362 करोड़ की जीएसटी चोरी में सरगना सहित तीन को DGGI ने पकड़ा, 3,189 करोड़ रुपए काटे थे फर्जी बिल
362 करोड़ की जीएसटी चोरी में सरगना सहित तीन को DGGI ने पकड़ा, 3,189 करोड़ रुपए काटे थे फर्जी बिल
गाजियाबाद, 28 जनवरी: फर्जी चालान और जीएसटी चोरी के बड़े नेटवर्क का जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने भंडाफोड़ किया है। डीजीजीआई की टीम ने फर्जी चालान के जरिए टैक्ट चोरी करने वाले तीन जालसाजों को भी गिरफ्तार किया है। वित्त मंत्रालय के मुताबिक, गिरफ्त में आए तीनों जालसाजों के कब्जे से 275 फर्मों के दस्तावेज मिले हैं, जिनसे 3,189 करोड़ रुपए के फर्जी बिल काटे गए। जिसमें 362 करोड़ की जीएसटी चोरी भी शामिल थी।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक, तीन आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार कर सीजेएम कोर्ट मेरठ में पेश किया गया, जहां से तीनों को विभाग की न्यायिक हिरासत में दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के विकासनगर से विपिन कुमार गुप्ता, मॉडल टाउन से उसके साथी योगेश मित्तल और टिंकू यादव को गिरफ्तार किया गया है। तीनों फर्जी कंपनियां बनाकर फर्जी बिल जारी कर सरकारी खजाने को चूना लगा रहे थे। इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने के बाद इनकी जांच शुरू की गई। जांच के बाद शक के दायरे में आईं दो कंपनियों के ठिकानों पर अधिकारियों द्वारा छापा मारा गया।
इस दौरान 200 से अधिक कंपनियों की फाइलें, मोबाइल फोन, डिजिटल सिग्नेचर, डेबिट कार्ड, सिम कार्ड, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पेन ड्राइव, ऑफिसों की चाबियां, चेकबुक, रबर की मोहरें बरामद की हैं। जांच के बाद अधिकारियों को पता चला कि इन कंपनियों का डाटा क्लाउड में सेव रहता है। डाटा एनालिसिस और साक्ष्यों से पता चला कि तीनों जालसाजों ने 275 कंपनियां बना रखी हैं, जो सिर्फ पेपरों में अस्तित्व में है। इन कंपनियों द्वारा 3189 करोड़ रुपए के फर्जी बिल जारी किए गए। अधिकारियों को 362 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी मिली, जो तीनों मिलकर आईटीसी के तौर पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर विभाग से वसूल चुके थे।
दुबई
से
ऑपरेट
करता
था
विपिन
अधिकारियों
के
मुताबिक,
विपिन
कुमार
गुप्ता
दुबई
से
अपना
गिरोह
ऑपरेट
करता
था
और
वो
कुछ
दिन
पहले
ही
दुबई
से
वापस
लौटा
था।
इसके
बाद
इस
पर
प्रवर्तन
निदेशालय
ने
जांच
शुरू
की
और
पासपोर्ट
जब्त
कर
लिया।
पासपोर्ट
न
होने
से
यह
वापस
दुबई
नहीं
भाग
सका।
विभाग
के
मुताबिक
विपिन
कुमार
गुप्ता
और
योगेश
मित्तल
पहले
भी
डिपार्टमेंट
ऑफ
रेवेन्यू
इंटेलीजेंस
(डीआरआई)
द्वारा
गिरफ्तार
किए
जा
चुके
हैं।
दोनों
वर्तमान
में
प्रवर्तन
निदेशालय
द्वारा
जांच
के
दायरे
में
है।