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करोड़ों की नौकरी छोड़ बने टीचर, 190 गरीब बच्चों को पढ़ाकर दिलवाया ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थानों में दाखिला

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लंदन। कहते हैं ना इंसान की सोच हमेशा बड़ी होनी चाहिए क्योंकि एक बड़ी सोच वाला इंसान ही कुछ नया सृजन कर सकता है। अक्सर हमने शिक्षा के लिए बच्चों और उनके मां-बाप को त्याग करते देखा है लेकिन ऐसा बहुत कम सुनने को मिलता है कि कुछ नया सृजित करने के लिए एक शिक्षक ने त्याग किया हो, यहां हम बात आज के परिवेश में कर रहे हैं।

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लेकिन ऐसा हुआ है और ऐसे महान इंसान का नाम है मोहसिन इस्माइल, जो कि न्यूहैम कॉलेजिएट स्कूल के प्रिंसिपल हैं। आपको बता दें कि लंदन के पूर्वी इलाके में ब्रिटेन से आए शरणार्थी रहते हैं, जो कि बा-मुश्किल अपनी जीविका के लिए पैसे जुटा पाते हैं, इन्हीं के बच्चे न्यूहैम कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ते हैं।

स्कूल में मोहसिन इकोनॉमिक्स पढ़ाते हैं

आज से करीब तीन साल पहले ये लोग कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि उनके बच्चों को कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थानों में प्रवेश मिलेेेगा लेेकिन मोहसिन इस्माइल के प्रिसिंपल बनते ही ये असंभव काम संभव हो गया। स्कूल में मोहसिन इकोनॉमिक्स पढ़ाते हैं। वे पिछले साल प्रिंसिपल बने और पहले ही साल 95% बच्चों को कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड जैसे संस्थानों से एडमिशन के ऑफर गए। मोहसिन का मकसद ही बच्चों को इस योग्य बनाना जिससे बच्चों को उच्च शिक्षा हासिल हो सके।

मोहसिन का बचपन काफी गरीबी में बीता

आपको यकीन नहीं होगा कि मोहसिन इस्माइल तीन साल पहले वकील के तौर पर एक कंपनी में लाखों की सैलरी पा रहे थे, लेकिन अचानक नौकरी छोड़कर वो टीचर बन गए। मोहसिन के मुताबिक उनका बचपन काफी गरीबी में बीता था इसलिए उन्हें शिक्षा की अहमियत पता है और इसी कारण वे समाज से जो मिला है उसे लौटाना चाहते थे, इसलिए वो नौकरी छोड़ टीचर बने हैं।

450 करोड़ रुपए की डील छोड़ दी

मालूम हो कि 450 करोड़ रुपए की डील करने से एक दिन पहले मोहसिन ने नौकरी छोड़ टीचर बनने का फैसला किया था। यहां आपको ये भी बताते चले कि न्यूहैम स्कूलकी तफ्सिया सिकंदर को अमेरिका के एमआईटी (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में एडमिशन मिला है। उसे सालाना करीब 1.30 करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिलेगी। रहने, खाने, पढ़ने का सारा खर्च एमआईटी उठाएगा। तफ्सिया सिकंदर ने अपनी इस सफलता का पूरा श्रेय अपने प्रिसिंपल मोहसिन को दिया है।

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English summary
A headteacher who gave up his six-figure City lawyer salary for the classroom is on the brink of sending 95 per cent of his pupils to the best universities in Britain.
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