पठानकोट पर पाकिस्तान को भारत के 72 घंटे के अल्टीमेटम का 'पोस्टमार्टम'
लखनऊ। पठानकोट में आतंकियों द्वारा एयरबेस पर हमले के दौरान भारत की एक अलग तस्वीर दिख रही थी। हालांकि उस तस्वीर में अभी भी कुछ ज्यादा फेरबदल नहीं हुए हैं। शहीदों के परिवारवालों की तकदीर तो बदल ही गई। उनके हिस्से आंसुओं का सैलाब तो आ ही गया। शहीदों के बच्चे अब अपने पिता को स्वर्गीय के तमगे के साथ जोड़कर देखना भी सीख लेंगे।
पठानकोट: आतंकी अपने साथ लाए थे पाकिस्तान निर्मित पेनकिलर, खजूर और पॉवर बढ़ाने की दवा
बहरहाल न्यूज चैनल्स घटना पर अलग अलग नजरिया चिपकाकर टीआरपी पीटने में लगे हैं। जख्म कुरेदने में लगे हैं। सरकार के फैसलों को धता साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। हां यह संभव भी है कि कमी हर सिरे से रही। तभी तो सात जवानों को अपना जान गंवानी पड़ी।
'चाय के बदले 7 जवान शहीद हो गए, कुछ तो सीख लें मोदी'
इन कमियों को आर्यवत, यूपी के हेड हिमांशु तिवारी 'आत्मीय' गहनता से देखा है आईये नीचे की स्लाइडों के जरिये डालते हैं पाक को दिए गए 72 घंटे के अल्टीमेटम का 'पोस्टमार्टम' के बारे में..
पहली कमी: कब मारे जाएंगे आतंकी
पठानकोट में हमले की खबर ने भारत की जनता के कान खड़े कर दिए। सवाल उठने लगे कि कब मारे जाएंगे आतंकी। मिशन खत्म करने में इतनी देर क्यों लग रही है? क्या लापरवाही बरत रही है सरकार? क्या आतंकी भारतीय सेना से ज्यादा काबिल हैं?
सेना को धोखा?
कहीं आतंकी कहें या फिर चरमपंथी सेना को धोखा देकर जनता को तो नहीं नुकसान पहुंचा देंगे? वहीं दूसरी ओर आतंकियों के बारे में सेना को कोई पुख्ता जानकारी भी नहीं थी। दरअसल हम जिस जानकारी की बात कर रहे हैं उसमें आतंकियों की संख्या शामिल है। उनके पास हथियारों का जखीरा कितना है।
दूसरी कमी-आतंकियों को जिंदा पकड़ने का एक अहम टास्क?
इन सारी कमियों के साथ सेना के जवानों के द्वारा आतंकियों को जिंदा पकड़ने का एक अहम टास्क भी था। जिससे वे आतंकियों की सारी गतिविधियों का पता लगा सके। उनकी संख्या जान सकें? पर जल्दबाजी और सारी की सारी हरकतों से अनभिज्ञता के कारण भारत में शहादत पसर गई। जी हां ये एक कयास है अगर कदम सावधानी और सुरक्षा के मद्देनजर उठाया जाता तो कोई भी न शहीद होता और आतंकियों को उनकी असल जगह पहुंचाने की खुशी भी होती।
नीति पर सवाल तो नीयत पर प्रश्नवाचक?
बहरहाल आतंकी हमले की नापाक हरकत किसने रची इसके तमाम सबूत भारत के पास हैं। सबूतों से इस बात की पुष्टि होती है कि ये नापाक हरकत फिर से पाक से ही की गई और साजिश रचने वाला आतंकी संगठन जैश ए मुहम्मद था।
प्रयास या खानपूर्ति?
इन सबके इतर भारत सरकार के द्वारा पाकिस्तान को वो तमाम सबूत भी सौंपे गए हैं जिनके आधार पर पाकिस्तान कार्यवाही कर सकें। हालांकि अब कार्यवाही की दिशा में सच में प्रयास होंगे या फिर महज खानापूर्ति के तौर पर काम किया जाएगा इस बात के साथ ही जहन में कुछ नए सवाल फिर से खड़े हो जाते हैं।
भारत ने दिये 72 घंटे
खबर है कि मोदी सरकार ने पाकिस्तान को जैश के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए 72 घंटे का समय दिया है। वहीं अंग्रेजी अख़बार ‘बिज़नेस स्टैंडर्ड' की रिपोर्ट के मुताबिक पठानकोट हमले के चलते आगामी 15 जनवरी को होने वाली भारत-पाक विदेश सचिव वार्ता रद्द की जा सकती है। अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस्लामाबाद को स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वार्ता रद्द होना तय है।
अल्टीमेटम के लिए दायरा क्यों नहीं बढ़ाती सरकार?
पठानकोट हमले के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान में उच्चायुक्त रह चुके कूटनीतिज्ञों की एक बैठक बुलाई थी, जिसमें उनसे ताजा घटनाक्रम पर राय मांगी गई थी। लेकिन सवाल सिर्फ और सिर्फ पठानकोट पर आकर क्यों सिमट जाता है? पाक की नापाक हरकतें तो लंबे समय से चल रही हैं।
अल्टीमेटम को कुछ और क्यों नहीं बढ़ाया जाता?
पाकिस्तान के साथ वार्ता को रद्द करने के लिए अल्टीमेटम को कुछ और क्यों नहीं बढ़ाया जाता। लगातार सीज फायर का उल्लंघन, अनंतनाग में हुए हमले और श्री नगर में आतंकियों की घुसपैठ का मुद्दा क्यों नहीं शामिल किया जाता?
क्या पाकिस्तान मौलाना मसूद अजहर को भारत को सौंप देगा?
बहरहाल अगर कार्यवाही कर भी दी पाकिस्तान ने तो क्या जैश ए मुहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अजहर को भारत को सौंप देगा। शायद इसका जवाब नहीं में ही होगा। अगर पाकिस्तान ने जैश ए मुहम्मद के मुखिया को नजरबंद कर भी दिया तो इस बात का क्या सबूत है कि उसे आजाद नहीं किया जाएगा। फिर से अजहर अजगर बन भारत के खिलाफ जहर नहीं उगलेगा।
कौन है अजहर ‘अजगर’?
-मौलाना
मसूद
अजहर
आतंकी
संगठन
जैश
ए
मुहम्मद
का
प्रमुख
है।
-ये
वही
अजहर
है
जिसे
17
साल
पहले
1999
में
कंधार
विमान
अपहरण
-मामले
में
भारत
ने
रिहा
किया
गया
था।
-जसवंत
सिंह
खुद
अजहर
को
रिहा
करने
के
लिए
लेकर
गए
थे।
मौलाना मसूद अजहर
-24
दिसंबर
1999
को
5
हथियारबंद
आतंकियों
ने
178
यात्रियों
के
साथ
इंडियन
एयरलाइंस
के
हवाई
जहाज
आईसी-814
को
हाईजैक
कर
लिया
था।
-हरकत
उल
मुजाहिद्दीन
के
आतंकियों
ने
भारत
सरकार
के
सामने
178
यात्रियों
की
जान
के
बदले
में
अपने
तीन
साथियों
की
रिहाई
का
सौदा
किया
था।
-इसमें
मौलाना
मसूद
अजहर,
जरगर
समेत
उमर
सईद
शेख
भी
शामिल
था।
पाकिस्तान ने दी पनाह
रिहाई के बाद पाकिस्तान के कराची में 31 जनवरी 2000 को मौलाना मसूद अजहर ने जैश ए मुहम्मद के साथ आतंक की दुनिया में फिर से कदम रखा। इससे पहले वह हरकत उल मुजाहिद्दीन के साथ आतंक फैला रहा था। दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हमले के मामले में अजहर को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन लाहौर हाईकोर्ट के आदेश पर उसे 2002 में आजाद भी कर दिया गया।
पाकिस्तान करेगा कुछ?
मौत की चालों को भारत ही क्या, अन्य देशों के खिलाफ बिछाकर शांति भंग करने वाला एक खतरनाक आरोपी है अजहर। लेकिन उस पर कार्यवाही को पाकिस्तान के कंधों पर टांगना महज दिखावे के इतर और कुछ नहीं समझ आता। जानकारों के मुताबिक भारत सरकार को पाकिस्तान सरकार के साथ इस बात को उठाना होगा कि दोनों देश मिलकर पाकिस्तान में तमाम आतंकी संगठनों को निश्तनाबूत कर दें।
पाकिस्तान पर कैसे करें भरोसा?
आतंकियों की गिरफ्तारी कांधार कांड को जन्म देती है तो पाकिस्तान पर भरोसा अजहर की रिहाई को। इन विकल्पों को डिक्शनरी से मिटाते हुए सीधे खात्मे के विकल्प पर ही मुहर लगानी होगी। तभी पेशावर को श्मशान बनने का डर नहीं सताएगा, मासूम बच्चों की हिफाजत असल मायने में हो सकेगी। पठानकोट और 26/11 जैसे दिल को हिला देने वाले हमलों का खौफ लोगों के दिलों से खत्म होगा।
जानिये आखिर क्यों जानबूझकर लंबा खींचा गया था पठानकोट ऑपरेशन
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