हरियाणा के भाकियू नेता चढू़नी बोले- पंजाब में मैं नहीं लडू़ंगा चुनाव, किसान लड़ेंगे और जीतेंगे
सिरसा। हरियाणा में किसान संगठनों की ओर से करनाल के बाद सिरसा की अनाज मंडी में किसान महासम्मेलन हुआ। जिसमें भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) की अगुवाई में हजारों किसान एकत्रित हुए। इस सम्मेलन में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी, जोगेंद्र सिंह उगराहा, डॉ. दर्शनपाल, कांता आलड़िया और पंजाबी कलाकारों रुपिंद्र हांडा, करतार चीमा, दिलप्रीत ढिल्लों आदि ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया। इस दौरान हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि, मैं पंजाब में इलेक्शन नहीं लडू़ंगा।
चढूनी ने कहा कि, पंजाब में चुनाव हमारे किसान भाई लड़ेंगे और वे जीतेंगे भी। उन्होंने कहा कि, किसान कृषि कानून नहीं चाहते, लेकिन मोदी सरकार जबरन थोपना चाहती है। ये राजहठ कर रहे हैं और राजहठ राज और परिवार को तबाह करता है, क्योंकि यह तो रावण का भी नहीं चला। उसका न राज रहा, न परिवार। इसी तरह महाभारत काल में दुर्योधन ने 5 गांव नहीं दिए थे तो उसका भी यही हश्र हुआ था। यही हाल मोदी का होगा। जबकि मोदी से हम कुछ मांग नहीं रहे सिर्फ अपने को बचाने की मांग कर रहे हैं।
पंजाब
में
किसान
चुनाव
लड़ें..इस
बात
का
जिक्र
करते
हुए
किसान
नेता
चढ़ूनी
ने
कहा
कि,
राजनीतिक
पार्टियां
सदा
किसानों
की
विरोधी
रही
हैं,
इसलिए
पंजाब
में
आम
लोग
चुनाव
लड़ेंगे।
उन्होंने
कहा
कि,
किसान
उम्मीदवार
किसी
बैनर
के
नीचे
नहीं,
बल्कि
कुछ
अच्छे
लोगों
के
साथ
राजनीति
में
शामिल
होंगे
और
चुनाव
लड़ेंगे।
चढ़ूनी
ने
यह
भी
कहा
कि,
यह
संयुक्त
मोर्चा
का
नहीं,
बल्कि
मेरा
निजी
फैसला
है।
चढ़ूनी
ने
यह
भी
कहा
कि,
पंजाब
में
मैं
चुनाव
नहीं
लडूंगा,
किसान
लड़ेंगे
और
जीतेंगे।
करनाल में किसानों का धरना खत्म: सरकार ने 2 मांगें मानीं, 1 माह में लाठीचार्ज मामले की जांच होगी
चढ़ूनी
बोले
कि,
आमजन
मौजूदा
सरकार
से
पूरी
तरह
दुखी
हैं,
जिसका
नतीजा
ही
है
कि,
उम्मीद
से
ज्यादा
लोग
महासम्मेलन
में
उमड़े
है।
किसान
नेताओं
ने
ऐलान
किया
कि,
आगामी
27
सितंबर
को
भारत
पूरी
तरह
से
बंद
रहेगा।
वहीं,
किसान
नेता
जोगिंदर
सिंह
उग्राहां
बोले
कि,हम
सिर्फ
भाजपा
का
विरोध
करेंगे।
उधर,
राजेवाल
ने
कहा
कि-
हम
अपने
यहां
किसी
को
रैली
नहीं
करने
देंगे।
जोगिंदर
ने
कहा
कि,
नए
कृषि
कानून
भाजपा
की
अगुवाई
वाली
सरकार
ही
लेकर
आई
है।
जोगिंदर
बोले
कि,
प्रधानमंत्री
मोदी
और
भाजपा
के
दूसरे
तमाम
नेता
इस
बात
पर
अड़े
हैं
कि
कानून
रद्द
नहीं
होंगे,
इसलिए
उनका
ही
विरोध
होना
चाहिए।