पाकिस्तान से सटी गुजरात की ये सीट रही कांग्रेस का गढ़, क्या भाजपा 2014 की जीत दोहरा पाएगी ?
Gujarat News, गांधीनगर। उत्तर गुजरात की बनासकांठा लोकसभा सीट जो कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, वहां भाजपा के उम्मीदवारों को भी फायदा हो रहा है। पहले कांग्रेस यहां जीतती थी, फिर भाजपा जीतने लगी। 1991 में हिन्दुत्व के प्रवाह में यहां भाजपा को पहली बार जीत हासिल हुई। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके गढ़वी इस सीट से 3 बार चुनाव जीत चुके हैं। उनके बेटे मुकेश गढ़वी भी एक बार चुनाव जीत चुके हैं।
2019 के चुनाव में ये बने हैं उम्मीदवार
बता दें कि, गुजरात में वाव, थराद, धानेरा, दांता, पनालपुर, डीसा और दियोदर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनासकांठा लोकसभा सीट बनती है। अब 2019 के चुनाव में भाजपा ने राज्य सरकार के मंत्री परबत पटेल को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने परथी भटोल को मैदान में उतारा है। भटोल एक सहकारी नेता हैं। यह बैठक में सबसे अधिक चौधरी और ठाकोर मतदाता हैं, इसलिए वे चुनाव में महत्वपूर्ण हो जाते हैं। किसी भी दल ने ठाकोर समाज के नेता को टिकट नहीं दिया है, इसलिए ठाकोर समाज ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार खड़ा किया है।
सूखे का सामना कर रहा बनासकांठा
बनासकांठा पाकिस्तान से सटा हुआ इलाका है। इस क्षेत्र में किसानों की संख्या भी महत्वपूर्ण है। यह जिला सूखे का सामना कर रहा है। चौधरी और ठाकोर मतदाता जिनकी पल्ले में जायेंगे वह उम्मीदवार इस सीट से जीत सकता हैं। 2014 में भाजपा के हरिभाई चौधरी ने बनासकांठा में दो लाख वोटों से जीत हासिल करके चुनाव जीता था। उससे पहले 2009 में कांग्रेस के मुकेश गढ़वी ने 10,000 वोटों से जीत हासिल की थी। 7 विधानसभा सीटों में से केवल दो सीटें-थराद और डीसा भाजपा मिलीं, जबकि कांग्रेस को पांच सीटों का फायदा हुआ।
ऐसे होती रही कांग्रेस की जीत
1951 और 1957 में कांग्रेस के अकबर चावला ने चुनाव जीता। 1962 में कांग्रेस के ज़ोहराबेन चावड़ा और 1997 में स्वतंत्र पार्टी के मनुभाई जीते थे। 1971 में कांग्रेस के पोपटलाल जोशी, 1977 में जनसंघ के मोतीभाई चौधरी विजेता रहे। 1980 और 1984 के दो चुनावों में कांग्रेस के बीके गढ़वी विजयी हुए थे। 1989 में जयंती शाह ने चुनाव जीता, लेकिन 1991 में भाजपा के हरिसिंह चावड़ा विजेता चुने गए। हालांकि, 1996 में बीके ने गढ़वी चुनाव जीता था।
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भाजपा जीतने लगी
1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने हरिभाई चौधरी को सीट दी। वहीं, 2004 में कांग्रेस के हरिसिंह चावड़ा और 2009 में मुकेश गढ़वी चुनाव जीतकर संसद गए। मुकेश गढ़वी के अवसान बाद, 2013 के उपचुनाव में हरिभाई चौधरी फिर जीते और उन्होंने 2014 में भी जीत हासिल की। अब 2019 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की सीधी टक्कर ठाकोर समाज के उम्मीदवार के सामने है।