Gujarat Exit Poll: गुजरात में बड़ी जीत के बाद भी BJP के लिए AAP ने बजा दी है खतरे की घंटी
Gujarat Exit Poll: गुजरात चुनाव में दोनों चरण का मतदान खत्म हो चुका है। पहले चरण में 1 दिसंबर को मतदान हुआ था और दूसरे चरण में 5 दिसंबर को। पहले चरण में पिछले चुनाव की तुलना में तकरीबन 7 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है जबकि दूसरे चरण में तकरीबन 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। ऐसे में कम वोटिंग के मायने निकाले जाएं तो इससे एक संदेश साफ मिलता है कि गुजरात के वोटर्स में चुनाव को लेकर उत्साह कम देखने को मिला है। ऐसे में प्रदेश की जनता मौजूदा सरकार को हटाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं। सामान्य तौर पर बड़ी संख्या में वोटर तब बाहर निकलते हैं जब वह सरकार को हटाना चाहते हैं या फिर मौजूदा सरकार को बचाना होता है।
कई जगहों पर कांग्रेस ने खोई जमीन
वर्ष 1997 के बाद से भाजपा ने कभी भी 127 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज नहीं की है। 2002 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब भाजपा ने चुनाव लड़ा था तो भाजपा को सर्वाधिक 127 सीटें मिली थीं। लेकिन इस बार के तमाम एग्जिट पोल दावा कर रहे हैं कि भाजपा को 127 सीटों से अधिक पर जीत मिल सकती है। वहीं कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है। गुजरात में सौराष्ट्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है। पिछले चुनाव में किसानों के आंदोलन और पटेलों के आंदोलन का भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था। लेकिन इस बार जिस तरह से पाटीदार आंदोलन अब खत्म हो चुका है और किसानों के कर्ज को माफ कर दिया गया है उसकी वजह से एक बार फिर भाजपा को यहां फायदा मिलता दिख रहा है। सौराष्ट्र और कच्छ में भाजपा को फायदा मिल सकता है।
कांग्रेस से दूर जाते वोटर
एग्जिट पोल की मानें तो इस बार कांग्रेस की बड़ा झटका लग सकता है। इस बार कांग्रेस की 40-50 सीटें कम हो सकती हैं। पिछले चुनाव में आम आदमी पार्टी की सभी 29 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी। लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी को अलग-अलग एग्जिट पोल में 9 से लेकर 21 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है। ऐसे में यह आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ी सफलता माना जाएगा। हालांकि आम आदमी पार्टी कम सीटों पर जीत दर्ज करती नजर आ रही है, लेकिन उसके वोट शेयर में बड़ी बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इंडिया टुडे के एग्जिट पोल के अनुसार इस चुनाव में भाजपा को 46 फीसदी वोट, कांग्रेस को 26 फीसदी, आप को 20 फीसदी और अन्य के खाते में 8 फीसदी वोट जा सकते हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को तकरीबन 49.5 फीसदी वोट मिले थे, जोकि इस चुनाव के मुकाबले तकरीबन 3.5 फीसदी कम हैं। ऐसे में स्पष्ट तौर पर आप ने भाजपा के वोट में सेंधमारी की है। कांग्रेस को पिछले चुनाव में 41.5 फीसदी वोट मिले थे, लेकिन इस बार उसके वोट शेयर में 15.5 फीसदी की कमी देखने को मिली है, जिसमे सीधी सेंधमारी आप ने की है। भाजपा और कांग्रेस के जो वोट कम हुए हैं वह आम आदमी पार्टी के खाते में जाते नजर आ रहे हैं। यानि आम आदमी पार्टी ने तकरीबन 19 फीसदी वोट की सेंधमारी कांग्रेस और भाजपा के वोटबैंक से की है।
आप की सेंधमारी
गुजरात में भाजपा को सर्वाधिक 48 फीसदी वोट महिलाओं ने और 44 फीसदी वोट पुरुषों से मिलता नजर आ रहा है। वहीं कांग्रेस को 27 फीसदी महिलाओं और 25 फीसदी पुरुषों का वोट मिलता नजर आ रहा है। जबकि आप को 19 फीसदी महिलाओं और 21 फीसदी पुरुषों का वोट मिला है। सिर्फ आम आदमी पार्टी ऐसी है जिसे पुरुषों ने अधिक वोट दिया है। अहम बात यह है कि गुजरात में आप को भाजपा से भी ज्यादा दलितों के वोट मिलते नजर आ रहे हैं। मुसमलानों के वोट सर्वाधिक कांग्रेस को मिलते नजर आ रहे हैं। भाजपा को दलितों के 28 फीसदी, आप को 30 फीसदी वोट मिलते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस को मुसलमानों को औसतन 55 फीसदी वोट मिलते नजर आ रहे हैं, जबकि पिछले चुनाव में उसे 70 फीसदी वोट मिले थे। यानि कांग्रेस के 15 फीसदी वोट कटे हैं। आप को 30 फीसदी मुस्लिम वोट मिलते नजर आ रहे हैं।
भाजपा ने एंटी इनकम्बेंसी को कैसे हराया
गुजरात में 27 साल से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है। बावजूद इसके पार्टी अपनी लोकप्रियता को जमीन पर बनाए रखने में कामयाब होती नजर आ रही है। एक के बाद एक जिस तरह से बड़ी योजनाओं को गुजरात में शुरू किया गया, उसका लाभ पार्टी को साफ तौर पर देखने को मिला। भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद का कहना है कि गुजरात की बात करें तो साबरमती का रिवरफ्रंट दुनिया के 4-5 रिवर फ्रंट में से एक है। नर्मदा का पानी सौराष्ट्र के गांव में पहुंचा है। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि गुजरात आईटी सेक्टर में स्टार्टअप के हब के रूप में आगे बढ़ रहा है। बड़ौदा में एयरबस का जहाज बन रहा है। जब इस तरह से विकास के काम होते हैं तो जनता देखती है।
मोदी का जादू एक बार फिर चला
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी ने यह चुनाव लड़ा उसका उसे फायदा होता नजर आ रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता अभी भी लोगों के बीच बरकरार है। अहम बात यह है कि गुजरात में जब भी चुनाव प्रचार के लिए पीएम मोदी गए तो उन्होंने लोगों के साथ सीधा गुजराती भाषा में आत्मीय संवाद करने की कोशिश की, जोकि बाकी के दलों में नजर नहीं आई। आम आदमी पार्टी हो या कांग्रेस दोनों ही दलों के शीर्ष नेता गुजरात भाषा में लोगों से संवाद नहीं स्थापित कर पाए।
कांग्रेस चुनाव लड़ने से पहले ही हार गई थी, नेतृत्व गुजरात से दूर दूर रहा
कांग्रेस ने जिस तरह से गुजरात में अपना चुनावी अभियान चलाया उसे देखकर हर कोई यह अंदाजा लगा रहा था कि पार्टी ने यहां पहले से ही हार मान ली है। जिस तरह से आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत के साथ गुजरात का चुनाव लड़ा, उसका सीधा नुकसान कांग्रेस को हुआ। ऐसा लगता है कि कांग्रेस को भी इस बात का अंदेशा हो गया था को आम आदमी पार्टी उसके वोट बैंक में बड़ी सेंधमारी करने जा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता गुजरात में चुनाव प्रचार के लिए बिल्कुल आखिरी दिनों में पहुंचे, जबकि आम आदमी पार्टी और भाजपा कई महीनों से यहां अपनी पूरी ताकत झोंके हुए थी।