गुजरात चुनाव 2022: सूरत की लिंबायत विधानसभा सीट से क्यों लड़ रहे 30 मुस्लिम निर्दलीय उम्मीदवार ?
गुजरात विधानसभा के लिए पहले चरण के लिए जो चुनाव होने वाले हैं, उसमें सूरत की लिंबायत सीट पर सबसे ज्यादा उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। 2017 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई थी। इस बार इस सीट पर चुनाव लड़ने वालों की संख्या निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवारों की वजह से अधिक है। क्योंकि, यहां पर अधिकतर मुसलमान प्रत्याशी हैं, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। सूरत में एक और सीट है। सूरत पूर्वी, वहां भी मुस्लिम निर्दलीय उम्मदवारों की संख्या राज्य में लिंबायत के बाद सबसे अधिक है।
दो सीटों पर निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवारों की क्यों भरमार ?
गुजरात में 1 दिसंबर को जो पहले चरण का चुनाव हो रहा है, उसमें सबसे ज्यादा 44 उम्मीदवार सूरत की लिंबायत विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन, इस आंकड़े में एक और अहम बात ये है कि यहां 30 निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं। राज्य की किसी भी सीट पर इतनी संख्या में अल्पसंख्यक प्रत्याशी निर्दलीय भाग्य नहीं आजमा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के मुताबिक इन मुस्लिम निर्दलीय प्रत्याशियों में से कोई कपड़ा उद्योग में मजदूरी करता है तो कोई घर में झाड़ू-पोछा-बर्तन करता है। कोई प्रत्याशी ऑटो चलाता है तो कोई डिलिवरी बॉय है। निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मुसलमानों के चुनाव लड़ने का यह ट्रेंड कुछ हद तक सूरत पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में भी देखा जा रहा है। यहां कुल प्रत्याशियों की संख्या पहले के मुकाबले कम है। लेकिन, मुस्लिम निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या कुल 14 प्रत्याशियों के बावजूद 7 है। एक खास बात ये है कि आमतौर पर ये उम्मीदवार चुनाव लड़ने का जो कारण बता रहे हैं, वह भी बड़ा दिलचस्प है।
लिंबायत सीट पर करीब 30% मुस्लिम वोटर
लिबांयत से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे वसीम शेख का कहना है कि उनके कुछ दोस्तों ने कुछ दस्तावेजों पर हस्ताकर करवाए थे। उनके मुताबिक, 'मैं तो कटिंग (कपड़े की फैक्ट्री में) का काम करता हूं इधर, दिहाडी है मेरा। किसी ने बताया तो भर दिया।' लिंबायत विधानसभा सीट नवसारी लोकसभा क्षेत्र में आती है, जहां से प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल लोकसभा सांसद हैं। यहां के 44 प्रत्याशियों में से कुल 34 निर्दलीय मैदान में हैं। लिंबायत में करीब 30% मुसलमान वोटर हैं।
छोटे-मोटे काम करने वाले आजमा रहे हैं चुनावी भाग्य
पास के सूरत पूर्वी विधानसभा क्षेत्र में भी 1 दिसंबर को मतदान करवाया जाएगा इस सीट पर कुल 14 उम्मीदवारों में 8 निर्दलीय प्रत्याशी हैं, जिनमें से सात मुसलमान हैं। उन्हीं में से एक मिनहाज पटेल भी हैं, जो एक ऑनलाइन ग्रोसरी कंपनी में डिलिवरी बॉय हैं। उन्होंने बताया, 'मैं बिग बास्केट कंपनी के साथ काम करता हूं। मुझे लगा कि चुनाव लड़ूं, इसलिए इस बार मैंने नामांकन दाखिल कर दिया।' कांग्रेस ने सूरत पूर्वी सीट पर मुसलमान को ही अपना उम्मीदवार बनाया है। पार्टी ने सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर ऐसे 'संदिग्ध निर्दलीय उम्मीदवारों' को दोनों सीटों पर उतारने का आरोप लगाया है, ताकि अल्पसख्यकों का वोट बंट जाए। सूरत पूर्वी वही सीट है, जहां से आम आदमी पार्टी के कंचन जरीवाला ने अपना नामांकन खुद वापस ले लिया था, और पार्टी ने सारा दोष बीजेपी पर लगाया था।
कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाया वोट 'बैंक' बांटने का आरोप
बहरहाल, सूरत पूर्वी से कांग्रेस प्रत्याशी असलम फिरोजभाई ने आरोप लगाया है कि, 'सीट के 2.15 लाख वोटरों में से 43% मुसलमान हैं। सभी जानते हैं कि बीजेपी ने इन कथित निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारा है, ताकि अल्पसंख्यकों में से विपक्ष के वोटों को विभाजित किया जा सके। अगर सीआर पाटिल को अपने क्षेत्र के भीतर की एक सीट जीतने का इतना ही विश्वास था तो उन्हें इस तरह के हथकंडों का सहारा लेने की जरूरत क्यों महसूस हुई ?' इसी सीट से चुनाव लड़ रहे महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के निर्दलीय उम्मीदवार ने भी बीजेपी पर इसी तरह के आरोप लगाए हैं।
भाजपा ने आरोप को गलत बताया
हालांकि, सूरत के एक बीजेपी नेता ने नाम नहीं जाहिर होने देने की शर्त पर इन आरोपों को खारिज करते हुए दलील दी कि 2017 में इन दोनों सीटों से पार्टी बहुत ही आसानी से जीती थी। वैसे, दोनों सीटों पर चुनाव मैदान में डटे मुस्लिम निर्दलीय उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने की अपनी-अपनी दलीलें हैं। मसलन, लिंबायत से निर्दलीय उम्मीदवार हामिद शेख ने कहा, 'यह पांचवीं बार है कि मैं निर्दलीय के तौर पर लड़ रहा हूं। मुझे चुनाव अच्छा लगता है। मैं ट्रांसपोर्ट सेक्टर में एक कमीशन एजेंट के तौर पर काम करता हूं।'
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कांग्रेस का आरोप- निर्दलीय मुस्लिम उम्मीदवार
लिंबायत से ही चुनाव लड़ रहे हामीद माधवसंग राणा ने कहा कि 'मैं टूर और ट्रैवल एजेंसी में कमीशन एजेंट के तौर पर काम करता हूं। मेरी बीवी सायराबानू जो कि खुद भी लिंबायत से लड़ रही है और कोविड के दौरान मैंने कई तरीके से लोगों की सेवाएं की हैं। वह एक गृहिणी है। बीजेपी को लेकर कांग्रेस का आरोप की वोट बांटने के बारे में गलत है।' इसी तरह सूरत पूर्व से चुनाव लड़ रहा शहाबुद्दीन जैनुद्दीन ने कहा, 'मैं कार खरीद-बिक्री का काम करता हूं। मेरी मां जो अब नही है वह कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में सिविक बॉडी का चुनाव लड़ चुकी हैं। मेरा अब किसी भी पार्टी से अब कोई संबंध नहीं है।'