Soil Day: सिर्फ हवा-पानी ही नहीं, मिट्टी के बिना भी जीवन की कल्पना नामुकिन, क्यों जरूरी है मिट्टी बचाओ आंदोलन
World Soil Day: दुनियाभर में हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है। मिट्टी ग्रह पर सबसे अधिक जलवायु के अनुकूल तत्व है। मिट्टी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
World soil day 2022: विश्व मृदा दिवस यानी वर्ल्ड सॉइल डे हर साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 5 दिसंबर को मनाया जाता है। दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 68वीं सामान्य सभा की बैठक में 05 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाने का फैसला किया गया था। इस दिन की सिफारिश पहली बार 2002 में इंटरनेशनल यूनियन ऑफ सॉइल साइंसेज (IUSS) द्वारा की गई थी। जिसके बाद दिसंबर 2013 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 2014 को पहले आधिकारिक विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया था। विश्व मृदा दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य खाद्य सुरक्षा, कृषि के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन के शमन, गरीबी उन्मूलन और मानव विकास में मिट्टी के महत्व के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाना है।
क्या है साल 2022 की विश्व मृदा दिवस की थीम?
साल 2022 की विश्व मृदा दिवस की थीम है, 'मृदा: जहां भोजन शुरू होता है'। इस थीम के जरिए संयुक्त राष्ट्र मिट्टी जीवन के लिए कितना महत्वपूर्ण है, ये बताना चाहती है। हमारे भोजन का 95 फीसदी चीजें मिट्टी से ही आती हैं। इसलिए मिट्टी का संरक्षण जरूरी है।
जानिए क्या है 'मिट्टी बचाओ आंदोलन'
-भारत
में
मिट्टी
बचाओ
आंदोलन
की
शुरुआत
साल
1977
में
मध्य
प्रदेश
के
होशंगाबाद
से
हुई
थी।
-मध्य
प्रदेश
के
होशंगाबाद
में
तवा
बांध
की
वजह
से
खेती
करने
वाली
मिट्टी
दलदल
होती
जा
रही
है।
-इसलिए
होशंगाबाद
के
किसानों
ने
मिट्टी
बचाओं
आंदोलन
की
शुरुआत
की।
-05
जून
2022
को
पर्यावरण
दिवस
के
मौके
पर
दिल्ली
में
भी
'मिट्टी
बचाओ
आंदोलन'
नाम
से
एक
कार्यक्रम
आयोजित
किया
गया
था।
-इस
कार्यक्रम
को
पीएम
नरेंद्र
मोदी
ने
संबोघित
किया
था
और
मिट्टी
बचाने
के
लिए
लोगों
को
जागरूक
किया
था।
विश्व मृदा दिवस फैक्ट्स
-हमारा 95 प्रतिशत भोजन मिट्टी से मिलता है।
-पृथ्वी पर मनुष्यों की तुलना में एक चम्मच मिट्टी में अधिक जीवित जीव हैं।
-18
प्राकृतिक
रूप
से
पाए
जाने
वाले
रासायनिक
तत्व
पौधों
के
लिए
आवश्यक
हैं,
जिसमें
15
रासायनिक
तत्व
मिट्टी
से
मिलते
हैं।
-2050
में
वैश्विक
खाद्य
मांग
को
पूरा
करने
के
लिए
कृषि
उत्पादन
में
60
प्रतिशत
की
वृद्धि
करनी
होगी।
-टिकाऊ मिट्टी प्रबंधन के माध्यम से 58 प्रतिशत तक अधिक भोजन का उत्पादन किया जा सकता है।
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