गर्भवती महिलाओं पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव- वैज्ञानिक तथ्य
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बेंगलुरु। सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण! ग्रहण का नाम सुनते किसी को चिंता हो न हो, उनकी चिंता जरूर बढ़ जाती है, जिनके घर में गर्भवती महिला हो।
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घर के लोग सबसे पहले ग्रहण का समय खोज कर गर्भवती को बताते हैं और कहते हैं- ग्रहण के वक्त कुछ करना मत, अपना ध्यान रखना, धार-दार चीजें जैसे चाकू, कैंची, आदि का प्रयोग कत करना, खट्टी चीजें मत खाना, आदि।
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लेकिन क्या ये सब बातें ढकोसला मात्र हैं, या इनके पीछे भी कोई वैज्ञानिक कारण छिपे हुए हैं। अगर ये भ्रम किसी एक धर्म से जुड़े होते, तो हम एक बार इसे मिथक कह सकते थे, लेकिन सभी धर्मों के लोग इसे मानते हैं, इसलिये कहीं न कहीं इसके पीछे वैज्ञानिक तर्क जरूर होगा। और हम उन्हीं तर्कों को आपके सामने रखने जा रहे हैं।
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किसी भी वैज्ञानिक तर्क से पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि अब तक विज्ञान में कहीं भी यह बात सिद्ध नहीं हुई है कि सूर्य या चंद्र ग्रहण गर्भवती महिला को कोई हानि पहुंचाते हैं।
ग्रहण और गर्भवावस्था से जुड़े अंधविश्वास
-
ग्रहण
के
वक्त
चाकू,
कैंची
आदि
का
प्रयोग
नहीं
करना
चाहिये,
अन्यथा
बच्चे
के
होठ
कट
जाते
हैं।
-
ग्रहण
के
वक्त
सुई
का
प्रयोग
करने
से
होने
वाले
बच्चे
के
हृदय
में
छिद्र
हो
जाता
है।
-
ग्रहण
के
वक्त
पानी
पीने
से
गर्भवती
को
डीहाइड्रेशन
हो
जाता
है।
बच्चे
की
त्वचा
सूख
जाती
है।
-
ग्रहण
को
नग्न
आंखों
से
देखने
से
गर्भ
में
पल
रहे
बच्चे
की
आंखों
पर
असर
पड़ता
है।
-
ग्रहण
के
वक्त
गर्भवती
महिला
को
घर
के
अंदर
रहना
चाहिये,
बाहर
नहीं
निकलना
चाहिये।
-
ग्रहण
के
वक्त
गर्भवती
महिला
को
सोना
नहीं
चाहिये।
बजाये
उसके
घर
के
अंदर
ऊंचे
स्वर
में
मंत्रों
का
जाप
किया
जाना
चाहिये।
- ग्रहण के बाद गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिये। अन्यथा बच्चे को बीमारी लग सकती है।
स्लाइडर में पढ़ें इन अंधविश्वासों से जुड़े वैज्ञानिक तथ्य और यह भी पढ़ें कि क्यों एक गर्भवती महिला इन बातों को मानती है?
चाकू, कैंची का प्रयोग...
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान कई स्थानों पर अंधेरा हो जाता है। धार-दार वस्तुएं गर्भवती महिला को हानि पहुंचा सकती हैं। इसीलिये इनका प्रयोग वर्जित है।
सुई का प्रयोग...
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान अंधेरे में अगर आप सुई का प्रयोग करेंगी, तो डोरा डालते वक्त आंखों पर स्ट्रेस पड़ेगा। गर्भावस्था में किसी भी प्रकार का तनाव खराब होता है। तो ग्रहण से जुड़े अंधवविश्वास को क्यों मानती हैं गर्भवती महिलाएं?
पानी नहीं पीना चाहिये...
ग्रहण के वक्त प्रकाश की किरणों में विवर्तन होता है। इस कारण कई हजार सूक्ष्म जीवणु मरते हैं और कई हजार पैदा होते हैं। इसलिये पानी दूषित हो सकता है।
नग्न आंखों से ग्रहण...
नग्न आंखों से ग्रहण नहीं देखना चाहिये। जी हां प्रकाश की किरणों में होने वाले विवर्तन का प्रभाव आंखों पर पड़ सकता है। गर्भवती की आंखे अच्छी रहनी चाहिये।
घर के अंदर रहना चाहिये...
जी हां ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर पड़ने वाली किरणों का असर बाहर ज्यादा होता है, न कि घर के अंदर। इसलिये बेहतर है गर्भवती घर के अंदर रहें।
मंत्रों का जाप
ग्रहण के वक्त पृथ्वी पर नकारात्मक ऊर्जा पड़ती है। मंत्रों के उच्चारण में उठने वाली तरंगें घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करती हैं।
ग्रहण के बाद स्नान...
स्नान कोई जरूरी नहीं, लेकिन अगर आप ग्रहण के वक्त बाहर रहे हैं, तो स्नान से विषाणुओं से दूर रह सकते हैं। वैसे भी गर्भ में पल रहा बच्चा हमेशा सेंसिटिव होता है।
फिर ये अंधविश्वास क्यों मानती हैं
उत्तर- यह मत सोचिये कि गर्भवती महिलाएं अंधविश्वासी होती हैं, या इन बातों से डरती हैं। सच तो यह है कि वो अगर 9 महीने तक गर्भ में पल रहे बच्चे की रक्षा कर सकती है, तो दो-चार घंटे के ग्रहण कौन सी बड़ी बात है।