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हिमाचल में धूमल के हार की ये है बड़ी वजह, CM के लिए नड्डा ही क्यों हैं अब दावेदार?

पार्टी ने जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की दावेदारी को दरकिनार कर धूमल को आगे बढ़ाया। उससे ब्राहम्ण मतदाताओं में धूमल के प्रति नाराजगी पैदा हुई।

By Gaurav Dwivedi
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शिमला। हिमाचल भाजपा में जीत और नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल की हार के साथ ही अब हिमाचल प्रदेश में अगले मुख्यमंत्री की खोज शुरू हो गई है। चूंकि अब साफ हो गया है कि धूमल अब अगले सीएम नहीं होंगे। हालांकि पार्टी आलाकमान ने चुनावों से पहले धूमल खेमे के दवाब को मानते हुए अंतिम वक्त में धूमल को अगले सीएम के तौर पर नेता घोषित कर दिया। लेकिन इसके बावजूद सुजानपुर में धूमल चुनाव हार गए। उनकी हार से हर कोई हैरान है। हालांकि चुनावों में टिकट आबंटन के समय जब धूमल को हमीरपुर से सुजानपुर भेजा गया था, तो उस समय ही धूमल की हार की इबारत लिखी गई थी। धूमल को उस समय पार्टी और उनके हल्के में खास तव्वज्जो मिल गई थी, जब पार्टी आलाकमान ने धूमल को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर आगे कर दिया। व्यक्तिगत तौर पर इसका धूमल को अपने चुनाव क्षेत्र में नुक्सान भी हुआ। दरअसल पार्टी ने जिस तरीके से केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा की दावेदारी को दरकिनार कर धूमल को आगे बढ़ाया। उससे ब्राहम्ण मतदाताओं में धूमल के प्रति नाराजगी पैदा हुई।

आखिर धूमल की हार क्या करती है साबित?

आखिर धूमल की हार क्या करती है साबित?

खासकर सुजानपुर में ब्राहम्ण मतदाता कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा के साथ हो लिए। राणा की इलाके में समाज सेवा के क्षेत्र में गहरी पैठ है। जिससे उन्हें चुनाव जीतने में आसानी हुई। दिलचस्प बात ये है कि ब्राह्मण मतदाताओं की नाराजगी की वजह से धूमल खुद ही नहीं हारे बल्कि उनके खासमखास देहरा से रविंद्र सिंह रवि और जोगेंद्र नगर से उनके समधी गुलाब सिंह ठाकुर चुनाव हारे। इसी तरह दूसरे चुनाव क्षेत्रों में भी धूमल समर्थक ही चुनाव हारे। राजनीति का करिश्मा देखिए कि जेपी नड्डा ने जिन प्रत्याशियों को टिकट दिलवाए, वो चुनाव जीत चुके हैं। नड्डा समर्थकों की जीत के साथ ही अब अगले मुख्यमंत्री के तौर पर जे पी नड्डा की दावेदारी मतबूत हो गई है।

भाजपा के अंदरुनी राजनीति का हुए शिकार

भाजपा के अंदरुनी राजनीति का हुए शिकार

हिमाचल भाजपा की अंदरुनी राजनीति और जीत कर आए विधायकों पर नजर दौड़ाई जाए तो नड्डा का विरोध करने की ताकत किसी में नहीं है। हालांकि आरएसएस से ताल्लुक रखने वाले अजय जंवाल भी सीएम की रेस में बताए जाते रहे हैं। लेकिन वो अपने संगठन के पूर्णकालिक सदस्य हैं। इस समय नार्थ ईस्ट के प्रभारी भी हैं। जंवाल ने अभी तक अपना संगठन छोड़ा नहीं है और ना ही उन्होंने मौजूदा चुनाव लड़ा है। लिहाजा उनकी दावेदारी उतनी मजबूत नहीं जितनी जे पी नड्डा की है।

नड्डा बन सकते हैं हिमाचल में अगले CM

नड्डा बन सकते हैं हिमाचल में अगले CM

नड्डा पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी के खासमखास बताए जाते रहे हैं। सांसद शांता कुमार तो पहले ही चाह रहे थे कि इस बार धूमल नहीं बल्कि नड्डा सीएम बनें। उनके समर्थक कांगड़ा से चुनकर आए विधायक भी नड्डा का विरोध नहीं कर पाएंगे। धूमल खेमे के चुने हुए विधायक भी नड्डा का विरोध करने की स्थिती में नहीं हैं लेकिन इसके बावजूद भी अगला सीएम वही होगा, जिसे मोदी शाह की जोड़ी चाहेगी।

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English summary
JP Nadda has been compelled as the next CM in Himachal Pradesh
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