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पारसी समाज से जुड़ी वो बातें जो शायद आप नहीं जानते

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[विवेक शुक्ला] टाटा, गोदरेज, वाडिया समेत तमाम नामवर पारसी उद्योगपतियों में एक समानता यह भी है कि ये सभी मुंबई में रहते हैं। पर विडंबना देखिए कि इनके या इनके पारसी समाज के वोट हासिल करने की की किसी भी दल को जरूरत महसूस नहीं हो रही आगामी विधान सभा चुनावों में। उम्मीद कम है कि कोई दल किसी पारसी को टिकट देगा। खैर चुनावी दंगल तो आज है कल थम जायेगा, पर पारसी समाज अपनी कछुए वाली चाल बरकार रखेगा।

Parsi

ऐसे में क्या आप इस धर्म के लोगों से जुड़ी कुछ खास बातें नहीं जानना चाहेंगे। तो चलिये हम आपको बताते हैं। केन्द्र सरकार ने देश में तेजी से घट रही पारसी समाज की आबादी को बढ़ाने के लिए जियो पारसी योजना शुरू की है, पर राजनीति में इन्हें कोई स्पेस देने को तैयार नहीं । सराकर की उक्त योजना के चलते पारसी समाज की पांच महिलाओं ने 'इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ)' तकनीक से गर्भधारण किया है। इससे समाज की आबादी बढ़ने का सिलसिला शुरू हुआ है।

संप्रग-2 सरकार ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की अनुशंसा पर बारहवीं पंचवर्षीय योजना में समाज की संतानहीन महिलाओं के लिए मुफ्त आईवीएफ तकनीक का प्रबंध किया है। इस तकनीक से गर्भवती हुई महिलाओं में से दो दिल्ली की हैं और तीन मुंबई की।

69 हजार हो गई आबादी

यह बात ठीक है कि देश में पारसी समाज की आबादी वर्ष 1941 में 1,14,890 थी जो घटते-घटते 2001 में 69,001 रह गई है। देश के चारों महानगरों में से सर्वाधिक पारसी आबादी मुंबई में है। इसके बाद कोलकाता ओर दिल्ली का नंबर आता है। पर इसका मतलब यह नहीं कि इन्हें राजनीतिक दल पूछे नहीं।

साल में सिर्फ 200 बच्चों का जन्म

देश के अस्पतालों में जहां हर पल सैकड़ों बच्चे पैदा होते हैं वहीं हैरान करने वाली सचाई यह है कि पारसी समाज में वर्ष 2001 के बाद से साल में 200 से ज्यादा बच्चे पैदा नहीं हुए। 2001 में एक साल में सर्वाधिक 223 बच्चे पैदा हुए थे। एक बात और सभी पारसी मालदार नहीं हैं हालांकि इस तरह से माना जाता है।

लोकसभा चुनाव के समय नरेन्द्र मोदी ने पारसी समाज के लोगों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि, "मैं अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक के भेदभाव के बगैर शत-प्रतिशत समस्त समाज को विकास में जोड़ रहा हूं। समाज के हर एक संप्रदाय, जाति और कौम के परिवारों को विकास में भागीदार बनाने से ही देश को वोट बैंक की राजनीति के विष चक्र से मुक्त कराया जा सकता है।"

अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, मध्य गुजरात, उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र-कच्छ से आए पारसी समाज के लोगों ने मोदी की नेक-नीयति, सबका साथ और सबके विकास की राजनैतिक इच्छाशक्ति और अविरत परिश्रम की प्रशंसा की थी। तो क्या उम्मीद करें कि मोदी अब यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी पारसी कोई महाराष्ट्र में भाजपा का टिकट मिले।

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English summary
Will Parsi community to get raw deal again in Maharashtra elections? Beside this question there are so many rarely known facts about Parsi religion.
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