Indians in USA: अमेरिका में गूंजा भारतीयों का डंका, अब अमेरिकी नेता भी करने लगे भारतीय समुदाय की तारीफ
भारतीयों के काम को लेकर अक्सर दुनिया के किसी न किसी देश में प्रशंसा मिलती रहती हैं। इस बार अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स में एक अमेरिकी सांसद ने भारतीय समुदाय की तारीफ के कसीदें पढ़ें हैं।
Indians in USA: अमेरिकी सांसद रिच मैकॉर्मिक ने 'हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स' में अपनी पहली स्पीच में भारतीयों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि भारतीयों का अमेरिकी आबादी में केवल 1 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन वे कुल टैक्स का 6 प्रतिशत हिस्सा देते हैं। सांसद ने जोर देते हुए कहा कि ये समुदाय देश में कभी कोई समस्या पैदा नहीं करता है और सभी कानूनों का पालन करता है। भारतीय ज्यादातर फैमिली ओरिएंटेड होते हैं, इसलिए उन्हें डिप्रेशन, एंक्साइटी जैसी समस्याएं नहीं होती। जबकि अमेरिकियों में ये आम समस्याएं हैं।
रिच मैकॉर्मिक अमरीकी संसद में जॉर्जिया के सांसद है। उन्होंने आगे कहा कि मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहूंगा जो भारत से अमेरिका आए। जॉर्जिया में करीब एक लाख भारतीय रहते हैं। यहां हर 5 में से एक भारतीय डॉक्टर है। इनका रोल अहम है। ये बड़ी बात है। हम कोशिश करेंगे कि भारतीयों के लिए इमिग्रेशन प्रोसेस आसान हो सके।
कई अमेरिकी नेता कर चुके हैं भारतीयों की तारीफ
दिसंबर 2022 में ही एस्पन सिक्योरिटी फोरम में भारत को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में ह्वाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी कैंपबेल ने कहा कि भारत नई इबारतें लिख रहा है। अमेरिका को भारत को अपना मित्र बताने में गर्व की अनुभूति होती है।
अक्टूबर 2022 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक दिवाली कार्यक्रम के दौरान कहा था कि भारतीय और हिंदू मेरे सबसे अच्छे मित्र हैं। वो हमेशा मेरा साथ देते हैं।
साल 2019 में अमेरिकी राज्य टेक्सास के ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के दौरान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व प्रतिनिधि भारतीय मूल की निकी हेली ने वहां रहने वाले लोगों की जमकर तारीफ की थी। साथ ही कहा कि 50 हजार से ज्यादा अमेरिकी भारतीय लोगों का कार्यक्रम में शामिल होना एक सच्ची दोस्ती को दर्शाता है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी एक लेख में लिखा था कि भारत में एक अरब से भी ज्यादा लोग साथ-साथ रह रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं, ये पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल हो सकता है।
44 लाख भारतीय सिर्फ अमेरिका में हैं
United Nation International Migration 2020 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 18 मिलियन प्रवासी भारतीय रहते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 44 लाख लोग सिर्फ अमेरिका में रहते हैं। इनकी सबसे ज्यादा आबादी कैलिफोर्निया, टेक्सास, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, जार्जिया जैसे क्षेत्रों में हैं। वहीं आज अमेरिकी सरकार, प्रशासन और बिजनेस में भारतीयों की भागीदारी सबसे अहम है। अमेरिकी सरकार में 80 से ज्यादा भारतीय अहम पदों पर काम कर रहे हैं।
अमेरिका के राजस्व में भारतीयों का योगदान
fiscaldata.treasury.gov के अनुसार साल 2021 में, अमेरिकी सरकार का कुल राजस्व लगभग 4.03 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर था। राजस्व में व्यक्तिगत और कॉरपोरेट आय कर (टैक्स), पेरोल कर और अन्य कर शामिल हैं। अमेरिका में केवल 44 लाख भारतीय रहते हैं और वे अमेरिका के विशाल राजस्व में 6 प्रतिशत योगदान देते हैं। साल 2020-21 में ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 200,000 भारतीय छात्र अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सालाना 7.7 बिलियन अमेरीकी डॉलर का योगदान देते हैं।
अमेरिका व दुनिया में भारतीयों की ताकत
बात अगर अमेरिका में भारतीयों के प्रभाव की करें तो गूगल (सुंदर पिचई), माइक्रोसॉफ्ट (सत्य नडेला) समेत कई बड़ी-बड़ी कंपनियों के प्रमुख पदों पर भारतीय हैं। वहीं अमेरिका में तकरीबन 80 से ज्यादा ऐसे भारतीय हैं जो कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं। वहीं दुनिया की बात करें तो संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम सहित 15 से अधिक देशों में 200 से अधिक भारतीय मूल के व्यक्ति नेतृत्व के पदों पर हैं। इनमें से 60 के पास कैबिनेट रैंक भी हैं।
इन्होंने अपने 'दिमाग' से अमेरिका में छोड़ी छाप
सुंदर पिचई, सत्य नडेला, पद्मश्री वारियर, सबीर भाटिया, शांतनु नारायण ऐसे कई नाम हैं जिन्होंने अपने दम पर तकनीकी और बिजनेस के क्षेत्र में अमेरिका समेत पूरी दुनिया में भारतीयों का परचम लहराया।
सुंदर पिचई : तमिलनाडु के मदुरई में जन्में सुंदर पिचाई आज गूगल के सीईओ है। उन्होंने IIT खड़गपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से MS और व्हार्टन स्कूल ऑफ यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया से MBA भी किया। साल 2015 में उन्हें गूगल का CEO बनाया गया था।
सत्य नडेला : हैदराबाद में जन्में सत्य नडेला माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ हैं। 1988 में मनीपाल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग करने के बाद US चले गए। वहां पर उन्होंने विस्कॉनसिन मेडिसन यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की। बाद में साल 1997 में सत्य नडेला ने शिकागो बूथ यूनिवर्सिटी से MBA की डिग्री हासिल की। साल 2014 में उन्हें माइक्रोसॉफ्ट का CEO बनाया गया।
पद्मश्री वारियर : आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में जन्मी और पली-बढ़ी पद्मश्री वारियर अमेरिका में एक सफल बिजनेसवुमन हैं। वह सिस्को और मोटोरोला जैसी टेक्नोलॉजी फर्मों में काम कर चुकी है। उन्होंने 'फेबल' की स्थापना की। वहीं फोर्ब्स ने 2014 में वारियर को दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की लिस्ट में शामिल किया था। वो माइक्रोसॉफ्ट और स्पॉटिफाई के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मेंबर भी है।
सबीर भाटिया : हॉटमेल ईमेल सेवा के को-फाउंडर सबीर भाटिया एक भारतीय अमेरिकी कारोबारी हैं। चंडीगढ़ में जन्में सबीर ने बेंगलुरु में पढ़ाई की। उन्होंने 1997 में हॉटमेल को माइक्रोसॉफ्ट को बेच दिया था, जिसके बाद इसका नया नाम MSN हॉटमेल हो गया। उन्होंने फ्री मैसेजिंग सर्विस JaxtrSMS भी शुरू की। बता दें कि साल 2011 में हॉटमेल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ई-मेल प्रोवाइडर था।
शांतनु नारायण : हैदराबाद में पले-बढ़े शांतनु नारायण आज एक भारतीय अमेरिकी व्यवसायिक अधिकारी हैं। इससे पहले साल 2005 से वे इसी कंपनी में प्रेसीडेंट व सीईओ थे। वे फिलहाल अडोबी फाउंडेशन के बोर्ड के प्रेसीडेंट हैं। साल 2011 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें अपने Management Advisory Board का सदस्य नियुक्त किया था।
अमेरिका में इन भारतीय मूल के नेताओं का है दबदबा
कमला हैरिस : कमला हैरिस एक भारतवंशी अमेरिकी राजनीतिज्ञ तथा कैलिफ़ोर्निया से सीनेटर रही हैं। कमला संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रथम महिला उपराष्ट्रपति है।
अमी बेरा : अमरीश बाबूलाल या एमी बेरा एक अमेरिकी डॉक्टर और राजनीतिज्ञ और वर्तमान अमेरिका संसद में सीनेटर है। उनके पिता बाबूभाई 1958 में गुजरात से अमेरिका आ गए थे। वो 6 बार कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी के टिकट पर जीते।
राजा कृष्णमूर्ति : पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के करीबी माने जाने वाला राजा कृष्णमूर्ति का जन्म 19 जुलाई 1973 को नई दिल्ली में हुआ था। जब वे तीन महीने के थे जब उनके माता-पिता अमेरिका आकर बस गए। राजा साल 2004, 2008 के चुनाव के वक्त पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार थे। वे पेशे से वकील और इंजीनियर है। फिलहाल राजा शिकागो वेस्ट से जीते हुए सांसद है।
रो खन्ना : रो खन्ना कैलिफोर्निया से 4 बार सांसद बन चुके है। उनके माता-पिता भारत के पंजाब से US में आकर बसे थे। उनके दादा एक फ्रीडम फाइटर थे। 2017 से वह कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद है।
प्रमिला जयपाल : चेन्नई में जन्मी प्रमिला जयपाल वाशिंगटन क्षेत्र से डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से 4 बार सांसद रह चुकी है। वो जब 16 वर्ष की थीं तब अमेरिका आई थी। उनकी कॉलेज की पढ़ाई यहीं से की। फिर उन्होंने फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर अपनी सेवाएं दी। इसके बाद साल 1991 में पब्लिक सेक्टर से जुड़ने से पहले उन्होंने मार्केटिंग, मेडिकल और सेल्स फील्ड में अपनी सेवाएं दी है। उन्हें दिसंबर 2020 में अमेरिकी संसद के कांग्रेशनल प्रोग्रेसिव कॉकस (CPC) की अध्यक्ष के तौर पर भी चुना गया था।
अब तो US में भारतीय त्यौहार पर मिलेगी छुट्टी
अमेरिका में भारतीयों की ताकत को आप ऐसे भी देख सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के स्कूलों में अब दिवाली की छुट्टी मिल सकती है। इस दिन को वहां राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने का एक बिल भी अमेरिकी कांग्रेस में लंबित है। साल 2016 में, सात वर्षों के लगातार प्रयासों के बाद अमेरिकी पोस्टल सर्विस ने दिवाली पर डाक-टिकट जारी किया, जिसके डिजाइन में सुनहरी पृष्ठभूमि पर दीए की तस्वीर है।
साल 2003 में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने दिवाली पर शुभकामनाएं देना शुरू किया जिसके बाद यह लगातार जारी है। 4 नवम्बर 2010 को राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस में दिवाली के मौके पर एक सन्देश जारी कर कहा कि कल, हिंदू, जैन, सिख और कुछ बौद्ध, यहां अमेरिका और दुनिया भर में, दीवाली - रोशनी के त्योहार की छुट्टी मनाएंगे। यह एक ऐसा दिन है जब दुनिया के सबसे पुराने धर्मों के अनुयायी बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं।
इसके बाद से भूतपूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन हर साल दिवाली पर अपनी शुभकामनाएं भेजते हैं और व्हाइट हाउस में दीपक भी जलाते हैं। वहीं उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अपने आवास पर दीपावली मिलन कार्यक्रम करती हैं और जमकर पटाखें और दिए जलाती हैं। साल 2007 में अमेरिका की कांग्रेस ने दिवाली को महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मान्यता देते हुए उसके ऐतिहासिक महत्व को स्वीकार किया था।
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