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वीरभद्र को साधने के लिये कांग्रेस ने की सुक्खू को हटाने की तैयारी

इसी वजह से अब चुनाव से चंद माह पहले चल रहा यह विवाद पार्टी पर भारी पड़ने लगा है।

By Rajeevkumar Singh
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह के पार्टी अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के प्रति अपनाये जा रहे रवैये के चलते वीरभद्र सिंह पर कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहा पार्टी नेतृत्व अब सुक्खू पर ही पीछे हटने का दवाब बनाने लगा है जिससे अब तय है कि बिगड़ते हालातों को देखते हुए खुद सुक्खू ही आने वाले दिनों में अपने पद से हट सकते हैं। कांग्रेस आलाकमान की कमजोरी का पूरा फायदा लेने में जुटे वीरभद्र सिंह दिनों-दिन हमलावर होते जा रहे हैं। उनकी एक ही शर्त है कि सुक्खू को अध्यक्ष पद से हटाया जाये, नहीं हटाया तो वह चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसी वजह से अब चुनाव से चंद माह पहले चल रहा यह विवाद पार्टी पर भारी पड़ने लगा है।

हिमाचल कांग्रेस में विवाद

हिमाचल कांग्रेस में विवाद

कांग्रेस पार्टी के एक्स सर्विस मेन सेल के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण डाबर मानते हैं कि हिमाचल कांग्रेस में चल रहा विवाद खत्म हो सकता है। अपने एक ट्विट में डाबर ने कहा है कि समझौता मुमकिन है अगर इसमें सुक्खू प्रयास करें। डाबर का मानना है कि सुक्खू को पार्टी हित में खुद ही अपने पद से हट जाना चाहिये ताकि पार्टी चुनावों में समय रहते जुट सके। डाबर अकेले ही नहीं, कांग्रेस के कई आला नेता भी मानते हैं कि अगर सुक्खू खुद ही अपना पद छोड़ दें तो विवाद खत्म हो सकता है। हलांकि एआईसीसी महासचिव सुशील कुमार शिन्दे स्पष्ट कर चुके हैं कि इस नाजुक दौर में न तो सुक्खू को अध्यक्ष पद से हटाया जायेगा न ही सीएम वीरभद्र सिंह हटेंगे।

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लेकिन कांग्रेस के कुछ नेताओं का कहना है कि पार्टी हित में सुक्खू को हटना पड़े तो उन्हें संकोच नहीं करना चाहिये। पहले भी ऐसा होता रहा है। 2012 के चुनावों में जब वीरभद्र सिंह ने पार्टी छोड़ने का एलान किया था तो उस समय भी कौल सिंह खुद ही अपने पद से हट गये थे व पार्टी की कमान वीरभद्र को सौंपी गई थी। ऐसे ही हालात इन दिनों पैदा हो गये हैं। दरअसल वीरभद्र सिंह एक सोची समझी रणनिति के तहत ही सुक्खू पर दवाब बना रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की कमजोर स्थिति को देखते हुये ही वीरभद्र आक्रामक हुये हैं। अदालतों में चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों से ध्यान हटाने के लिये ही उन्होंने सुक्खू को राडार पर लिया है। वीरभद्र सिंह शहीद की तरह राजनिति को छोड़ना चाह रहे हैं। वहीं उन्हें अपने बेटे के राजनैतिक भविष्य की भी चिंता है। यह सब पूरा तब ही हो सकता है। जब उन्हें पार्टी की ओर से फ्री हैंड मिले। सुक्खू के पद पर रहते पार्टी चुनावों में हारती भी है तो सारा दोष वीरभद्र सिंह के माथे पर ही लगेगा। वहीं उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह को भी आसानी से टिकट नहीं मिल पायेगा।

सुखविंदर को हटाने की अपनी मांग को लेकर डटे वीरभद्र

सुखविंदर को हटाने की अपनी मांग को लेकर डटे वीरभद्र

अपनी मांग पर दवाब बनाने के लिये हाल ही में वीरभद्र सिंह सोनिया गांधी से भी मिल चुके हैं लेकिन दस जनपथ ने उन्हें कोई खास तव्वजो नहीं दी। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु संघवी का कहना है कि पार्टी में चल रहा विवाद सुलटा लिया गया है । हाल ही में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने हिमाचल के नेताओं की बैठक ली थी। जिसमें पार्टी प्रभारी शिन्दे ने भी अपनी रिर्पोट पेश की थी। सिंघवी ने वीरभद्र के उस बयान पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी को बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस बारे में वीरभद्र सिंह ही कुछ बता पायेंगे।

टिकट आबंटन को लेकर सारा झगड़ा

टिकट आबंटन को लेकर सारा झगड़ा

प्रदेश की राजनिति में नजर दौड़ायें तो वीरभद्र सिंह के यह बगावती तेवर पहली बार नहीं हैं। इससे पहले भी वह कौल सिंह व विप्लव ठाकुर जो कि अध्यक्ष रहे, उनके लिये भी मुश्किलें खड़ी करते रहे हैं। कौल सिंह के खिलाफ तो बकायदा एक सेक्स आडियो सीडी निकाली जा चुकी है जिसके लिये उन्होंने वीरभद्र सिंह के आसपास के लोगों का हाथ होने का आरोप लगाया था। इसी कड़ी में अब सुखविन्दर सिंह सुक्खू उनके निशाने पर हैं। सारे विवाद की जड़ चुनावों के लिये टिकट आंबटन है। 2012 के चुनावों में भी वीरभद्र सिंह के बगावती तेवरों के चलते उनके विरोधियों को भी टिकट मिल गया था। उस समय वीरभद्र सिंह ने अपने 42 लोगों को पार्टी का टिकट दिलवाया लेकिन जीते 18 ही। वीरभद्र विरोधी खेमे को 26 टिकट मिले जिनमें 18 ने चुनाव जीता था।

लेकिन इस बार हालात वीरभद्र सिंह के लिये उससे भी पेचीदा हैं। उन्हें लगता है कि पार्टी ऐन वक्त पर एक परिवार से एक टिकट देने का फॉर्मूला न थोप दें जिससे उनके बेटे की राजनीति में उतरने की हसरतें ही अधूरी न रह जायें। हिमाचल में इस समय कोटखाई मामले पर वीरभद्र सिंह व उनकी सरकार पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते कांग्रेस कमजोर हो रही है लेकिन वीरभद्र सिंह का अपना गणित है। वह चाहते हैं कि पार्टी सत्ता में आये या न आये पहले टिकट आबंटन में ही अपना दबदबा कायम किया जाये।

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English summary
Sukhu pressurised by Virbhadra to quit Himachal Congress Chief post.
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