
'मौत को दुल्हन' कहने वाले भगत सिंह की जयंती आज, PM मोदी ने भी किया याद, पढ़ें अनमोल विचार
न्यूज डेस्क, 28 सितंबर। आज आजादी के मतवाले और मौत को अपनी दुल्हन कहने वाले शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती है। मां भारती के इस वीर लाल के आगे पूरा देश नतमस्तक है। देश को अंग्रेजों को चंगुल से आजाद कराने के लिए भगत सिंह ने उस उम्र में मौत को गले लगा लिया, जिस उम्र में लोग अपने सुखद जीवन के सपने संजोते हैं।
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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के इस वीर को याद किया है। उन्होंने ट्वीट किया है कि ' मैं शहीद भगत सिंह जी को उनकी जयंती पर नमन करता हूं। उनका साहस हमें हर पल प्रेरित करता है। हम अपने राष्ट्र के लिए उनके दृष्टिकोण को साकार करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।'

मालूम हो कि देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह का जन्म 1907 में 28 सितंबर को हुआ था। 13 अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड ने एक पढ़ने लिखने वाले सिख लड़के की सोच को ही बदल दिया और उनका मन अहिंसावादी आंदोलन से उचट गया और उन्होंने ईट का जवाब पत्थर से देने की ठान ली और उन्होंने 1926 में देश की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की। 23 मार्च 1931 की रात भगत सिंह को सुखदेव और राजगुरु के साथ लाहौर षडयंत्र के आरोप में अंग्रेजी सरकार ने फांसी पर लटका दिया था।

वो भले ही आज हमारे बीच सशरीर मौजूद नहीं लेकिन उनके विचार हर सच्चे भारतीय के दिल में आज भी धड़कते हैं। भगत सिंह का कहा हर एक शब्द इंसान के अंदर ऊर्जा और जोश को तो भरते ही हैं साथ ही कुछ कर गुजर जाने की प्रेरणा भी देते हैं।
पढ़ें: शहीद-ए-आजम भगत सिंह के क्रांतिकारी विचार
- कठोरता एवं आजाद सोच ये दो क्रांतिकारी होने के गुण है।
- क्रांति में सदैव संघर्ष हो यह जरुरी नहीं| यह बम और पिस्तौल की राह नहीं है।
- सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।
- राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है,मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।
- जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
- कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है,जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे।
- यदि बहरों को सुनना है तो आवाज तेज करनी होगी . जब हमने बम फेंका था तब हमारा इरादा किसी को जान से मारने नहीं था,हमने ब्रिटिश सरकार पर बम फेंका था. ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़ना होगा और उसे स्वतंत्र करना होगा।
- व्यक्तियों को कुचल कर, वे विचारों को नही मार सकते।
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I bow to Shaheed Bhagat Singh Ji on his Jayanti. His courage motivates us greatly. We reiterate our commitment to realise his vision for our nation. pic.twitter.com/0mxyWEcqEo
— Narendra Modi (@narendramodi) September 28, 2022