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Siddique Kappan: दंगा फैलाने की साजिश, UAPA के तहत केस, जानें क्या हैं सिद्दीक कप्पन पर आरोप

तकरीबन 28 महीने जेल में रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को फिलहाल जमानत मिल गई है। कप्पन पर साम्प्रदायिक दंगा फैलाने की साजिश का आरोप है।

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what charges against Siddique Kappan Kerala Journalist case under UAPA

Siddique Kappan: केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को 2 फरवरी को जेल से रिहाई मिल गयी है। 2 साल 3 महीना 26 दिन जेल में बिताने के बाद कप्पन को रिहा किया गया है। सिद्दीक कप्पन पर उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए एक रेप कांड के बाद जनता को भड़काने सहित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगे थे। उसे यह जमानत उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से मनी लॉन्ड्रिंग केस में मिली है।

इससे पहले उसपर लगे अन्य आरोपों में भी सुप्रीम कोर्ट जमानत दे चुका है। अब हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद PMLA कोर्ट के विशेष न्यायाधीश संजय शंकर पांडे ने कप्पन को एक-एक लाख रुपये की दो जमानतें और इसी धनराशि का मुचलका दाखिल करने पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। गौरतलब है कि गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस की SIT (पूरे मामले की जांच वाली टीम) ने सिद्दीक कप्पन के खिलाफ 5000 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी।

कौन है सिद्दीक कप्पन?

सिद्दीक कप्पन केरल के मल्लपुरम जिले के वेंगारा का रहने वाला है। साल 1998 में कालीकट विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा पूरी करने के बाद वह सऊदी अरब में जेद्दा चला गया। इसके बाद, साल 2007 में उसने विकिपीडिया पेजों का संपादन शुरू किया। जेद्दा से वह कब भारत लौटा, इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। हालांकि, साल 2012 में एक पत्रकार के रूप में उसने अपने गृहनगर से प्रकाशित होने वाले अखबार में नौकरी करना शुरू कर दिया। फिर साल 2013 में, कप्पन ने जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रवेश लिया और मार्च 2014 में अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद, मलयालम दैनिक 'तेजस' के साथ उसने उप-संपादक के रूप में काम करना शुरू किया। तेजस का प्रकाशन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के माध्यम से होता था और 2014 में इसके प्रिंट संस्करण को बंद कर दिया गया। फिर, दिसंबर 2018 में तेजस में वित्तीय संकट के चलते कप्पन ने अपनी नौकरी गंवा दी। इसके बाद एक अन्य समाचार पत्र 'थलसामयम' के लिए ब्यूरो इंचार्ज के रूप में काम किया। वह भी जल्दी बंद हो गया। जनवरी 2020 से कप्पन ने मलयालम समाचार पोर्टल - azhimukham.com को ज्वाइन किया। इसके अलावा, वह केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) की दिल्ली इकाई का सचिव भी है।

क्या है सिद्दीक कप्पन का पूरा केस?

उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की के साथ 14 सितंबर 2020 को दुष्कर्म किया गया था। जिसकी मौत के बाद पूरे जिले में तनावपूर्ण माहौल हो गया था। इसी तनावपूर्ण माहौल में 5 अक्टूबर 2020 को यूपी पुलिस ने चार लोगों को मथुरा में गिरफ्तार किया था। पुलिस के मुताबिक दिल्ली से मथुरा जा रहे इन लोगों की जब जांच की गई तो इनके पास से कानून व्यवस्था को प्रभावित (हिंसा फैलाने वाली सामग्री) करने वाले साहित्य को जब्त किया गया। जिन 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया, उसमें सिद्दीक कप्पन और उसके साथी अतीक रहमान (25), मसूद अहमद (26) और आलम (26) भी शामिल थे। यह तीनों क्रमशः मुजफ्फरनगर, बहराइच और रामपुर के रहने वाले हैं।

जांच के दौरान ही सिद्दीक का दावा था कि वह केरल की एक वेबसाइट के लिए काम करने वाला पत्रकार है। वह रिपोर्टिंग के लिए हाथरस जा रहा था। जबकि यूपी पुलिस के मुताबिक सिद्दीक प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का कार्यालय सचिव है। यहां यूपी पुलिस का आरोप है कि कप्पन को PFI की ओर से वित्तीय सहायता भी मिली है और वह पत्रकार के रुप में अंडरकवर रहकर काम कर रहा था। वहीं उसके साथ गिरफ्तार किए गए बाकी तीनों लोग पीएफआई के छात्र संगठन कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सक्रिय सदस्य हैं।

सिद्दीक कप्पन पर ये हैं धाराएं

सिद्दीक कप्पन और अन्य पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) की धारा 17 और 18, धारा 124ए (देशद्रोह), धारा 153ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और आईपीसी की धारा 295ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत आरोप लगाये गये थे। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 65, 72 और 75 भी लगाई गई थी। साथ ही मनी लॉन्ड्रिंग के तहत भी कार्रवाई शुरू की गई थी।

PFI से पैसे लेने का आरोप?

सिद्दीक कप्पन के खिलाफ फरवरी 2021 में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामला दर्ज किया था। केंद्रीय एजेंसी ने कप्पन, रहमान, अहमद और आलम पर दंगा भड़काने के लिए प्रतिबंधित संगठन PFI से पैसा लेने का आरोप लगाया था। जांच के दौरान ईडी ने दावा किया था कि हाथरस मामले के बाद माहौल खराब करने के लिए PFI सदस्यों को 1.38 करोड़ रुपये दिये गये थे।

25 लाख के गबन का आरोप

सिद्दीक कप्पन जिस केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) की दिल्ली इकाई का सचिव है। उस पर वित्तीय धोखाधड़ी का मामला भी चल रहा है। दरअसल, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने 2 दिसंबर 2018 को राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि केरल के प्रेस क्लबों में सरकारी धन के लगभग 3 करोड़ रुपयों से अधिक की हेराफेरी की गई हैं। इस आरोप के बाद, प्रेस क्लबों द्वारा सरकारी धन के उपयोग पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांग ली गयी।

कुछ दिनों बाद यह मामला केरल हाई कोर्ट में पहुंच गया। अब राज्यपाल और हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन निदेशक यू.वी. जोस ने विभाग के उप-निदेशकों को गबन में शामिल प्रेस क्लबों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके बाद राज्य सतर्कता विभाग ने प्रेस क्लबों में भ्रष्टाचार और धन की हेराफेरी की जांच की।

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जांच में पाया गया कि केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ), जिसका सचिव सिद्दीक कप्पन है, उसे 2012 में दिल्ली में ऑफिस एवं लाइब्रेरी बनवाने के लिए 25 लाख रुपये की सरकारी धन राशि दी गयी थी। गौरतलब है कि आजतक न तो कोई ऑफिस बना और न ही कोई लाइब्रेरी। इसलिए कप्पन पर 25 लाख रुपये के सरकारी फंड के गबन का भी आरोप लग चुका है।

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English summary
what charges against Siddique Kappan Kerala Journalist case under UAPA
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