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पंच बनने में नहीं ले रहे लोग रुचि, नामांकन तक भी नहीं किए दाखिल

ग्वालियर-चंबल अंचल के हजारों पंच पद रह गए खाली, नहीं मिल रहे उम्मीदावर

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ग्वालियर, 8 जून। इस बार के होने जा रहे पंचायत चुनाव में पंच बनने के लिए उम्मीदवार ढूंढे से नहीं मिल रहे हैं। ग्वालियर चंबल संभाग की कई पंचायतों में एक भी नामांकन पंच पद के लिए दाखिल नहीं हुआ है। आठ जिलो में सैकड़ों पंच के पद खाली पड़े हुए हैं, लेकिन कोई भी पंच बनने में दिलचस्पी नहीं ले रहा है।

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अशोकनगर में रह गए 1850 पंच पद खाली
अकेले अशोकनगर जिले में ही 1850 पंच पद खाली रह गए। यहां पर समय सीमा निकल जाने के बाद खाली पड़े 1850 पंच पद पर एक भी उम्मीदवार ने अपना नामांकन दाखिल नहीं किया। अशोकनगर जिले की 328 ग्राम पंचायतों के 1850 वार्डों में कोई भी पंच बनने के लिए तैयार नहीं है।
भिंड जिले में 3240 पंच पद पर नहीं हुआ कोई भी नामांकन दाखिल
भिंड जिले में 3240 पंच पदों पर एक भी नामांकन दाखिल नहीं हुआ है। जिले में कुल 8025 पंच पद हैं जिनमें से 3240 पंच पद पर कोई भी उम्मीदवार ढूंढने से नहीं मिल रहा है।
श्योपुर में भी खाली रह गए पंचों के आधे पद
श्योपुर की अगर बात करें तो श्योपुर में भी पंचों के आधे पद खाली रह गए। श्योपुर जिले में कुल 3645 पद हैं। इनमें से आधे पदों पर ही नामांकन दाखिल हो सके और आधे पद पर कोई नामांकन जमा नहीं हुए। ऐसे में जिले के आधे पंच पद खाली रह गए।
इस वजह से लोग नहीं लिख रहे हैं पंच बनने में दिलचस्पी
पंच बनने में लोग रुचि नहीं ले रहे हैं। इसके कुछ कारण भी निकल कर सामने आए हैं। पंच पद के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए पंचायत के साथ-साथ बिजली विभाग का नोड्यूज लेना पड़ता है। कई दावेदारों पर बिजली विभाग का बकाया बाकी है ऐसे में उन्हें नोड्यूज नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा ग्राम पंचायत में पंचों को ज्यादा अधिकार भी नहीं मिले हैं। वह सिर्फ ग्राम सभा में उपस्थित रहकर समस्या ही उठा सकते हैं। सरपंच के पास निर्णय लेने का अधिकार होता है। बैठक में सरपंच और सचिव की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। जबकि पंच का इतना महत्व नहीं होता है, क्योंकि उनके पास कोई अधिकार नहीं होते हैं। इसके अलावा पिछले कुछ सालों से निर्वाचन आयोग ने पंच पद के लिए भी कई नियम बना दिए हैं। पंच पद का नामांकन दाखिल करने में तकरीबन ₹3000 खर्च हो जाते हैं। इसके अलावा नोड्यूज करवाने में भी 4 से 5 हजार खर्च हो जाते हैं। इसके बाद गांव में फील्डिंग जमाने में भी रुपए खर्च हो जाते हैं। कुल मिलाकर पंच पद पर खर्चे ज्यादा है और अधिकार कुछ भी नहीं है। इसलिए लोग रुचि नहीं ले रहे हैं।
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English summary
thousands of panchs of gwalior chambal zone did not get candidates for the post
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