उदयपुर चिंतन शिविर में लिए गए संकल्पों पर क्या अमल करेगी हिमाचल कांग्रेस?
शिमला, 28 मई। राजस्थान के उदयपुर में संपन्न कांग्रेस के चिंतन शिविर में पास प्रस्तावों को लेकर कांग्रेस में जहां बड़े पैमाने पर अमल करते हुये पार्टी में बदलाव लाने की बात कही जा रही है। लेकिन लगता है कि हिमाचल कांग्रेस उदयपुर संकल्प को अमली जामा पहनाने को तैयार नहीं है। यही वजह है कि अब कांग्रेसी भी अंदरखाने मानने लगे हैं कि यही हाल रहा तो चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की ओर से हिमाचल के बारे में की गई भविष्यवाणी सच साबित हो सकती है। चुनावी दहलीज पर कांग्रेस आलाकमान की ओर से बडे जोर शोर से प्रदेश कांग्रेस में नई जान फूंकने की बात कही गई थी। जिसके चलते प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर प्रतिभा सिंह की ताजपोशी की गई और उनके साथ चार कार्यकारी अध्यक्ष तैनात किये गये ताकि गुटबाजी को हवा न मिले और पार्टी में एकजुटता का संदेश जाये। वहीं, चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष के तौर पर पूर्व अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू की ताजपोशी की गई है।
लेकिन प्रतिभा सिंह की टीम में जिस तरीके से पार्टी पदाधिकारियों की नियुक्ति हुई है। उसको लेकर न केवल कांग्रेसी ही हैरान हैं, बल्कि पार्टी के भीतर ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में 68 चुनाव क्षेत्र हैं। विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की तादाद दो दर्जन भी पूरी नहीं है। लेकिन अब पार्टी में तीन दर्जन उपाध्यक्ष , 80 से अधिक प्रदेश महासचिव और 120 के करीब सचिव व प्रदेश कार्यकारिणी में तीन दर्जन सदस्य के अलावा बीस प्रवक्ता बनाए गए हैं। आम तौर पर हिमाचल कांग्रेस में आज तक दस से अधिक कभी प्रदेश महासचिव नहीं बनाये गये।
हैरानी की बात है कि इनमें युवाओं को पार्टी आगे नहीं ला पाई है। और उम्रदराज नेता एक बार अपने दमखम दिखाने के लिये मैदान में आ गये है। इनमें कई नेता तो ऐसे हैं जिन्हें पिछले चुनावों में भारी मतो से शर्मनाक हार का सामना करना पडा था। आलम यह है कि इस जंबो संगठन की मीटिंग ही शिमला ऑफिस में करनी होगी तो जगह ही कम पड जायेगी। आलम यह है कि संगठन में शामिल ज्यादातर सदस्य पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह के करीबी हैं। जिससे दूसरे नेताओं के समर्थकों को कोई तवज्जो नहीं मिली है। जिससे पार्टी में अंदर खाते असंतोष पनपा है। यही नहीं अब पार्टी में उदयपुर संकल्प को लेकर सवाल उठने लगे हैं। जिसे अपनाने के मूड में हिमाचल कांग्रेस नहीं है।
यह भी एक संयोग ही है कि उदयपुर में चिंतन शिविर संपन्न हुए अभी कुछ ही समय हुआ है और हिमाचल में प्रशांत किशोर की बातें सही भी साबित होने लगी हैं। कांग्रेस हाईकमान के फरमान राज्य स्तरीय चिंतन शिविर से हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने पल्ला झाड़ दिया और अभी तक चिंतन शिविर को लेकर कोई फैसला फाइनल नहीं किया है। यहां ये मामला अभी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी साल के आखिर में चुनाव होने हैं और कांग्रेस हाईकमान प्रदेश में पार्टी की जमीनी हकीकत से रूबरू होना चाहती है। राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर के दौरान कांग्रेस हाईकमान ने फरमान सुनाया था कि सभी राज्यों में पार्टी के राज्य स्तरीय चिंतन शिविर आयोजित होंगे। ऑल इंडिया कांग्रेस वर्किंग कमेटी का फैसला है कि आगामी 1 और 2 जून को सभी प्रदेशों में राज्य स्तरीय चिंतन शिविर आयोजित हों। इसमें उयदपुर चिंतन शिविर में लिए गए फैसले और घोषणाओं के क्रियान्वयन और राज्य स्तरीय कार्यक्रमों पर चर्चा शामिल है। आदेश के मुताबिक, राज्य स्तरीय चिंतन शिविर में राज्य कार्यकारिणी के अलावा प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, कांग्रेस विधायक और जिला अध्यक्षों की उपस्थिति जरूरी है।
उधर, एआईसीसी के फैसले से उलट हिमाचल पीसीसी चीफ प्रतिभा सिंह ने एक और दो जून को जिला और ब्लॉक अध्यक्षों के साथ बैठक सुनिश्चित की है लेकिन, राज्य स्तरीय चिंतन शिविर आयोजित होगी या नहीं इस पर अभी फैसला नहीं लिया गया है। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। सत्ताधारी भाजपा चुनाव में बंपर जीत को लेकर आश्वस्त है उधर, कांग्रेस उपचुनाव में मिली शानदार जीत के बाद भाजपा को पटखनी देने का दावा कर रही है। जबकि तीसरे मोर्चे के रूप में आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है।