ है, जिसका काउंटडाउन गुरुवार को सुबह 5.29 बजे ही शुरु हो गया था। यह लॉन्च 2 घंटे से भी अधिक समय तक चलेगा। यह सैटेलाइट बेहद सटीक और गुणवत्तापूर्ण तस्वीरें भेजने में कारगर साबित होगा, जिसकी मदद से भारत सीमा पर होने वाली हरकतों पर भी पैनी नजर रख सकता है।
सफल रहा है शुरुआती चरण
इसरो ने अपने कॉर्टोसैट-2 सीरीज के 100वें सैटेलाइट को सतीश धवन स्पेस सेंटर से सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। लॉन्च के बाद इसका पेलोड फेयरिंग सफल रहा है। तीसरे और चौथे चरण में भी इंजिन शुरू हो गया और यह सफलतापूर्व आगे बढ़ रहा है।
कई
देशों
के
सैटेलाइट
इसरो
ने
आज
पीएसएलवी
लॉन्चपैड
से
31
सैटेलाइट
को
लॉन्च
किया
है,
जिसमे
2
सैटेलाइट
भारत
के
व
28
सैटेलाइट
अन्य
देशों
के
हैं।
यह
सैटेलाइट
छह
देशों
के
हैं,
जिसमे
कनाडा,
अमेरिका,
फ्रांस,
फिनलैंड,
कोरिया
और
यूके
शामिल
हैं।
दो ऑर्बिट में लॉन्च
यह लॉन्च 2 घंटे 21 मिनट तक चलेगा जोकि अब तक का सबसे लंबा लॉन्च है। वैज्ञानिकों के इस लॉन्च से पहले कहा कि यह अपने आप में काफी खास है क्योंकि इसे दो ऑर्बिट से लॉन्च किया जाएगा। 30 सैटेलाइट को 550 किलोमीटर की जबकि एक सैटेलाइट को 359 किलोमीटर की रफ्तार से अंतरिक्ष में भेजा गया है।
मल्टिपल
बर्न
तकनीक
से
लॉन्च
इस
लॉन्च
को
मल्टिपल
बर्न
तकनीक
के
जरिए
किया
गया
है,
इसके
तहत
रॉकेट
के
इंजन
को
बंद
कर
दिया
जाता
है,
फिर
से
ऑन
करने
के
बाद
इसकी
उंचाई
को
कंट्रोल
किया
जाता
है।
सैटेलाइट
को
दो
अलग
ऑर्बिट
में
स्थापित
करने
की
पूरी
प्रक्रिया
में
2
घंटे
21
मिनट
का
समय
लगेगा।
इसकी
शुरुआत
गुरुवार
को
सुबह
5.29
बजे
कर
दी
गई
थी।
पाकिस्तान की बढ़ेगी मुश्किल
यह एक अर्थ इमेजिंग उपग्रह है, जोकि सीमा पर नजर रखने में मदद करेगा, इसके जरिए काफी बेहतर क्वालिटी की तस्वीर मिलेगी। इस सैटैलाइट में मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे लगे हैं जोकि सटीक मैप बनाने में काफी उपयोगी साबित होंगे। ऐसे में अगर भारत इस मिशन में सफल होता है तो सीमा पर काफी बेहतर गुणवत्ता की तस्वीरें भारत को मिलेगी, जिससे पाकिस्तान की नापाक हरकतों का भी पर्दाफाश होगा।
पीएसएलवी
से
लॉन्च
किया
गया
710
किलोग्राम
की
इन
सैटेलाइट
को
पीएसएलवी
के
वेहिकल
से
लॉन्च
किया
गया
है,
जोकि
कॉर्टोसैट
सीरीजी
2
का
तीसरा
लॉन्च
है।
इस
सीरीज
के
जरिए
आखिरी
लॉन्च
जून
2016
में
किया
गया
था
जोकि
सफल
रहा
था।
पिछली बार फेल हुआ था मिशन
पिछली बार जब इसरो का सैटेलाइट लॉन्च फेल हुआ था, उसके बाद इसरो ने कहा था कि एक बहुत ही सैटेलाइट का बहुत छोटा सा पार्ट फेल हुआ था, लेकिन वह काफी अहम था। जिसकी वजह से इसकी प्रोटेक्टिव हीट शील्ड अलग नहीं हो सकी थी।
31
अगस्त
को
लगा
था
झटका
प्रक्षेपण
के
बाद
इन
सैटेलाइट
को
पृथ्वी
की
ऊपरी
कक्षा
में
तैनात
किया
जाएगा।
इससे
पहले
31
अगस्त
को
पीएसएलवी
सी39
का
इसरो
का
मिशन
फेल
हो
गया
था।
यह
मिशन
सैटेलाइट
की
हीट
शील्ड
के
फेल
होने
की
वजह
से
विफल
हो
गया
था।
क्या है हीट शील्ड
आपको बता दें कि हीट शील्ड सैटेलाइट की उसके घर्षण द्वारा जो गर्मी निकलती है, उससे बचाता है। यह गर्मी लॉन्च के बाद हवा में जो घर्षण होता है इसकी वजह से होती, इसी गर्मी से हीट शील्ड सैटेलाइट को बचाता है, जिसके फेल होने की वजह से इसरो का पिछले लॉन्च फेल हो गया था।
15
मंजिला
इमारत
जिनता
बड़ा
इसरो
का
पीएसएलवी
रॉकेट
का
वजन
तकरीबन
320
टन
है
और
यह
तकरीबन
44.4
मीटर
की
जगह
पर
खड़ा
होता
है।
इसकी
उंचाई
और
आकार
का
अंदाजा
इस
बात
से
लगाया
जा
सकता
है
कि
यह
15
मंजिला
इमारत
जितना
बड़ा
होता
है।