हिमाचल: दो निर्दलीय विधायकों की भाजपा में एंट्री पर बवाल, कांग्रेस ने दल-बदल कानून के तहत की यह मांग
शिमला, 10 जून। हिमाचल विधानसभा में दो मौजूदा विधायकों के भाजपा में शामिल होने को लेकर एक ओर भाजपा में अंदरूनी कलह चल ही रही है कि दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने दल-बदल कानून का हवाला देते हुये दोनों निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल होने पर एतराज जताते हुये दोनों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की है। कांग्रेस पार्टी की ओर से विधानसभा सचिवालय को इस मामले पर कार्रवाई के लिये शिकायत भेजी गई है जिससे मामला रोचक हो गया है।
जोगिंद्रनगर और देहरा विधानसभा क्षेत्र से जीते निर्दलीय विधायकों प्रकाश राणा और होशियार सिंह के भाजपा में शामिल होने को लेकर भले ही सीएम जय राम ठाकुर अपनी बडी उपलब्धि मान रहे हों, लेकिन कानूनी तौर पर देखा जाये तो दोनों विधायकों की सदस्यता खतरे में पड़ सकती है। हालांकि इस बारे में अंतिम निर्णय विधानसभा के स्पीकर को ही लेना है और चुनाव आयोग भी इसमें कोई कदम उठा सकता है। 13वीं विधानसभा के कार्यकाल के अभी पांच महीने बचे हैं व उसके बाद चुनाव होने हैं। बताया जा रहा है कि दोनों विधायकों ने संविधान के संशोधित दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है। आर्टिकल दो और तीन में स्पष्ट लिखा है कि कोई भी व्यक्ति यदि किसी राजनीतिक दल के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव जीतता है तो वह चुना हुआ विधायक तब तक किसी राजनीतिक दल की सदस्यता नहीं ले सकता, जब तक विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा नहीं देता। विधानसभा में जीतकर आए दलों के साथ सहयोगी हो सकता है। यही वजह है कि दोनों निर्दलीय विधायकों को लेकर नया विवाद खडा हो गया है।
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बताया जा रहा है कि लोकतांत्रिक प्रणाली में प्रावधान है कि दल-बदल करने वाले विधायक को तय अवधि के भीतर विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देना होता है। इसके पीछे कारण यह है कि क्षेत्र विशेष की जनता ने उस व्यक्ति को किसी पार्टी के बजाए निर्दलीय मत प्रकट करके और विश्वास करके विजयी बनाया था, जिसने किसी दल विशेष में जाकर धोखा किया है। यदि नियमों का सम्मान करते हुए दोनों निर्दलीय विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया तो तुरंत वेतन अदायगी बंद होगी और अन्य सुविधाओं पर भी विराम लगेगा। दरअसल, हिमाचल प्रदेश विधानसभा सचिवालय ने 13वीं विधानसभा के तहत चुनकर आए सदस्यों के संबंध में केंद्रीय चुनाव आयोग की सूची के आधार पर सदस्यों को शपथ दिलवाई थी। यदि केंद्रीय चुनाव आयोग की तरफ से इस संबंध में तुंरत कार्रवाई की जाती है तो इनकी सदस्यता पर संकट हो सकता है। संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार शिकायत मिलने पर कार्रवाई संभव है। विधानसभा का सचिवालय या अध्यक्ष अपने स्तर पर कार्रवाई के लिए संज्ञान नहीं ले सकते हैं। इसलिए विपक्ष की ओर से शिकायत आने के बाद ही इस मामले में आगामी कार्रवाई होती है। कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष की ओर से की जाती है।
प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष एवं स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्य सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने दोनों विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग करते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष दलबदल कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करें। सुक्खू ने कहा कि भाजपा का पत्ता विधानसभा चुनाव में साफ होने वाला है। दोनों विधायक डूबती नैया में सवार हुए हैं। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने देहरा के विधायक होशियार सिंह और जोगिंद्रनगर के विधायक प्रकाश राणा की सदस्यता को लेकर सवाल खड़े करते हुये कहा कि दल-बदल कानून के मुताबिक ऐसे निर्दलीय विधायक की सदस्यता तत्काल प्रभाव से खारिज होनी चाहिए जो अपनी टर्म पूरी किए बगैर ही किसी पार्टी का दामन थाम लेते हैं। उन्होंने कहा कि देहरा और जोगिंद्रनगर के विधायक ने ऐसा करके संविधान की धज्जियां उड़ाई हैं।
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उन्होंने कहा कि ऐसे ही प्रकार का आचरण रखने वाले विधायकों को मद्देनजर रखते हुए वर्ष 2002 में बाकायदा इस एक्ट में संशोधन किया गया था, जिसमें हवाला दिया गया है कि अगर कोई आजाद विधायक ऐसा काम करता है तो उसकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द होनी चाहिए। इतना ही नहीं, इस पूरे प्रकरण में खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी मिले हुए हैं क्योंकि भाजपा की सदस्यता ग्रहण करते वक्त वो खुद मौके पर मौजूद थे, ऐसे में ये कार्रवाई उन पर भी बनती है। संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले ऐसे विधायकों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने के लिए विधानसभा के अध्यक्ष से भी मांग करता है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो विपक्ष इस मुद्दे को सदन में भी जोरशोर से उठाएगा। काबिलेगौर है कि देहरा से आजाद विधायक होशियार सिंह और जागिंद्रनगर से निर्दलीय विधायक प्रकाश राणा ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की अगुवाई में शिमला में बीते कल भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी।