पहला जियोथर्मल पावर प्लांट स्थापित करने के लिए तैयार गुजरात, यहां PDPU बनवाएगा बिजली
Gujarat News, गांधीनगर। गुजरात 10-20 किलोवाट क्षमता का अपना पहला भू-तापीय ऊर्जा संयंत्र (Geothermal power plant) स्थापित करने के लिए तैयार है। धोलेरा में अपने पायलट प्रोजेक्ट में सफलता पाने के बाद, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय (PDPU) बिजली के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक बड़े भू-तापीय स्रोत को इस्तेमाल में लाने की योजना बना रहा है। सूबे में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर जियोथर्मल एनर्जी (CEGE) की रिपोर्ट के मुताबिक, सूबे में 17 ऐसे स्थानों की पहचान हो चुकी है, जहां से भूतापीय ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। बहरहाल, इनमें से धोलेरा सबसे आशाजनक है। पहला संयंत्र शुरू होते ही गुजरात भू-तापीय ऊर्जा की मदद से बिजली पैदा करने वाला देश में दूसरा राज्य हो जाएगा।
परियोजना में शामिल पीडीपीयू के अधिकारियों के मुताबिक, राज्य अब भू-तापीय नवीकरणीय ऊर्जा की खोज कर रहा है। पहला संयंत्र अगले महीने धोलेरा में काम करना शुरू कर देगा, जहां पृथ्वी के नीचे गर्म स्प्रिंग्स के रूप में मध्यम तापीय धारिता पाई गई है। यह बिजली पैदा करने के लिए आदर्श है। पीडीपीयू अब धौलेरा में गुजरात के पहले 'पैरामीट्रिक' कुएं की ड्रिलिंग करके भू-तापीय ऊर्जा का उपयोग करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए यह पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा हाल ही में संदर्भ की शर्तों को निर्धारित करने के बाद एक पर्यावरण प्रभाव आकलन अध्ययन तैयार कर रहा है।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर जियोथर्मल एनर्जी (CEGE) एवं PDPU का एक दस्ता और गुजरात सरकार द्वारा वित्त पोषित पहल का समन्वय कर रहे हैं। जिसमें 13 करोड़ रुपये की परियोजना शामिल है। इसका उद्देश्य धोलेरा में 1,500 मीटर की गहराई तक कुओं को ड्रिल करना है। राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर बिजली बनाने के लिए अक्टूबर 2013 में CEGE की स्थापना की थी। वहीं, CEGE में पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी के वैज्ञानिक और वैज्ञानिक मनन शाह का कहना है कि इसका उद्देश्य बिजली का उत्पादन करना है।"
स्टडी के बाद यह कन्फर्म हुआ कि गुजरात में सौर और पवन ऊर्जा के विपरीत भूतापीय ऊर्जा चौबीसों घंटे उपलब्ध होगी। वैसे भारत में भूतापीय ऊर्जा की क्षमता लगभग 10,000 मेगावाट है और यह अब तक अप्रयुक्त बनी हुई है। गुजरात ये कमी दूर कर सकता है। CEGE ने गुजरात में व्यापक अन्वेषण गतिविधियों पर रिपोर्ट पेश की, जिसमें 17 मीठे स्थानों की पहचान की हुई, धोलेरा सबसे आशाजनक रही। CEGE के प्रमुख ने कहा कि, हम भू-तापीय ऊर्जा की मदद से बिजली पैदा करने का प्रयास शुरू करने वाले देश के पहले हैं।
प्रारंभ में धोलेरा, उनाई, गांधार, तुवा, चबसर और तुलसीश्याम सहित छह स्थलों की पहचान पीईजीई द्वारा की गई थी। हालांकि, CEGE वर्तमान में अन्वेषण गतिविधियों के लिए तीन साइटों - धोलेरा, गांधार और उनाई पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। धोलेरा में दो भूतापीय बोरवेल ड्रिल किए गए थे जहाँ पानी का तापमान 47-60 डिग्री सेल्सियस पाया गया था। कुएं के गर्म पानी का उपयोग ऑर्गेनिक रैंकिन साइकिल (ओआरसी) नामक तकनीक का उपयोग कर बिजली उत्पादन के लिए किया जाएगा।
CEGE ने इस महीने भारत में लाने के लिए ORC यूनिट की व्यवस्था करने के लिए फ्रेंच फर्म ENOGIA से भी हाथ मिलाया है। योजनाएं गंधार क्षेत्र में ओएनजीसी कुओं का दोहन करने के लिए बनाई गई हैं, जहां तापमान बहुत अधिक है और मेगावॉट पैमाने पर भू-तापीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए उपयुक्त है।