Krishi Sinchai Yojana: क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, कैसी रही हैं इसकी उपलब्धियां?
किसानों को सिंचाई की आधुनिक और उचित सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) चल रही है। जिसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि व किसानों की आय बढ़ाना है।
भारत
के
केंद्रीय
कृषि
मंत्रालय
के
अनुसार
साल
2021-22
में
भारत
की
जीडीपी
में
कृषि
का
योगदान
18.8
प्रतिशत
है।
इसमें
कृषि
से
जुड़ी
व्यावसायिक
गतिविधियों
को
भी
शामिल
किया
जाए
तो
कृषि
की
जीडीपी
में
कुल
हिस्सेदारी
30-35
प्रतिशत
हो
जाती
है।
राष्ट्रीय
कृषि
और
ग्रामीण
विकास
बैंक
(नाबार्ड)
के
अनुसार
लगभग
10
करोड़
भारतीय
परिवार
खेती
पर
निर्भर
है।
इन
सब
आकड़ों
के
बीच
एक
विपरीत
स्थिति
भी
है।
दरअसल,
भारत
में
लगभग
55
से
60
प्रतिशत
कृषि
मानसून
पर
निर्भर
होती
थी।
मानसून
के
विलंब
होने
पर
किसानों
को
खेती
और
सिंचाई
संबंधी
अनेक
समस्याओं
का
सामना
करना
पड़ता
था।
इन्ही
समस्याओं
सहित
कृषि
उत्पादकता
में
सुधार
को
ध्यान
में
रखकर
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
ने
1
जुलाई
2015
को
प्रधानमंत्री
कृषि
सिंचाई
योजना
का
शुभारंभ
किया।
क्या है प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
खेतों
की
सिंचाई
के
लिए
प्रधानमंत्री
कृषि
सिंचाई
योजना
केंद्र
सरकार
द्वारा
भारत
के
हर
जिले
में
'हर
खेत
को
पानी'
पहुंचाने
की
एक
योजना
है।
जिसके
तहत
सरकार
किसानों
के
लिए
पानी
के
स्रोतों
का
निर्माण,
पुराने
जल
स्रोतों
की
मरम्मत,
जल
संचयन
के
साधनों
का
निर्माण
सहित
किसानों
को
खेतों
की
सिंचाई
हेतु
उपकरण
जैसे
भूमिगत
पाईप
प्रणाली,
नलकूप
व
अन्य
खरीदने
के
लिए
सब्सिड़ी
देती
है।
प्रधानमंत्री
कृषि
सिंचाई
योजना
का
काम
दो
बोर्डों
की
देखरेख
में
हो
रहा
है।
एक,
प्रधानमंत्री
की
अध्यक्षता
में
नेशनल
स्टियरिंग
कमेटी;
दूसरा,
नेशनल
एक्जिक्यूटिव
बोर्ड,
जिसके
चेयरमेन
नीति
आयोग
के
उपाध्यक्ष
है।
इस
योजना
में
केंद्र
सरकार
की
हिस्सेदारी
75
प्रतिशत
व
राज्य
सरकार
की
25
प्रतिशत
होती
है।
वहीं
पहाड़ी
क्षेत्र
के
राज्यों
में
सरकार
की
भागीदारी
90
प्रतिशत
व
केंद्र
की
10
प्रतिशत
होती
है।
पीएमकेएसवाई का बजट और किसानों की आय
योजना के प्रारंभ वर्ष 2015-16 के लिए 5300 करोड़ रुपये का व्यय किया गया था। वहीं योजना के लिए 2015-16 से 2019-20 की अवधि के लिए 50,000 करोड़ रूपये का बजट रखा गया था। 93,068 करोड़ रुपये के प्रावधान के साथ 2021-26 के लिये पीएकेएसवाई को 5 वर्षों के लिए आगे बढ़ा गया है। इस योजना से 2015-16 से जुलाई 2022 तक लगभग 58 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं।
पीएमकेएसवाई की उपलब्धियां
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 6382 परियोजनाएं शुरू की गई थी, जिनमें से 5243 परियोजनाओं के काम पूरे हो चुके हैं। वहीं प्रधानमंत्री कृषि योजना 'प्रति बूंद अधिक फसल' के तहत 32.697 हैक्टेयर क्षेत्र में खेती की गई हैं। साल 2018-19 से 2020-21 तक इस योजना के जरिये इस क्षेत्र को सूक्ष्म सिंचाई से कवर किया गया।
2019 से भूजल (पीएमकेएसवाई का उपघटक) के तहत 12 राज्यों - असम, अरूणाचल, गुजरात, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, तेलंगाना, तमिलनाडू, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के लिए 15 परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी हैं। इसी प्रकार पीएमकेएसवाई 'हर खेत को पानी' के अंतर्गत जल स्रोतों की मरम्मरत, नवीनीकरण और पुनःबहाली (Repair, Renovation & Restoration (RRR) का काम किया गया।
पीएमकेएसवाई 'हर खेत को पानी' के अंतर्गत 2018-19 में कुल 1321 योजनाओं - आंध्र प्रदेश में 604, हिमाचल प्रदेश में 4, मणिपुर में 375, मेघालय में 68, नागालैंड में 270 को शमिल किया गया। जिनमें से 77 योजनाओं का कार्य पूर्ण हो चुका है, जबकि बाकी के लिए कार्य प्रगति पर है।
2021-26 के दौरान पीएमकेएसवाई के तहत रेणुकाजी बांध जलघटक परियोजना, हिमाचल प्रदेश और लखवाड बहुउद्देशीय परियोजना, उत्तराखंड दोनों परियोजनाओं के लिए 90 प्रतिषत केंद्रीय वित्त पोषण का प्रावधान किया गया है। दोनों परियोजनाओं के माध्यम से जल संग्रहण से 6 राज्यों - दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को सीधा लाभ मिलेगा।
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