लोकसभा चुनावों के बाद अब गुजरात झेलेगा बड़ा जल संकट, बांधों में महज एक तिहाई पानी शेष
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात में लोकसभा चुनाव के बाद सबसे बड़ा जल संकट आने वाला है। राज्य के बांधों में पानी घटते-घटते महज 34.41% रह गया है। यह न सिर्फ आमजन और वन्य-जीवों के लिए, बल्कि सरकार के लिए भी बड़ा संकट माना जा रहा है। गर्मी की ऋतु में अभी अप्रैल ही चल रहा है और जुलाई-अगस्त आते-आते सूबे में पानी को लेकर हाहाकार मच सकता है। ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, कुछ इलाकों में अभी से पानी की किल्लत है।
राज्य के कुल 204 बांधों में केवल 34.41 प्रतिशत पानी बचा
सरकार के विभागों की बैठक में तय किया जा रहा है कि बांधों में जितना पानी है, वह पीने के लिये खर्च करना पड़ेगा। सरकार के फैसले के बाद गुजरात के किसानों को खेतों में फसलें को बचाने के लिये पानी नहीं मिलने वाला है। पिछले साल बारिश कम होने की वजह से राज्य के बांधों में कम पानी मिला था। सरकार के जल आपूर्ति विभाग के मुताबिक, राज्य के कुल 204 बांधों में केवल 34.41 प्रतिशत पानी बचा है। नर्मदा बांध जिसको गुजरात के लोंगो की जीवन रेखा कहा जाता है उसमें भी 50.82 प्रतिशत पानी है। सौराष्ट्र के 138 जलाशयों में सिर्फ 11.82 प्रतिशत पानी बचा है, वहीं कच्छ के 20 बांधों में 13.32 प्रतिशत पानी है।
उत्तर गुजरात के कुल 15 बांधो में 16.60 प्रतिशत पानी शेष
दूसरी ओर उत्तर गुजरात के कुल 15 बांधो में 16.60 प्रतिशत पानी का भंडारण है, दक्षिण गुजरात में 13 बांघो में 24.19 प्रतिशत औऱ मध्य गुजरात के 17 बांधो में 48.22 प्रतिशत पानी बचा है। पानी कम होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अभी से संकट का सामना करना पड रहा है।
राज्य के 50 से ज्यादा तालुके सूखे का सामना कर रहे
सूरत में तापी नदी में पानी है, लेकिन बाकी नदियों में पानी बहुत कम है। सौराष्ट्र में जो बांध है उसमें पानी नहीं होने के कारण पीने के पानी का संकट मंडरा रहा है। कच्छ में गांवों की हालत बहुत खराब हो चुकी है। राज्य के 50 से ज्यादा तालुके सूखे का सामना कर रहे हैं। अब राज्य के बांधो की स्थिति भी सामने आ गई है। राज्य के उपमुख्यमंत्री नितीन पटेल का कहना है कि, बांधों में बचे पानी का किस तरह से उपयोग किया जा सकता है, इसे लेकर सरकार कुछ प्लानिंग कर रही है।
गावों में पीने का पानी बडी मुश्किल से मिल रहा
गुजरात में लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर गुजरात, सौराष्ट्र औऱ कच्छ के कई इलाके पानी की कमी के कारण संकट में हैं। कई गावों में पीने का पानी बडी मुश्किल से मिल रहा है। पानी कम होने की वजह से सरकार ये सोच रही है कि बाकी पानी पीने के लिये आरक्षित किया जाए। हालांकि, सरकार ने अभी कोई फेसला नहीं लिया है, लेकिन सरकार के पास इसके अलावा कोई चारा भी नहीं है।