हरियाणा में ब्लैक फंगस के 623 मरीज, स्वास्थ्य मंत्री विज बोले- इसके फैलने के कारणों पर रिसर्च हो
चंडीगढ़। हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य-आयुष एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनिल विज का कहना है कि, ब्लैक फंगस फैलने के कारणों पर रिसर्च होनी चाहिए। विज ने सवाल उठाया कि आखिर यह बीमारी लोगों को क्यों हो रही है? उन्होंने कहा कि, "प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 623 मामले दर्ज हो चुके हैं। जिन लोगों को ब्लैक फंगस हुआ..उन्हें बड़ी परेशानी हो रही है। ठीक होने वालों का आंकड़ा बहुत कम है और अब तक 3 दर्जन लोगों की जान जा चुकी है। ऐसे में ये जरूरी है कि केंद्र सरकार इस रोग पर और रिसर्च कराए।"
"आखिर
क्यों
हो
रहा
ब्लैक
फंगस"
हरियाणा
में
करीब
सवा
400
मरीजों
पर
हुए
अध्ययन
का
हवाला
देते
हुए
विज
ने
कहा
कि,
"उन्हें
न
तो
कोरोना
हुआ
और
न
ही
वह
शुगर
के
पेशेंट
रहे।
यहां
तक
कि
इन
मरीजों
को
स्टेरायड
भी
नहीं
दिए
गए।
न
ही
वे
आक्सीजन
सपोर्ट
पर
रहे।
लेकिन
फिर
भी
ब्लैक
फंगस
की
चपेट
में
आ
गए।
आखिर,
क्यों?
हम
चाहते
हैं
कि
इस
रोग
के
बारे
में
राष्ट्रीय
स्तर
पर
रिसर्च
होनी
चाहिए।"
विज
ने
केंद्रीय
स्वास्थ्य
मंत्रालय
से
आग्रह
किया
है
कि
ब्लैक
फंगस
की
बीमारी
होने
के
कारणों
की
तह
में
जाने
का
अनुरोध
किया।
"ब्लैक
फंगस
के
इलाज
को
इंजेक्शनों
का
अभाव"
स्वास्थ्य
मंत्री
अनिल
विज
का
यह
भी
कहना
है
कि,
ब्लैक
फंगस
के
इलाज
में
इस्तेमाल
होने
वाले
एम्टेरिसिन-बी
इंजेक्शन
की
हरियाणा
सरकार
के
पास
किल्लत
है।
उन्होंने
कहा
कि,
एम्टेरिसिन-बी
इंजेक्शन
की
केंद्र
सरकार
से
12
हजार
शीशियां
मांगी
गई
हैं।
जो
कि
धीरे-धीरे
मुहैया
कराई
जा
रही
हैं।
विज
ने
कहा
कि,
हमने
केंद्र
से
अनुरोध
किया
है
कि
इस
बीमारी
से
बचाव
के
लिए
एम्फोटेरिसिन-बी
इंजेक्शन
की
सप्लाई
न
केवल
बढ़ाई
जानी
चाहिए,
बल्कि
इसमें
तेजी
लाई
जाए।
यह हॉस्पिटल दे रहा म्यूकोरमाइकोसिस पीड़ितों को 1-1 लाख रु., अब तक 50 को दी जा चुकी मदद
रेमेडेसिविर
के
अब
डेढ
लाख
इंजेक्शन
हरियाणा
चिकित्सा
सेवा
निगम
के
स्टॉक
की
ओर
से
जानकारी
दी
गई
कि,
यहां
फिलहाल
एक
लाख
49
हजार
762
रेमेडेसिविर
के
इंजेक्शन
उपलब्ध
हैं,
जबकि
टोसीलीजुमैब
इंजेक्शन
168
हैं।
ये
इंजेक्शन
कोरोना
मरीजों
को
लगाए
जाते
हैं।