NRC Row:क्या है असम अकॉर्ड जो लगातार सुर्खियों में बना है
नई दिल्ली। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेन के फाइनल ड्राफ्ट के सामने आने के बाद से लगातार इस मुद्दे पर देश में सियासी पारा हाई है और तमाम सियासी दल इस ड्राफ्ट को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साध रहे है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस से लेकर टीएमसी, सपा, बसपा सहित तमाम दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। लेकिन विपक्ष के हमले पर भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संसद में तीखा पलटवार करते हुए इस पूरे मुद्दे को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और कांग्रेस से जोड़ है। इस पूरे विवाद के बीच सबसे अधिक अगर किसी बात की चर्चा हुई है तो वह है असम अकॉर्ड यानि असम समझौता, ऐसे में आईए डालते हैं कि क्या है असम अकॉर्ड।
क्या है प्रावधान
असम अकॉर्ड 1985 में साइन किया गया था, जिसमे सरकार की ओर से इस बात का भरोसा दिया गया था कि सरकार इस बात को लेकर काफी चिंतित है कि कैसे असम में विदेशी नागरिकों की समस्या का समाधान किया जाए। जिसके बाद सरकार ने एक लिस्ट तैयार की ताकि असम में विदेशी नागरिकों की समस्या का समाधान किया जा सके। इस अकॉर्ड के अनुसार वो तमाम लोग जो 1 जनवरी 1966 से पहले असम में आए हैं उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। लेकिन जो लोग 1 जनवरी 1966 और 24 मार्च 1971 के बीच असम में आए हैं उनके मुद्दे को फॉरेनर्स एक्ट 1946 और फॉरेनर्स ऑर्डर 1964 के तहत सुलझाया जाएगा
1971 के बाद आए लोगों के लिए प्रावधान
जो लोग 1 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1971 के बीच असम में आए हैं उनके नाम को चुनाव प्रकिया से बाहर किया जाएगा और वह अगले 10 साल तक ना सिर्फ नागरिकता से वंचित रहेंगे बल्कि उन्हें चुनावी प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही इस अकॉर्ड में उन लोगों की समस्या का समाधान किया गया जो 24 मार्च 1971 के बाद असम में आए थे। जो विदेशी असम में 25 मार्च 1971 के बाद आए हैं उनकी पहचान की जाएगी और उनके नाम को हटाया जाएगा, साथ ही ऐसे लोगों को भारत से बाहर किए जाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
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कई प्रावधान आजतक लागू नहीं
इस अकॉर्ड के साइन होने के बाद माना जा रहा था कि असम में चल रहा प्रदर्शन खत्म हो जाएगा। लेकिन आज भी इस अकॉर्ड में कई ऐसी बातें हैं जिन्हे आजतक लागू नहीं किया गया है, जिसकी वजह से यह मुद्दा आज भी लगातार पहले की तरह बना हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि सरकार ने जो एनआरसी ड्राफ्ट जारी किया है उसमे कई ऐसे नाम भी है जो कि सेना के जवान, पुलिस के अधिकारी हैं। एनआरसी में कई ऐसे नामों को भी नहीं जगह दी गई है जो सरकारी नौकरी में हैं जिसकी वजह से इसपर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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