PM मोदी के गांव वडनगर में मिले 5वीं सदी के 2 बौद्ध स्तूप, यह हड़प्पा सभ्यता के स्थलों में से एक
वडनगर। गुजरात के महेसाणा जिले में स्थित वडनगर में पुरातत्व विभाग के कर्मचारी इन दिनों खुदाई करवा रहे हैं। जिससे यहां हजारों साल पुराने मिट्टी के बर्तन, गहने और तरह-तरह के औजार व हथियार मिल रहे हैं। अब यहां 5वीं सदी के 2 बौद्ध स्तूप मिले हैं। पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है- चूंकि वडनगर हड़प्पा सभ्यता के पुरातत्व स्थलों में से एक है, तो यहां अभी 10 स्तूप और हो सकते हैं। मालूम हो कि, हड़प्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीनतम सभ्यता मानी जाती है।
वडनगर से देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ताल्लुक रखते हैं। इस नगर के बारे में पुरातत्ववेत्ताओं ने कहा था, इसका इतिहास करीब 2500 साल पुराना है। हजारों साल पहले भी यहां खेती होती थी। उस समय के कई प्राचीन औजार यहां पाए जा चुके हैं। खुदाई के दौरान हाल ही तीसरी व चौथी सदी के बौद्ध स्तूप के अवशेष और 7वीं-8वीं सदी के मानव कंकाल भी मिले थे। फिलहाल यहां कोरोना-अनलॉक के दिनों सारेगामा सर्कल में रेलवे फाटक के पास खुदाई चल रही है।
पढ़ें: गुजरात के सबसे प्राचीनों स्थलों में से एक है वडनगर, मोदी ने कहा था- मैं यहीं चाय बेचता था
पुरातत्व विभाग के कर्मचारियरों को जुलाई 2020 में ही वडनगर में खुदाई के दौरान सैकड़ों बरस पुराने कक्ष मिले थे। जिनकी दो मीटर ऊंची और 1 मीटर चौड़ी चार दीवारें भी मिलीं। तब पुरातत्ववेत्ता ने कहा कि, ये 2 हजार साल पुराने बौद्ध कक्ष हैं। पुरातत्ववेत्ता मानते हैं कि, 16वीं सदी में जब से पश्चिमी देशों के लोग भारत आए, तो वे वडनगर की संपदा का इस्तेमाल करने लगे। अंग्रेजों ने यहां भी रेल की पटरियां बिछाई थीं। कुछ रिकॉर्ड बताते हैं कि, संवत 1943 (साल 1887) में महेसाणा और रंदाला, विसनगर, वडनगर के बीच रेलवे लाइन बिछाई गई। उसके बाद ट्रेनें चलने लगीं।