तो इन मजबूरियों के चलते अमर सिंह को नहीं छोड़ सकते मुलायम?
मुलायम सिंह ने खुले आम सीएम अखिलेश यादव से कहा कि वो अमर सिंह के खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकते हैं।
लखनऊ। इस समय यूपी के सबसे बड़े राजनीतिक घराने सपा में घमासान मचा हुआ है। चाचा-भतीजे की लड़ाई के किस्सों से राजधानी के सियासी गलियारे गुलजार हैं। सीएम अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल सिंह के इस युद्द का जनक मुलायम सिंह के बेहद अजीज दोस्त अमर सिंह को बताया जा रहा है।
आखिर अमर सिंह से इतनी नफरत क्यों करते हैं अखिलेश?
लेकिन सोमवार को मुलायम का जो रूख अपने बेटे अखिलेश के लिए दिखा वो हैरतअंगेज था, पहली बार एक बाप के ऊपर एक दोस्त भारी दिखा।
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मुलायम सिंह ने खुले आम सीएम से कहा कि वो अमर सिंह के खिलाफ एक शब्द नहीं सुन सकते हैं। जिसके बाद सबके दिल और दिमाग में केवल एक ही सवाल कौंध रहा है कि आखिर मुलायम सिंह के लिए अमर सिंह इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं, जिसके आगे वो अपने चहेते बेटे की भी बात नहीं सुन रहे हैं।
तो आईये तस्वीरों के जरिए विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है इस अमर-प्रेम का राज...
मुलायम-अमर की दोस्ती
भले ही अमर सिंह ने अधिकारिक तौर पर साल 1996 में सपा की सदस्यता ग्रहण की हो लेकिन उनकी और मुलायम सिंह की दोस्ती साल 1988 में ही हो गई थी। उस समय मुलायम सियासी चालों से यूपी की राजनीति में अपने आप को लोकप्रिय नेता साबित करने में जुटे थे और उस कोशिश में अमर सिंह ने उनका भरपूर साथ दिया था।
पार्टी में जमकर आया पैसा
अमर सिंह ने अपने कनेक्शन और संबंधों के आधार पर सपा के लिए फंडिग का काम किया, अमर सिंह के ही कारण देश के बड़े उद्योगपति चाहे वो अनिल अंबानी हों, सहारा श्री सुब्रतो राय हों , मंगलम बिड़ला हों या फिर परमेश्वर गोदरेज हों, ये सभी अमर सिंह के ही माध्यम से सपा में जुटे और इस वजह से ही अमर सिंह, मुलायम के लिए बेहद खास बनते चले गए।
चमकने लगी सपा
ये वो दौर था, जब सपा के नेतागण, फिल्मी सितारों संग हर न्यूज पेपर और टीवी कार्यक्रम में दिखाई देते थे। अमर सिंह की बॉलीवुड में बहुत अच्छी पैठ है, ये तो सभी जानते हैं, लेकिन इस पैठ के जरिए सपा के मंच पर बच्चन परिवार भी दिखा और संजय दत्त भी। सपा लोकप्रिय हो रही थी और मुलायम और अमर सिंह करीब।
मुलायम के लिए बने खेवनहार
और इसके बाद वो वक्त आया...जब मुलायम सिंह बने देश के रक्षामंत्री और अमर सिंह को मिली सपा की नंबर 2 की कुर्सी, बस यहीं से अमर सिंह के लिए पार्टी में विद्रोह के अंकुर फूटे, अमर सिंह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जैसे राजबब्बर, बेनी प्रसाद वर्मा और आजम खां को साइड कर दिया और आलम ये हुआ कि ये तीनों ही पार्टी छोड़कर चले गए। मुलायम राष्ट्रीय राजनीति में व्यस्त थे और अमर सिंह लॉबिंग में लेकिन इसी बीच यूपीए की सरकार में कुछ ऐसा हुआ जिसने अमर सिंह को मुलायम का अजीज बना दिया।
ये है सबसे बड़ा कारण...
और वो था, आय से अधिक संपत्ति का मामला.. जिसमें मुलायम सिंह बुरी तरह से फंस चुके थे लेकिन अमर सिंह ने अपने गणित और समझदारी से अपने बड़े भईया मुलायम को जेल जाने से बचाया और कांग्रेस की सरकार भी सेव की। हालांकि इसके लिए वो खुद कैश फॉर वोट केस में फंस गए जिसके लिए उन्हें बाद में जेल भी जाना पड़ा लेकिन मुलायम की इज्जत को बचाने के लिए उन्होंने कोई कोर- कसर नहीं छोड़ी और इसलिए ही मुलायम को आज अपने लाल के आगे भी अमर सिंह ही दिख रहे हैं।
वोट की राजनीति!
अमर सिंह की सपा में पूरे 6 साल बाद वापसी हुई है जिसके पीछे भी कारण वोट की राजनीति ही है। इसमें कोई शक नहीं कि ठाकुर बिरादरी में आज भी अमर सिंह की तूती बोलती है और अगर ये वोट सपा के हिस्से गया तो निश्चित तौर पर आने वाले यूपी के चुनावों में ये भाजपा का समीकरण बिगाड़ सकता है। मुलायम जाति और राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं और इसी कारण उन्होंने अपने रूठे यार को मनाकर उनकी वापसी पार्टी में कराई है इसलिए आज अमर सिंह ही मुलायम के लिए बेहद खास हैं और उनके आगे अखिलेश भी सपा सुप्रीमों के लिए मायने नहीं रख रहे हैं।