गोंडा: एंबुलेंस नहीं मिली तो बीमार पिता को कंधे पर बैठाकर पैदल चला बेटा, कही ये बात
गोंडा, 26 मई: उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने और बेहतर बनाने के लिए योगी सरकार प्रयास कर रही हो। लेकिन गोंडा जिले से एक बहुत ही शर्मनाक तस्वीर सामने आई है। पहले तो गोंडा जिला अस्पताल में बुजुर्ग को बेहतर इलाज नहीं मिला। फिर जब घर जाने के लिए एंबुलेंस मांगी गई तो यह कहकर इनकार कर दिया गया कि एंबुलेंस मरीज को लेकर आती है...छोड़कर नहीं। एम्बुलेंस अगर वापस जाएगी तो पैसा लगेगा। इसके बाद बेटा ने अपने बुजुर्ग और बीमार पिता को कंधे पर बैठकर करीब 2.5 किलोमीटर तक घर का रास्ता पैदल तय किया।

क्या है पूरा मामला
कर्नलगंज तहसील के हलधरमऊ ब्लाक निवासी शिव भगवान अपने 70 वर्षीय पिता जीवबोध को सीएचसी में भर्ती कराया। जीवबोध को खांसी और सांस लेने में दिक्कत थी। करीब 4 दिनों तक कोई आराम न मिलने पर सीएचसी के अधीक्षक ने जीवबोध को गोंडा जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। 24 मई को शिव भगवान ने अपने पिता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरोप है कि वहां पर वार्ड में तैनात नर्स ने फाइल बनाने के नाम पर एक सौ रुपए की मांग की गई।

एंबुलेंस मरीज को लाती है वापस छोड़कर नहीं आती
रुपया न होने के कारण वह नहीं दे सका तो उसे डेंगू वार्ड में डाल दिया गया। इस दौरान नर्स ने उसे बाहर से 2 इंजेक्शन मंगाने के लिए कहा तो उसने किसी तरह 590 रुपए के 2 इंजेक्शन का बाहर से इंतजाम किया। 2 दिनों में सिर्फ वही दो इंजेक्शन लगाकर अस्पताल से कोई भी दवा नहीं दी गई। पिता की हालत अत्यधिक नाजुक होने पर उसने कहा कि साहब जब इलाज नहीं हो रहा है, तो मेरे पिताजी को एंबुलेंस से घर भिजवा दीजिए। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया गया कि एंबुलेंस सिर्फ मरीजों को लाती है और वापस छोड़ने नहीं जाती है।

कंधे पर बैठाकर पैदल चला बेटा
एएनआई न्यूज़ एजेंसी की खबर के मुताबिक, शिव भगवान ने बताया कि हम अस्पताल से इलाज करा कर वापस आ रहे हैं। हम को कहा गया कि एम्बुलेंस अगर वापस जाएगी तो पैसा लगेगा। हमारे पास इतने पैसे नहीं है इसलिए ऐसे ले जा रहे हैं। शिव भगवान को जब कोई उपाय नहीं सूझा तो उसने अपने बीमार पिता को अपने कंधे पर बैठा लिया और करीब 2-5 किलोमीटर दूर अपने घर पैदल चलने का निर्णय लिया। हालांकि, रास्ते में कुछ समाजसेवियों ने जब उसे देखा तो उसकी मदद की।

क्या कहा मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने
दोनों को टेंपो से घर भिजवाया गया। वहीं, यह मामला सामने आने के बाद गोंडा की मुख्य चिकित्सा अधीक्षण इंदुबाला ने बताया कि हमारी सिस्टर ने मुझे बताया था उनके बारे में। वे लोग यहां से बिना बताए चले गए थे। पैसे लिए जाने का आरोप मेरे संज्ञान में नहीं है और न ही मेरे पास इस बारे में बात करने आया। हर मरीज को एम्बुलेंस नहीं दी जाती है।