Delhi MCD: क्या है दिल्ली म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (एमसीडी) का पूरा इतिहास, यहां जानिए पूरी कहानी
करीब 2 करोड़ लोगों के लिए काम करने वाली दिल्ली नगर निगम का चुनाव इस बार इतना खास क्यों है? कैसे तीन-तीन मेयर वाली दिल्ली का अब सिर्फ एक मेयर बनेगा? क्या है आखिर दिल्ली एमसीडी का इतिहास और वर्तमान?
Delhi MCD: बंबई नगर निगम की तर्ज पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की स्थापना की गई थी। दिल्ली नगर निगम अधिनियम विधेयक को 28 दिसंबर 1957 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी। जबकि यह संसद के एक अधिनियम के तहत 7 अप्रैल 1958 को पारित हुआ। एमसीडी को पहले डीएमसी के नाम से जाना जाता था। दिल्ली की पहली मेयर आसफ अली थी लेकिन निर्वाचित पहले मेयर त्रिलोक चंद शर्मा थे। दिल्ली एमसीडी में सबसे लंबे समय तक रहने वाले पार्षद गुरु राधा किशन थे।
कभी तीन मेयर और अब एक मेयर क्यों?
साल 2011 से पहले दिल्ली नगर निगम एक था। वहीं साल 2011 में दिल्ली नगर निगम 3 भागों में बांट दिया गया जो 2012 में लागू हुआ। तकरीबन 10 साल बाद 22 मई 2022 को तीन नगर निगम मिलाकर फिर से एक कर दिया गया। दिल्ली में पहले 272 वार्ड थे, जबकि परिसीमन के बाद 250 वार्ड हो गए हैं। जिसमें से 42 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गयी हैं।
जब यह बिल पेश किया गया था तब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि यह बिल आने से संसाधन और सहकारितावादी और सामरिक योजना की दृष्टि से एक ही निगम अगर पूरी दिल्ली की नागरिक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो बेहतर होगा। इससे सभी दिल्ली वासियों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
परिसीमन से क्या-क्या बदला?
इस साल मई में केंद्र सरकार ने उत्तरी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को मिलाकर एक कर दिया था। इसके तहत दिल्ली में तीन की जगह अब केवल एक मेयर होगा। वहीं, पहले के मुकाबले इनकी शक्तियां भी ज्यादा होंगी। अब एक ही मेयर पूरे दिल्ली की जिम्मेदारी संभालेगा। इसके अलावा परिसीमन बदलने के साथ-साथ वार्डों की संख्या भी कम कर दी गई है। पहले उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली में 104-104 पार्षद की सीटें थीं, जबकि पूर्वी दिल्ली में 64 सीटें हुआ करती थीं। पहले तीनों नगर निगम की मिलाकर कुल 272 सीटें थीं, लेकिन अब नए परिसीमन के बाद ये घटकर 250 रह गईं हैं।
बंटवारे के बाद राजस्व में नहीं हुआ सुधार
बता दें कि पूर्व सीएम शीला दीक्षित के कार्यकाल में एमसीडी को 3 भागों में बांटा गया था। जिसके पीछे तर्क ये था कि कामकाज में सुधार होगा और राजस्व में इजाफा होगा। जबकि राजस्व और कामकाज में किसी प्रकार का सुधार नहीं हुआ, उल्टे प्रशासनिक अधिकारियों और कार्यों के संचालन के मद में खर्च बढ़ गए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विभाजन के बाद तीनों नगर निगम लगातार वित्तीय संकट में फंसते चले गए। जबकि तीनों निगम एक करने से निगम को 150 करोड़ की बचत होगी।
कब और क्यों बनी एमसीडी
दिल्ली नगर निगम अर्थात एमसीडी अप्रैल 1958 में अस्तित्व में आया था। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक आजादी के एक दशक बाद 'बंबई नगर निगम' की तर्ज पर एमसीडी की स्थापना की गई थी। दिल्ली नगर निगम का गठन, डीएमसी अधिनियम-1957 के आधार पर किया गया था।
वहीं दिल्ली के नगरीय कामकाज को देखने के लिए विभिन्न निकाय और स्थानीय अधिकारी हुआ करते थे जिनमें नगरपालिका समिति, दिल्ली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, सिविल स्टेशन; अधिसूचित क्षेत्र समिति, लाल किला; नगरपालिका समिति, दिल्ली-शहादरा; नगर पालिका समिति, पश्चिमी दिल्ली; नगर पालिका समिति, दक्षिणी दिल्ली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, महरौली; अधिसूचित क्षेत्र समिति, नजफगढ़; अधिसूचित क्षेत्र समिति, नरेला।
तब अधिनियम में कहा गया कि नगरीय मामलों को देखने के कई अधिकारियों को लगना पड़ता है और पैसा खर्च होता है। इसलिए दिल्ली की नगरीय प्रशासन व्यवस्था को एक कर देना चाहिए। तभी दिल्ली के नगरीय सरकार से जुड़े कानून में संशोधन के लिए दिल्ली नगर निगम विधेयक संसद में पेश किया गया। वहीं दोनों सदनों से पारित होने के बाद 28 दिसंबर 1957 को राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी दी।
इस प्रकार दिल्ली नगर निगम 7 अप्रैल 1958 को अस्तित्व में आया। वहीं इससे पहले दिल्ली नगरीय प्रशासन प्रणाली के आधार पर चलती थी। यहां गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली नगर निगम की पहली बैठक को तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू ने संबोधित किया था। वहीं दिल्ली नगर निगम का मुख्यालय चांदनी चौक इलाके में स्थित ऐतहासिक टाउन हॉल को बनाया गया था। साथ ही 1958 में दिल्ली नगर निगम में 80 पार्षद ही हुआ करते थे, जो बाद में धीरे-धीरे बढ़कर 272 हो गए। अब परिसीमन के बाद घटकर 250 हो गए हैं।
एमसीडी से जुड़े कुछ खास फैक्ट
● दिल्ली नगर निगम करीब 2 करोड़ लोगों के लिए काम करता है, जो श्रीलंका देश की आबादी के लगभग बराबर है।
● एमसीडी दुनिया के सबसे बड़े नगर निगमों में से एक है, जिसका एरिया 1,397 वर्ग किलोमीटर है। यह भारत के 4 केंद्र शासित प्रदेश के एरिया से भी ज्यादा है।
● दिल्ली नगर निगम का 2022-23 का बजट 15,276 करोड़ रुपये है।
● दिल्ली नगर निगम के कुल 12 जोन हैं और मुख्यालय एस पी मुखर्जी सिविक सेंटर, नई दिल्ली में है।
● कांग्रेस 1998 से 2013 तक दिल्ली में सत्ता में थी, लेकिन 2007 और 2012 में एमसीडी का चुनाव बुरी तरह से हार गई थी। वहीं 2007 से लगातार बीजेपी एमसीडी चुनाव जीत रही है। हालांकि, इस दौरान बीजेपी दिल्ली में सरकार नहीं बना पाई।
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