ग्लोबल ब्रांड के रुप में विकसित हो रहा टेराकोटा,अब राखियों की बढ़ी डिमांड
गोरखपुर का वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट टेराकोटा की लोकप्रियता दिनों-दिन तेजी से बढ़ती जा रही है। टेराकोटा की मूर्तियां,सजावट के सामान सहित कई चीजों के डिमांड में रहने के बाद अब टेराकोटा की राखियों की डिमांड
गोरखपुर के औरंगाबाद से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने वाला ओडीओपी उत्पाद टेराकोटा अब नए रुप में लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। मिट्टी की ज्वेलरी,सजावट के सामान,मूर्तिया बनाने के बाद अब टेराकोटा की राखियां रक्षाबंधन में आकर्षण का प्रमुख केंद्र होंगी। दिल्ली की डॉ. भावना सिंघल ने टेराकोटा से जुड़ी महिलाओं को अपनी तरफ से डिजाइन देकर बड़े पैमाने पर टेराकोटा की राखियां बनवाई हैं। शुक्रवार 15 जुलाई को गोरखपुर में ही टेराकोटा की रंग बिरंगी राखियों की प्रदर्शनी भी लगेगी।
डॉ. भावना कहती हैं कि उन्हें यह विचार टेराकोटा की मूर्तियों को देखकर आया। लोगों में टेराकोटा की मूर्तियों को लेकर वैसे ही बहुत उत्साह है, मार्केट में इसकी डिमांड भी अच्छी है। उनके घर में रखे टेराकोटा की मूर्तियों की खूबसूरती की लोगों से मिली तारीफ से इस शिल्प की राखियों को बनवाने का ख्याल आया। इन राखियों की कीमत 50 रुपये से लेकर 500 रुपये तक रखी गई है।
स्थानीय शिल्प/कौशल एवं कला के संवर्धन के साथ संरक्षण एवं विकास करने, रोजगार एवं आय में वृद्धि, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार, आर्थिक असमानता को दूर करने के उद्देश्य से प्रारम्भ इस योजना में स्थानीय प्रतिभाओं को समुचित प्रोत्साहन देकर उनकी क्षमता का व्यावसायिक उपयोग किया जा रहा है तथा कई नए ब्रांड विकसित किए जा सकते हैं। ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान देकर, उत्पादों की विभिन्न बाज़ारों में पहुँच बढ़ाई जा सकती है।
इस योजना की खासियत है कि इसमें सभी उत्पादों से जुड़ी पूरी 'प्रोसेस-चेन' और 'वैल्यू-चेन' पर ध्यान दिया गया है। इन प्रयासों के द्वारा उत्पादकों और ग्राहकों के बीच सीधा संपर्क और भी सुगम हो पाया यानि सप्लाई चेन भी मजबूत हुई, यही नहीं केंद्र सरकार की स्किल इंडिया मिशन, स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, रोज़गार प्रोत्साहन योजना तथा 'मुद्रा' योजनाओं से इस योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल रही है।
इस योजना में वह क्षमता है, जिसके द्वारा अंतिम पंक्ति के लोगों को कौशल-विकास एवं रोज़गार के अवसर प्रदान करके, जमीनी स्तर पर व्यापक बदलाव लाया जा सकता है और शायद इसी कारण से योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी प्राथमिकता में रखा है।