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Amrish Puri: रिजेक्शन से लेकर सबसे महंगे विलेन बनने तक का अमरीश पुरी का शानदार सफर

12 जनवरी 2005 को अमरीश पुरी ने 72 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। वे एक दुर्लभ प्रकार के रक्त कैंसर मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम से पीड़ित थे।

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Amrish Puri: एक दौर था जब कोई भी बड़ी फिल्म बिना अमरीश पुरी के पूरी नहीं होती थी। वह जब भी पर्दे पर विलेन बनकर आते थे तो दर्शक सच में ही डर जाते थे। फिल्मी दुनिया में जो भी एक्टर कदम रखता है उसमें से ज्यादातार का सपना हीरो बनने का होता है। अमरीश पुरी भी बॉलीवुड में हीरो बनने आए थे। हीरो तो नहीं बन पाए लेकिन विलेन के तौर पर उन्होंने कामयाबी के झंडे गाड़ दिये।

भाई ने मना कर दिया था फिल्मों में लेने से

अमरीश पुरी के बड़े भाई का नाम मदन पुरी था। मदन पुरी उस समय बॉलीवुड में अच्छा खासा नाम कमा चुके थे। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि अमरीश पुरी को उनके भाई ने ही फिल्मों में लेने से मना कर दिया था। इसके बाद अमरीश पुरी ने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की थी। साल 1967 में उनकी पहली मराठी फिल्म 'शंततु! कोर्ट चालू आहे' आई थी। इस फिल्म में उन्होंने एक अंधे व्यक्ति का रोल प्ले किया था। वहीं बॉलीवुड में उन्होंने 1971 में 'रेशमा और शेरा' से डेब्यू किया था।

40 साल की उम्र में पहली फिल्म

फिल्मों में आने से पहले अमरीश पुरी बीमा कंपनी में नौकरी करते थे। अमरीश पुरी ने नौकरी के साथ ही पृथ्वी थियेटर ज्वाइन किया था। वह तो थियेटर में आने के साथ ही नौकरी छोड़ देना चाहते थे, लेकिन उनके दोस्तों ने इसके लिए मना किया। 1971 में निर्देशक सुखदेव ने जब उन्हें रेश्मा और शेरा के लिए साइन किया, तो अमरीश पुरी उस समय 40 वर्ष के हो चुके थे। 1980 में आई "हम पांच" फिल्म ने उन्हें कमर्शियल फिल्मों में भी स्थापित कर दिया।

अमरीश पुरी को मिलना था रावण का किरदार

90 के दशक में आई रामायण तो सभी ने देखी होगी। पर क्या आपको मालूम है कि रामायण में रावण का किरदार निभाने वाले अरविंद त्रिवेदी की जगह यह रोल अमरीश पुरी को मिलने वाला था। अभिनेता अरविंद त्रिवेदी तो रामायण में केवट के रोल के लिए गए थे। अरविंद त्रिवेदी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि सभी की मांग थी कि रामायण में रावण के रोल के लिए अमरीश पुरी ही पूरी तरह फिट रहेंगे। उन्होंने कहा कि जब मैं केवट का ऑडिशन देकर जा रहा था तो मेरी चाल और बॉडी लैंग्वेज देख कर रामानंद सागर ने मुझे रावण का रोल ऑफर कर दिया था।

मुंहमांगे पैसे लेते थे अमरीश पुरी

अपने दौर के सुपरहिट विलेन अमरीश पुरी की फीस भी कम नहीं होती थी। अमरीश पुरी को बॉलीवुड का अब तक का सबसे मंहगा विलेन (Most Expensive Villain Of Bollywood) माना जाता है। साथ ही अगर किसी फिल्म में उन्हें मुंहमांगे पैसे नहीं मिलते तो वो उस फिल्म को करने से साफ मना कर देते थे। मोटी फीस वसूलने के बारे में अमरीश पुरी का कहना था कि जब मैं पर्दे पर अपना काम बखूबी करता हूं तो फिर मैं फीस भी तो उसी हिसाब से ही लूंगा। कहा जाता है कि एक बार एनएन सिप्पी की एक फिल्म के लिए अमरीश पुरी ने 80 लाख रुपये मांग लिए थे। सिप्पी साहब इतने पैसे दे न सके और अमरीश पुरी ने फिल्म करने से इनकार कर दिया था।

ऐसे डायलॉग्स जिन्होंने आप कभी नहीं भूल सकते

अमरीश पुरी भले ही आज हमारे बीच में न हो लेकिन उन्होंने कभी न भूलने वाले डायलॉग्स दिए हैं। अमरीश पुरी एक ऐसे दिग्गज कलाकार थे जिन्होंने स्क्रीन पर लगभग हर तरह के किरदार निभाए थे। करन अर्जुन, मिस्टर इंडिया, फूल और कांटे जैसी अनेक फिल्मों में उनके द्वारा बोले गए डायलॉग आज भी फैंस को याद हैं। फूल और कांटे में 'जवानी में अक्सर ब्रेक फेल हो जाया करते हैं', वहीं तहलका मूवी में बोला गया उनका डायलॉग 'डोंग कभी रॉन्ग नहीं होता' कौन भूल सकता है। मिस्टर इंडिया वाला डायलॉग 'मोगैंबो खुश हुआ' आज भी जुबान पर रहता है।

शहंशाह में उनका डायलॉग 'जब मैं किसी गोरी हसीना को देखता हूं तो मेरे दिल में सैकड़ों काले कुत्ते दौड़ने लगते हैं.. तब मैं ब्लैक डॉग व्हिस्की पीता हूं' से लेकर दामिनी का कोर्ट में बोला गया डायलॉग 'ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं। यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं', आज भी कई लोग बोलते हुए दिख जाते हैं। करन अर्जुन में अमरीश पुरी ने कहा था, 'पैसों के मामले में मैं पैदाइशी कमीना हूं, दोस्ती और दुश्मनी का क्या, अपनों का खून भी पानी की तरह बहा देता हूं', जैसे कई अनगिनत डायलॉग अमरीश पुरी की याद दिलाते हैं।

अलग-अलग गेटअप में किरदार

अमरीश पुरी हर फिल्म के लिए अलग अलग गेटअप लेते थे। फिल्मों में उनके अलग-अलग गेटअप किसी को भी डराने के लिए काफी होते थे। अजूबा में वजीर-ए-आला, मि. इंडिया में मोगैंबो, नगीना में भैरोनाथ, तहलका में जनरल डोंग का गेटअप आज भी लोग भुला नहीं पाए हैं। अमरीश पुरी ने करीब 400 से ज्यादा फिल्मों में काम किया था। इनमें हिंदी के अलावा, कन्नड़, मराठी, पंजाबी, मलयालम और तमिल भाषा में फिल्में शामिल रही हैं। अमरीश पुरी ने हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया था।

विदेशों में मोला राम के नाम से मशहूर

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विदेशों में अमरीश पुरी को लोग 'मोला राम' के नाम से जानते हैं। उन्होंने 1984 में स्टीवन स्पीलबर्ग की फिल्म 'इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम' में मोला राम का किरदार निभाया था। स्पीलबर्ग हमेशा कहा करते थे कि उनके लिए अमरीश पुरी पसंदीदा विलेन थे। फिल्म 'इंडिआना जोंस एंड द टेम्पल ऑफ डूम' के लिए अमरीश पुरी ने अपने बाल शेव कराए थे। लोगों को उनका स्टाइल इतना पंसद आया था कि उस दौर में लोगों ने उन्होंने क्लीन शेव हेड की स्टाइल को फॉलो करना शुरू कर दिया था।

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English summary
amrish puri death anniversary know the journey from rejection to becoming the villain
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