गांधीनगर न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के पास बनेंगे होटल-मॉल, घर-बाड़े छिनने के ​विरोध में 5 हजार आदिवासी

Google Oneindia News

गांधीनगर। गुजरात के केवडिया में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के आस-पास बरसों से बसे आदिवासियों का जीवन संकट में है। सरकार उनकी जमीनें लेकर वहां होटल-मॉल, गार्डन एवं अन्य टूरिज्म प्रोजेक्ट स्थापित करना चाहती है। अपने घर-बाड़े छिनने के डर से यहां आदिवासी पहले भी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाए जाने के विरोध में थे। हालांकि, तब सरकार ने उन्हें भरोसा दिया था कि डरने की जरूरत नहीं है। उसके बाद प्रतिमा के उद्घाटन के बाद से पूरे क्षेत्र में आदिवा​सियों को तंग किया जाने लगा। उनकी जमीन का अधिग्रहण किया जाने लगा। इस अधिग्रहण के विरोध में लोग गुजरात उच्च न्यायालय पहुंच गए। न्यायालय ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के नजदीकी गांवों को राहत देते हुए पिछले महीने भूमि अधिग्रहण पर रोक लगा दी। न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा कि अगले आदेश तक किसी को वहां से नहीं हटाए। सरकार को 'यथास्थिति' बनाए रखने के आदेश दिए गए। हालांकि, अब सरकार एवं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से जुड़ी अथॉरिटी ने अधिग्रहण की तैयारी कर ली है। न्यायालय जमीन अधिग्रहण के विरोध में नहीं है।

खतरे में पड़ी आदिवासियों की बसावट

खतरे में पड़ी आदिवासियों की बसावट

न्यायालय में अड़चन दूर होने के चलते सरकार नर्मदा जिले में स्टैच्यू के पास विभिन्न पर्यटन परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण में जुट गई है। जिससे आदिवासियों की बसावट खतरे में पड़ गई है, क्योंकि यहां 5 हजार से ज्यादा आदिवासी रहते हैं। 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के लिये केवडिया स्थित पर्यटक स्थल के विकास के नाम पर इन्हें यहां से बेदखल किया जाएगा।

पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आतंकी खतरा, IB के इनपुट के बाद दी गई त्रिस्तरीय सुरक्षापढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को आतंकी खतरा, IB के इनपुट के बाद दी गई त्रिस्तरीय सुरक्षा

घरों से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता

घरों से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता

देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की विशाल मूर्ति जहां बनी है, वहां से कई किमी तक के दायरे में आदिवासी रहते हैं। खासतौर पर, तडवी परिवार को यहां से निकालने की योजना बनाई गई है, जो विवादों के घेरे में है। राज्य सरकार इस जगह गार्डन बनाना चाहती है। त़डवी परिवार अपने छोटे से घर में रहते हैं। जब किसी वीवीआईपी का काफिला 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' देखने आता है तो इन परिवारों को घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता। ऐसे में ये लोग परेशानी झेलते रहे हैं।

यह भी पढ़ें: NH-233 के लिए जमीन अधिग्रहण हुई, मुआवजे पर रूठे हजारों किसानों का ऐलान- करेंगे मतदान बहिष्कारयह भी पढ़ें: NH-233 के लिए जमीन अधिग्रहण हुई, मुआवजे पर रूठे हजारों किसानों का ऐलान- करेंगे मतदान बहिष्कार

तड़वी पर बड़ा सकंट, उनकी जमीनें पैसे वालों को बिकेंगी

तड़वी पर बड़ा सकंट, उनकी जमीनें पैसे वालों को बिकेंगी

तडवी आदिवासियों का कहना है कि हमसे जमीनें ह​थियाकर सरकार अमीरों को बेचेगी। जबकि, केवडिया में प्रशासनिक अधिकारी कहते हैं कि यहां गार्डन बनेंगे। साथ ही पर्यटकों की सुविधा के लिए रास्ते और अन्य निर्माण कार्य भी होंगे। जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार ने बड़ी तैयारी की है। आदिवासियों से कहा जा रहा है कि उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। जबकि, यहां के गांवों में ज्यादातर लोग इस बात से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें यही डर सता रहा है कि आदिवासी समुदाय बेघर हो जाएंगे। आदिवासी कह रहे हैं कि हमारी जमीनें कंपनियों और व्यापारियों को बेची जाएंगी।

पढ़ें: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास धधकी आग, अचानक ज्वालामुखी जैसा दृश्य देख पर्यटकों के हो गए रौंगटे खड़ेपढ़ें: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास धधकी आग, अचानक ज्वालामुखी जैसा दृश्य देख पर्यटकों के हो गए रौंगटे खड़े

प्रतिमा बनने में 3000 करोड़ खर्च हुए, अब भी हजारों करोड़ खर्चेंगे

प्रतिमा बनने में 3000 करोड़ खर्च हुए, अब भी हजारों करोड़ खर्चेंगे

'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाने में सरकार ने 3000 करोड़ रुपए खर्च किए। इस प्रतिमा को दुनिया का प्रतिष्ठ पर्यटन स्थल बनाने के लिए 30 से ज्यादा प्रोजेक्ट्स शुरू होंगे। अब सरकार यहां गार्डन, रास्ता, होटल्स, सफारी पार्क और अन्य मनोरंजक पार्क स्थापित कराएगी। नर्मदा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसी तैयारियां हो गई हैं, आदिवासियों को अपनी जमीन छोड़ने ही होगी।

पढ़ें: पटेल मूर्ति से पहले गुजरात में महात्मा मंदिर पर हुए थे करोड़ों खर्च, अब दोनों से हो रही इतनी कमाईपढ़ें: पटेल मूर्ति से पहले गुजरात में महात्मा मंदिर पर हुए थे करोड़ों खर्च, अब दोनों से हो रही इतनी कमाई

'सरकार मुआवजा भी पर्याप्त नहीं देती'

'सरकार मुआवजा भी पर्याप्त नहीं देती'

एक आदिवासी परिवार के मुखिया पुनाभाई तडवी ने कहा, ''वे (सरकार) चाहते हैं कि हम इस जगह से बाहर निकल जाएं, जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है। हमारे निष्कासन के बदले सरकार जमीन का पर्याप्त मुआवजा भी नहीं दे रही, जो हमारे परिवार को कुछ राहत दे देता। सरकार ने पहले भी नर्मदा बांध के लिये आदिवासियों को भगाया था। अब स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिये हमारी जमीन लेने पर तुली हुई है।''

पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के पास होंगे ये 30 नए बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट, PM मोदी करेंगे लोकार्पणपढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति के पास होंगे ये 30 नए बहुउद्देशीय प्रोजेक्ट, PM मोदी करेंगे लोकार्पण

सरकारी दावा- 60 के दशक में ही अधिग्रहण हो गया था'

सरकारी दावा- 60 के दशक में ही अधिग्रहण हो गया था'

पुनाभाई तडवी नवागाम में रहते हैं। नवागम की तरह, केवडिया, वढडिया, लिंबडी, कोठी और गोरा गाँवों में रहने वाले आदिवासी भी अपने आवासीय और खेत की जमीन से विस्थापित किए जा रहे हैं। सरकारी पक्ष का कहना है कि इन जमीनों को 1960 के दशक में ही सरकार ने अधिगृहीत कर लिया था, लेकिन वे आदिवासियों के कब्जे में रह गई थीं।''

यह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पहली ही बरसात में टपकने लगा पानी, उठ रहे सवालयह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पहली ही बरसात में टपकने लगा पानी, उठ रहे सवाल

'सरकार के पास पर्याप्त जमीन है, तो और क्यों चाहिए?'

'सरकार के पास पर्याप्त जमीन है, तो और क्यों चाहिए?'

वाघोड़िया गांव के निवासी 49 वर्षीय दिनेश तडवी ने कहा कि, "बांध और प्रतिमा का निर्माण पूरा हो गया है। हमारी बस्तियों को परेशान किए बिना पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सुविधाओं और पार्कों के निर्माण के लिए सरकार के पास पर्याप्त जमीन है। हम भी इस विकास का हिस्सा बनना चाहते हैं और अपनी आजीविका कमाना चाहते हैं।

एक गांव के पूर्व सरपंच ने कहा, 'यह विडंबना है कि सरकार यहां विकास लाना चाहती है तो इसके लिए हमें मौका देने के बजाए इस जगह को छोड़ने के लिये क्यों आदेश दे रही है। हमारी जमीन अमीर शहरी लोगों को दे रहे हैं, जो यहां होटल और मॉल बनाएंगे।'

ये भी पढ़ें: भयंकर गर्मी में भी टूरिस्ट्स के बीच ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का खुमार, रोज देखने आ रहे 10 हजार लोगये भी पढ़ें: भयंकर गर्मी में भी टूरिस्ट्स के बीच ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का खुमार, रोज देखने आ रहे 10 हजार लोग

शिकायत निवारण प्राधिकरण की अपीलें पिछले दो दशकों से लंबित

शिकायत निवारण प्राधिकरण की अपीलें पिछले दो दशकों से लंबित

पुनाभाई ने बताया कि सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित व्यक्तियों के लिए शिकायत निवारण प्राधिकरण की अपीलें पिछले दो दशकों से निरर्थक हैं, क्योंकि अधिकारियों ने उन्हें यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी जमीन नर्मदा नदी पर बांध के उद्देश्य से अधिग्रहित की गई थी।

निवारण प्राधिकरण के आदेश में उल्लेख किया गया है कि, शुरू में इसे परियोजना के लिए अधिग्रहित किया गया था। मगर, बाद में परियोजना की साइट को स्थानांतरित कर दिया गया और जमीन मुख्य बांध के डूब क्षेत्र से बाहर रह गई। सरकार अब इसे हड़पना चाहती है।'

यह भी पढ़ें: जो सरकारी आवास 40 साल पुराने हो गए हैं, उन्हें तुड़वाकर नए फ्लैट बनवाएगी गुजरात सरकार, देखेंयह भी पढ़ें: जो सरकारी आवास 40 साल पुराने हो गए हैं, उन्हें तुड़वाकर नए फ्लैट बनवाएगी गुजरात सरकार, देखें

हाईकोर्ट में जनहित याचिका में यह बातें कही गईं

हाईकोर्ट में जनहित याचिका में यह बातें कही गईं

हाल ही में गुजरात उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (पीआईएल) भी दायर की गई, जिसमें आदिवासियों को उनके खेतों और पैतृक घरों से बेदखल करने पर आपत्ति जताई गई, जहां उनके परिवार सदियों से रह रहे हैं। जनहित याचिका में कहा गया है कि, इन गांवों की जमीनों का अधिग्रहण करने का आदेश दिया गया था, लेकिन ग्रामीणों के पास कब्जा बना हुआ है।

यह भी पढ़ें: स्टैचू ऑफ यूनिटी के पास 22 KM में स्थापित होंगी 30 नई परियोजनाएं, PM मोदी करेंगे लोकार्पणयह भी पढ़ें: स्टैचू ऑफ यूनिटी के पास 22 KM में स्थापित होंगी 30 नई परियोजनाएं, PM मोदी करेंगे लोकार्पण

19 गाँव भूमि अधिग्रहण से सीधे प्रभावित हुए

19 गाँव भूमि अधिग्रहण से सीधे प्रभावित हुए

याचिका के अनुसार, 1961-62 में नर्मदा नदी परियोजना योजना के तहत एक कॉलोनी के निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण शुरू हुआ। सभी में 19 गाँव सीधे प्रभावित हुए, जिनमें केवडिया और पाँच अन्य गाँव शामिल हैं, जहाँ आदिवासी बेदखली का सामना कर रहे हैं।

पढ़ें: टूरिस्ट्स के मन भाया गुजरात, दुनियाभर से पहुंचे पौने 5 करोड़, ये 3 जगह हुईं सबसे खासपढ़ें: टूरिस्ट्स के मन भाया गुजरात, दुनियाभर से पहुंचे पौने 5 करोड़, ये 3 जगह हुईं सबसे खास

'85% लोगों को ही मुआवजा दिया गया'

'85% लोगों को ही मुआवजा दिया गया'

मुआवजे को लेकर गांववालों का कहना है कि, जहां सरकार ने जमीनें लीं, उन 19 गांवों के 85% लोगों को मुआवजा दिया गया था और अन्य 15% को मुआवजा नहीं मिला है। आज, इन छह गांवों में 5,000 से अधिक आदिवासी रह रहे हैं। उनके पास मतदाता पहचान पत्र, आधार संख्या, बिजली बिल, अन्य दस्तावेजों के बीच संपत्ति कर हैं जो भूमि पर अपना अधिकार स्थापित करते हैं।

'सरकार गैरकानूनी रूप से जमीन हथिया रही'

'सरकार गैरकानूनी रूप से जमीन हथिया रही'

जनहित याचिका में आगे कहा गया, ''सरकार आदिवासियों को होटल, टाइगर सफारी, 33 राज्य भवन आदि बनाने के लिए विस्थापित करना चाहती है। पहले भी न तो सरकार द्वारा कब्जा लिया गया और न ही प्रभावित लोगों को कोई मुआवजा दिया गया है, फिर भी राज्य सरकार कानून के अधिकार के बिना, आदिवासी लोगों को गांवों की जमीन छोड़ने को कह रही है।'

पढ़ें: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने पहुंचे 8 लाख से ज्यादा प्रवासी, 3 महीने में हुई इतनी कमाई पढ़ें: स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को देखने पहुंचे 8 लाख से ज्यादा प्रवासी, 3 महीने में हुई इतनी कमाई

'वीआईपी के आते ही पुलिस मेरे दरवाजे पर दस्तक देती है'

'वीआईपी के आते ही पुलिस मेरे दरवाजे पर दस्तक देती है'

एक 80 वर्षीय सेवानिवृत्त प्राथमिक शिक्षक ने कहा, 'सरकार की ओर से उनको आदेश दिया जाता है कि, वह अपने किराने की दुकान को बंद कर दे, जो हेलीपैड के पास स्थित है। जब भी हमारे मुख्यमंत्री या अन्य वीआईपी लोगों का दौरा होता है तो पुलिस मेरे दरवाजे पर दस्तक देती है, मुझे अपनी दुकान बंद करने का आदेश देती है। यदि मुझे व्यवसाय करने की अनुमति नहीं है, तो मैं कहां जाऊंगा।''

यह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पहली ही बरसात में टपकने लगा पानी, उठ रहे सवालयह भी पढ़ें: दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी से पहली ही बरसात में टपकने लगा पानी, उठ रहे सवाल

'दुकान चला रहे हैं, लेकिन पर्यटक कुछ खरीदने नहीं आते'

'दुकान चला रहे हैं, लेकिन पर्यटक कुछ खरीदने नहीं आते'

बताया जाता है कि शिक्षक के एक रिश्तेदार जगदीश का चाय का स्टाल हाल ही में प्राधिकरण द्वारा नष्ट कर दिया गया था। उसने तब से स्टैच्यू आॅफ यूनिटी के पास एक और दुकान खोल ली है। जगदीश कहता है कि, केवल स्थानीय मजदूर ही चाय और नाश्ता लेने के लिए इस जगह आते हैं। पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन मेरी दुकान अभी भी मानो अछूती है।'

यह भी पढ़ें: नर्मदा के पानी पर गुजरात और मध्य प्रदेश में विवाद, CM रुपाणी ने कहा- चेता रहा हूं, धमकियां बर्दाश्त नहीं करेंगेयह भी पढ़ें: नर्मदा के पानी पर गुजरात और मध्य प्रदेश में विवाद, CM रुपाणी ने कहा- चेता रहा हूं, धमकियां बर्दाश्त नहीं करेंगे

इन गांवों में हो रहा भूमि अधिग्रहण

इन गांवों में हो रहा भूमि अधिग्रहण

भूमि अधिग्रहण सरदार सरोवर बांध के नजदीक केवडिया में स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा के आसपास के गांवों में हो रहा है। यहां के खासतौर पर छह गांव संकट में हैं। जिनमें केवडिया, वगाडिया, कोठी, नवगाम, लिम्बडी और गोरा शामिल हैं।

26 जुलाई को यह कहा था हाईकोर्ट ने

26 जुलाई को यह कहा था हाईकोर्ट ने

हाईकोर्ट ने सरकार से इन गांवों में ‘यथास्थिति' बनाए रखने के लिए कहा था। साथ ही सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड को नोटिस भी जारी किया। मगर, अब कोई मतलब नहीं है, क्योंकि जमीन अधिग्रहण जारी रहेगा।'

Recommended Video

रेलवे द्वारा किसानों की भूमि का अधिग्रहण करने पर किसान लामबंद

यह भी पढ़ें: नर्मदा निगम ने कहा- सरदार सरोवर डैम और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 6.5 तीव्रता वाले भूकंप भी झेल लेंगेयह भी पढ़ें: नर्मदा निगम ने कहा- सरदार सरोवर डैम और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी 6.5 तीव्रता वाले भूकंप भी झेल लेंगे

Comments
English summary
Gujarat: Land acquisition near Statue of Unity, More than 5000 tribal Life in crisis
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X