बाबूजी की चुनिंदा कविताएं जो बिग-बी को बेहद पसंद हैं...
बैंगलोर। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्मदिन 11 अक्टूबर को है। अभूतपूर्व प्रतिभा के धनी अमिताभ बच्चन को साहित्य में भी काफी रूचि है।
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हिंदी हो या अंग्रेजी, भाषा पर भी उनकी पकड़ काफी अच्छी है और शायद इसी वजह से अमिताभ बच्चन केवल एक एक्टर ही नहीं बल्कि आदर्श व्यक्तित्व के रूप मेंं लोगों के बीच में अपनी पहचान रखते हैं।
जानिए अमिताभ को 'अमिताभ' नाम किसने दिया?
अमिताभ को ये गुण अपने पिता मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन से मिला है, उनके जीवन में उनके पिता का रोल क्या है, ये अक्सर उनकी बातों, उनके संस्कारों में दिखाई देता है। अमिताभ ने कई बार अपने ब्लॉग में लिखा है कि वो जब भी कमजोर पड़ते हैं या परेशान होते हैं बाबूजी की कविताएं पढ़ते हैं जो कि उन्हें आगे बढ़ने में मदद करती हैं और हौसला प्रदान करती हैं।
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अमिताभ ने एक बार एक इवेंट में कहा था.. बाबूजी की लिखी मधुशाला, मधुकलश, अग्निपथ, त्रिभंगिमा, चार खेमे चौसठ खूंटे, दो चट्टानें कविताएं उनके दिल के बेहद करीब है, वो इन्हें जब भी पढ़ते हैं तो लगता है जैसे उनके अंदर ऊर्जा का नया संचार हो गया है।
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अमिताभ को बाबूजी की अग्निपथ...कविता की जो लाइनें बेहद पसंद है वो निम्नलिखित हैं...
अमिताभ ने बयां किया महिलाओं का दर्द, जो हर पल होती हैं सेक्सिज्म की शिकार
तू
न
थकेगा
कभी,
तू
न
थमेगा
कभी,
तू
न
मुड़ेगा
कभी
कर
शपथ,
कर
शपथ,
कर
शपथ
अग्निपथ,
अग्निपथ,
अग्निपथ
अपने जीवन के मुश्किल दौर से जब बिग बी गुजर रहे थे, तो बाबूजी की इन्हीं कविताओं ने उन्हें जीने का हौसला दिया था। यही नहीं अमिताभ को अपने पिता की लिखी 'मधुशाला' की वो लाइनें भी काफी अच्छी लगती हैं जिसमें उन्होंने लिखा है..
मुसलमान
औ'
हिन्दू
है
दो,
एक,
मगर,
उनका
प्याला,
एक,
मगर,
उनका
मदिरालय,
एक,
मगर,
उनकी
हाला,
दोनों
रहते
एक
न
जब
तक
मस्जिद
मन्दिर
में
जाते,
बैर
बढ़ाते
मस्जिद
मन्दिर
मेल
कराती
मधुशाला!