जानिए हाफिज सईद ने कब और क्यों की थी लश्कर-ए-तैयबा की शुरुआत
वर्ष 1987 में अफगानिस्तान से हुई थी लश्कर-ए-तैयबा की शुरुआत। हाफिज सईद के अलावा अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल नामक दो और व्यक्तियों की कोशिशों का नतीजा था यह आतंकी संगठन।
इस्लामाबाद। अमेरिका ने बुधवार को आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की स्टूडेंट विंग अल-मोहम्मदिया को आतंकी संगठन करार दिया और इसके दो टॉप लीडर्स को बैन कर दिया। वर्ष 2001 में अमेरिका ने लश्कर को आतंकी संगठन करार दिया था।
लश्कर जिसका मतलब होता है 'अच्छे लोगों की सेना,' आज अपने शब्द के मतलब से एकदम अलग ही काम कर रहा है। आज यह आतंकी संगठन कश्मीर और भारत में कई आतंकी वारदातों के लिए जिम्मेदार है। इस संगठन ने भारत को मुंबई हमलों जैसे आतंकी हमलों का दर्द दिया है।
इस संगठन का आका हाजिफ सईद इस बात से इंकार कर देता है कि वह इस आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ है। जबकि हकीकत यह है कि आज उसकी अगुवाई में पीओके में लश्कर-ए-तैयबा के कई ट्रेनिंग कैंप्स चल रहे हैं। पंजाब प्रांत के लाहौर के पास मुरीदके में इसका हेडक्वार्टर है। आइए आपको बताते हैं कि यह संगठन क्या है और इसकी शुरुआत कैसे हुई।
कब हुई शुरुआत
लश्कर-ए-तैयबा की शुरुआत अफगानिस्तान के कुन्नार प्रोविंस में वर्ष 1987में हुई थी। लश्कर का मतलब होता है अच्छाई की सेना। इसे हाफिज सईद के अलावा इस संगठन को शुरू करने में अब्दुल्ला आजम और जफर इकबाल नामक दो और व्यक्ति शामिल थे।
लादेन की फंडिंग
अल कायदा के जिस आतंकी ओसामा बिन लादेन को पाकिस्तान ने पनाह दी थी, उसी लादेन ने लश्कर के लिए फंडिंग की थी। इस आतंकी संगठन का हेडक्वार्टर लाहौर के पास पंजाब प्रांत के मुरीदके में स्थित है।
क्या था लश्कर का मकसद
हाफिज सईद ने लश्कर की शुरुआत ही कश्मीर में जेहाद की शुरुआत के मकसद से की थी। लश्कर ने 90 के दशक में घाटी में पर्चे बांटे जिन पर लिखा था,'आखिर क्यों हम जेहाद की शुरुआत करना चाहते हैं।' इन पर्चों में भारत के बाकी हिस्सों में इस्लामिक शासन बहाली की बात भी कही गई थी। इसके अलावा पूरे साउथ एशिया को इस्लामिक स्टेट में तब्दील करना भी इसका एक मकसद था।
अमेरिका ने कहा आतंकी संगठन
पांच दिसंबर 2001 में अमेरिका ने इसे अपनी आतंकी लिस्ट में शामिल किया। भारत ने भी इसे एक कानून के तहत बैन कर दिया था। 26 दिसंबर 2001 को अमेरिका ने इसे एफटीओ यानी फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन करार दिया।
ब्रिटेन और रूस ने भी किया बैन
30 मार्च 2001 को ब्रिटेन ने इसे प्रतिबंधित संगठन करार दिया। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने भी इसे बैन किया हुआ है। पाकिस्तान ने हालांकि इस संगठन को बैन किया हुआ है लेकिन भारत समेत कई पश्चिमी देशों का मानना है कि आज भी पाक की इंटेलीजेंसी एजेंसी आईएसआई इसे मदद करती रहती है।
चार वर्ष बाद यूएन का बैन
अमेरिका और ब्रिटेन के प्रतिबंध के करीब चार वर्ष बाद यूनाइटेड नेशंस ने मई 2005 में इस पर बैन लगाया।
जब मुशर्रफ ने किया बैन
आज जो परवेज मुशर्रफ लश्कर और हाफिज का समर्थन करते हैं तख्तापलट के तीन वर्ष बाद यानी 12 जनवरी 2002 को इस संगठन को बैन कर दिया था।
फिर हुई जेयूडी की शुरुआत
पाकिस्तान ने जब लश्कर को बैन किया तो हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा (जेयूडी) की शुरुआत कर डाली। वर्ष 2008 में मुंबई आतंकी हमलों के बाद हाफिज सईद ने जमात-उद-दावा को चैरिटेबल ट्रस्ट के नाम पर शुरू किया। आज भी इस संगठन को हाफिज और पाक दोनों ही चैरिटेबल ट्रस्ट बताते हैं। जबकि अमेरिका और यूनाइटेड नेशंस ने इसे बैन किया हुआ है।
कश्मीर में पहली दस्तक
जम्मू कश्मीर में लश्कर की पहली दस्तक वर्ष 1993 में महसूस की गई जब पाकिस्तान के 12 आतंकियों ने अफगानिस्तान के नागरिकों के साथ मिलकर एलओसी पार की थी। इस्लामी इंकलाबी महाज इस नाम के आतंकी संगठन के साथ जम्मू के पुंछ में सक्रियता बढ़ा दी।
कैसे होती है फंडिंग
रिपोर्ट्स में जो बातें सामने आई हैं उनके मुताबिक पाक की ओर से 1990 और 1995 के मध्य इस संगठन को फंड भेजा जाता था। आईएसआई लश्कर की फंडिंग करती थी। वर्ष 2002 तक लश्कर ने चैरिटी के बहाने पैसा कलेक्ट करना शुरू कर दिया। लश्कर को पर्शियन गल्फ, यूनाइटेड किंगडम के साथ पाकिस्तान और कश्मीर के कुछ बिजनेसमैन से भी पैसा मिलता है।
मिलिट्री बजट
संगठन का मिलिट्री बजट 2009 तक पांच मिलियन डॉलर तक बढ़ गया था। इस मिलिट्री बजट में आतंकियों की ट्रेनिंग और उनके लिए हथियार जैसी चीजें शामिल हैं।
कहां-कहां आतंकी शिविर
लश्कर के आतंकी कैंप्स पाकिस्तान के कई हिस्सों में मौजूद हैं। लश्कर के बेस कैंप मरकज-ए-तैयबा के नाम से जाना जाता है। यह मुरीदके में ही है और इसके अलावा मनशेरा में एक ट्रेनिंग कैंप नए आतंकियों को ट्रेनिंग देने के लिए है। लश्कर ने वर्ष 1987 में अफगानिस्तान में अपना पहला ट्रेनिंग कैंप शुरू किया था।