कहीं RO के नाम पर 'मीठा जहर' तो नहीं पी रहे हैं आप?
पटना (मुकुंद सिंह)। आज घरों में शुद्ध और स्वच्छ पानी के लिए RO सिस्टम का प्रयोग बहुतायत में होता है क्योंकि ऐसा लोगों को लगता है कि आरओ का पानी पूरी तरह से शुद्द होता है लेकिन हम आपको बताते चलें की RO सिस्टम का पानी जितना शुद्ध होता है उतना ही खतरनाक भी है जो सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।
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आर ओ का पानी बन जाता है 'मीठा जहर'
इसमें कहीं कोई दो राय नहीं है कि आर ओ पानी को सही तरह से शुद्ध करने का काम करता है। लेकिन यह तभी तक पानी को पूर्ण रुप से शुद्ध कर सकता है जब तक इसके पार्टस सही रहते हैं। पर जैसे ही आर ओ का फिल्टर पार्टस पुराना होता है इसकी कार्य क्षमता भी कम होती जाती है। कार्य क्षमता कम होने के कारण पानी में ना सिर्फ टीडीएस बढ़ जाता है बल्कि बैक्टीरिया का भी खतरा रहता है। तो आर ओ सिस्टम में लगे पानी की टंकी और पाइप में कचरा जमा हो जाने के कारण कुछ दिन के बाद ही संक्रमण का खतरा पैदा कर देता है।
इन बातों पर लोगों के द्वारा नहीं दिया जाता है ध्यान
जब आर ओ सिस्टम को लगाया जाता है तो उसकी समय पर सर्विसिंग कराने को लेकर लोग अधिकतर लापरवाही बरतते हैं। यूं कहें कि एक बार मशीन लगाने के बाद जब तक वह खराब नहीं होता है लोग उसे भूल जाते हैं। नतीजा यह होता है कि इस से निकलने वाले पानी का सेवन करने वाले लोग पेट व अन्य बीमारियों की गिरफ्त में जल्द ही आ जाते हैं। लेकिन लोगों का इस तरफ ध्यान नहीं जाता है। और मशीन की सर्विसिंग उसी दिन करवाई जाती है जब वह पुरी तरह से खराब हो जाता है।
तो आर ओ सिस्टम की गुणवत्ता पर भी दें ध्यान
अधिकाशंत:यह देखा जाता है कि लोग आर ओ सिस्टम लगाने के समय उसकी गुणवत्ता पर ध्यान नहीं देते हैं। और हर सिस्टम को एक ही जैसा समझने की भूल कर बैठते हैं। बाजार में बिक रहे लोकल क्वालिटी के आर ओ सिस्टम लोकल स्तर पर फिटिंग की जाती है और इस में तकनीकी जानकारों का सहारा नहीं लिया जाता है। तो इसमें फिल्टर के नाम पर कैसे पार्टस लगाए जाते हैं जो साधारण होते हैं। जिससे पानी तो फिल्टर होता है पर वह साधारण ही होता हैं। जो पानी को सामान्य रूप से फिल्टर कर देते हैं लेकिन मिनरल व अन्य उपयोगी तत्वों को ऐड नहीं कर पाते हैं। इससे पानी के सेवन से काफी नुकसान होता है।
कैसे करे पानी की शुद्धता का पहचान
- पानी में कड़वापन
- पानी का स्वाद कठोर होना
- बोतल में 2 दिन रखने के बाद पानी में पीलापन
- पानी का सामान्य दांतों में भी लगना
- पानी को उबालने पर चूना जैसा निकलना
- पानी रखने वाले जार में चुना जैसा जमना
- समस्या आने पर तत्काल टीडीएस (टोटल डिसाल्व सॉलिड )चेक कराएं
बाजार के पानी पर भरोसा करने से पहले जाने कुछ बातें...
- जार में बिकने वाले पानी से भी हो सकता है संक्रमण।
- बड़े प्लांटो में कम ही ऐसा जगह है जहां साफ सफाई का ध्यान रखा जाता है।
- दो से 4हजार लीटर के टैंक छत पर लगाया जाता है जहां से बॉटलिंग किया जाता है।
- छत पर धूल गर्दा और अन्य परेशानियों से संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
- ऐसे टैंको की हर तीन महा पर सफाई होनी चाहिए जो नहीं हो पाती है।
- स्टोर पानी को कई दिनों तक किया जाता है बाटलिंग।
- घर तक पहुंचाने वाले जारो को भी नहीं की जाती है सफाई।
- सप्ताह में एक बार छोटे जारो की होनी चाहिए साफ़-सफ़ाई।
- बैक्टीरिया मारक लिक्विड का समय समय पर करना चाहिए इस्तेमाल।
- पानी से शरीर में पहुंचते हैं बैक्टीरिया।
- पानी के माध्यम से शरीर में बैक्टीरिया पहुंचने से डायरिया होता है।
- संक्रमण से बुखार का खतरा होता है।
- पेट की गड़बड़ी जैसे भूख नहीं लगना या खाना नहीं पचना।
- लिवर में सूजन या फिर उससे संबंधित अन्य संक्रमण।
अगर आर ओ सिस्टम का 5 महीने पर नहीं की गई सर्विसिंग तो हो सकता है बीमारी का खतरा।
- हर 5 महीने पर कराएं सर्विसिंग।
- 5 महिने पर खराब हो जाते हैं एक्टस्टरनल फ़िल्टर।
- 5 महीने में अपने आप बढ़ जाता है पानी का टीडीएस।
- मेम्बरैन की प्रापर चेकिंग नहीं होने के कारण 5 माह में पानी संक्रमण उगलता है।
- मशीन के फिल्टर सिस्टम में खराबी से पानी से गायब हो जाता है मिनरल्स।
- फिल्टर के दौरान मेंब्रेन में ऑटोमेटिक मिनरल मिलाने की होती है तकनीक।
- एड नेचुरल मिनरल सिस्टम फेल होने से पानी से शरीर में मिनरल की पूर्ति नहीं होती है।
- आरो के पानी टैंक और पाइप की नियमित देखभाल व साफ सफाई करें।
- धूल मिट्टी से बचाए और पानी निकलने वाले स्थान को साफ करते रहे।
- अक्सर पानी के टैंक में मौसम के प्रभाव से फंफूदी लग जाती है।