गुजरात सरकार ने 200 करोड़ खर्च कर डाले लेकिन खंडहर बनकर रह गया मॉडल हॉस्पिटल
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में सरकार के कुछ अफसरों की लापरवाही स्वास्थ्य व्यवस्थाओं में इस कदर हावी है कि करोड़ों के मॉडल अस्पताल का ख्वाब औंधे मुंह गिर गया। मॉडल (आयुर्वेदिक) अस्पताल मैनेजमेंट के ध्यान नहीं देने की वजह से 200 करोड़ रुपए का खर्चा भी अच्छा मेडिकल कॉलेज नहीं दे पाया। लिहाजा यह केवल खंडहर बनकर रह गया। स्थानीय मरीज इलाज के लिए बीते 2 साल से दूर दूर जा रहे हैं।
करोड़ों
खर्च
कर
बना
हॉस्पिटल,
खंडहर
ही
बनकर
रह
गया
यह
हॉस्पिटल
(State
model
ayurveda
college
hospital
gandhinagar)
गुजरात
में
गांधीनगर
के
पास
कोलवडा
गांव
में
बनाया
गया
था।
दो
साल
पहले
जब
यह
बना
तो
बहुत
से
ख्वाब
दिखाए
गए
थे।
गुजरात
के
मुख्यमंत्री
ने
कहा
था
कि
ये
राज्य
की
पहला
मॉडल
हॉस्पिटल
होगा
जहां
मरीजों
को
हर
तरह
का
इलाज
मिल
सकेगा।
हालांकि,
बाद
में
पता
चला
कि
यहां
तेा
महिला
को
प्रसव
कराने
के
लिए
एंबुलेंस
सर्विस
भी
नहीं
है।
निदेशक
स्तर
से
आदेश
देने
के
बावजूद
एम्बुलेंस
सेवा
नहीं
होने
के
कारण
पिछले
दो
वर्षों
में
एक
भी
महिला
को
यहां
मातृत्व
का
अवकाश
नहीं
मिला
है।
इस
अस्पताल
में
एक
बार
भी
एक्स-रे
और
सोनोग्राफी
मशीन
का
भी
उपयोग
नहीं
किया
गया
है।
गांधीनगर शहर के पास एक आधुनिक और सहायक आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाया गया है। अस्पताल और मेडिकल कॉलेज शुरू हुए दो साल से अधिक समय हो गया है। लेकिन इस अस्पताल में स्वास्थ्य की सेवा से लोंग अभी भी वंचित हैं। 100 बिस्तरों वाला अस्पताल होने के बावजूद, केवल 50 प्रतिशत मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार, गुजरात राज्य के आयुष विभाग के निदेशक ने पहले से ही राज्य की सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में प्रसव कराने और बच्चे को जन्म देने की कार्रवाई शुरू करने के लिये निर्देश दिये थे, लेकिन इस अस्पताल में एक भी प्रसूति नहीं हुए है। चौंका देने वाली बात यह है कि, इतनी बडी अस्पताल में अभी भी एम्ब्युलेंस की सुविधा नहीं है। प्रणाली के अनुसार, एम्बुलेंस के लिए स्वैच्छिक संगठनों के साथ सहयोग करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन अभी एक भी संगठन आगे नहीं आ रहा है।
दूसरी ओर अस्पताल में एक्स-रे और सोनोग्राफी सहित अन्य सहायक संसाधन होने के बावजूद अभी तक एक भी मरीजों को सुविधा नहीं मिल पा रही है। इसका कारण ये है कि, रोगी कल्याण समिति के लिए पैनकार्ड बना ही नहीं है। जिसके कारण मरीजों को एक्स-रे और सोनोग्राफी की सेवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। अस्पताल में पिछले एक साल से दोनों मशीनों का इस्तेमाल नहीं हुआ है। राज्य सरकार ने इस आयुर्वेदिक कॉलेज को एक मॉडल के रूप में विकसित किया है, लेकिन स्टाफ, सुविधा और कुछ प्रक्रियां नहीं होने के कारण अस्पताल में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाए प्रदान नहीं की जा रही है।