Air Pollution Delhi: दिल्ली में कंस्ट्रक्शन पर रोक दिहाड़ी मजदूरों के लिए मुसीबत
दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में निर्माण (कंस्ट्रक्शन) और उससे जुड़ी अन्य गतिविधियों पर 29 अक्टूबर 2022 से प्रतिबंध लगा दिया है। यह निर्णय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के आधार पर लिया गया है।
क्या है वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ने एक विधेयक 30 जुलाई 2021 को लोकसभा में पेश किया था। फिर 4 अगस्त को लोकसभा और अगले दिन राज्य सभा में इसे पारित कर कानून का दर्जा दे दिया गया।
इस आयोग का उद्देश्य दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता से संबंधित समस्याओं की पहचान कर राज्यों के बीच आपसी समन्वय स्थापित करना है। साथ ही अनुसंधान के माध्यम से इस इलाके को प्रदूषण की समस्या से भी निजात दिलाना इसके कार्यों में शामिल है।
1998 में एनसीआर में स्थापित पर्यावरण प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण अथॉरिटी के स्थान पर पर इस आयोग का गठन किया गया है। आयोग से पहले दिल्ली-एनसीआर में एक प्रदूषण की रोकथाम और समन्वय के लिए एक अध्यादेश अक्टूबर 2020 से अप्रैल 2021 के दौरान जारी किया गया था। इस आयोग ने 2021 के उस अध्यादेश को भी रद्द कर दिया।
आयोग के प्रावधानों या आदेशों अथवा निर्देशों का उल्लंघन करने पर पांच वर्ष तक की कैद या एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। किसानों को इस जुर्माने के दायरे से बाहर रखा है। हालांकि, आयोग पराली जलने से होने वाले प्रदूषण पर किसानों से मुआवजा वसूल सकता है।
दिल्ली में रोकथाम की वजह?
प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तीसरे चरण के तहत प्रतिबंधों को तुरंत लागू करने के निर्देश दिए है। इन प्रतिबंधों में राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, रेलवे, सेंट्रल विस्टा और मेट्रो रेल सहित अन्य आवश्यक परियोजनाओं को छोड़कर निर्माण और विध्वंस सम्बन्धी सभी गतिविधियों पर प्रतिबंध शामिल रहेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मौसम विशेषज्ञों के अनुमान के आधार पर बताया कि "1 नवम्बर से हवा की रफ़्तार 4 से 5 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी और यह अनुमान लगाया गया है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 को पार कर सकता है।" उन्होंने आगे कहा, "हमने सभी निर्माण प्राधिकरणों - PWD, MCD, और DDA से साथ चर्चा की है और दिल्ली प्रदुषण नियंत्रण समिति ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आदेश को लागू करने का फैसला किया है।
दिल्ली सरकार ने आदेश के सख्ती से पालन और मोनिटरिंग के लिए टीमों का भी गठन किया है।
क्या राजनीति से प्रेरित है यह फैसला
दिल्ली सरकार ने संकेत देते हुए कहा है कि एनसीआर में बीएस III पेट्रोल और बीएस IV डीजल चार पहिया वाहनों और बसों के चलने पर प्रतिबंध लग सकता है।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहना है कि इस प्रकार की अधिकतर बसें दिल्ली में उत्तर प्रदेश परिवहन की चलती है। यह बसें आनंद विहार ISBT, सराय कालेखां और कश्मीरी गेट बस टर्मिनल से दिल्ली को उत्तर प्रदेश के लगभग सभी शहरों से जोड़ती है।
ध्यान
रहे
कि
दिल्ली
में
सिर्फ
उत्तर
प्रदेश
ही
नहीं
बल्कि
अन्य
राज्यों
से
भी
परिवहन
की
बसें
दिल्ली
में
आती
है.
आम
आदमी
पार्टी
सरकार
में
मंत्री
गोपाल
राय
ने
दिल्ली
में
दीनदयाल
उपाध्याय
मार्ग
स्थित
भारतीय
जनता
पार्टी
के
हेडक्वार्टर
में
चल
रहे
एक
कंस्ट्रक्शन
कार्य
को
भी
रुकवा
दिया
है।
उन्होंने
औचक
निरीक्षण
कर
आदेशों
का
हवाला
देते
हुए
बीजेपी
के
निर्माणाधीन
दफ्तर
5
लाख
का
भी
जुर्माना
लगाया
है।
इस आदेश का किस पर असर पड़ेगा
पिछले साल 2021 में दिल्ली में इसी प्रकार के प्रतिबन्ध लगाये गए थे। तब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने इस प्रतिबन्ध से प्रभावित होने वाले मजदूरों (वर्कर्स) को 5000 रूपये की आर्थिक सहायता और दिनभर मजदूरी से होने वाली आय की भरपाई का वादा किया था।
दिल्ली सरकार के अनुमान के अनुसार दिल्ली में 11 लाख मजदूर है। जिसमें से 8.5 लाख दिल्ली सरकार के दिल्ली बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड में रजिस्टर्ड है। इनमें से पहले 491,488 मजदूरों को नवम्बर 2021 में 245 करोड़ की राशि मुहैया करवाई थी। फिर मार्च 2022 में 83,000 मजदूरों को 41.9 करोड़ रूपये भेजे गए थे। इसके बाद अप्रैल 2022 में 23,256 कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के लिए 11.6 करोड़ रुपये का अनुदान जारी किया गया था।
यह राशि सिर्फ 24 नवंबर 2021 तक रजिस्टर्ड हो चुके मजदूरों को दी गयी थी। इसके अलावा आधे से अधिक रजिस्टर्ड मजदूरों को कोई लाभ नहीं मिला और जो मजदूर रजिस्टर्ड नहीं हो सके वे भी इस सहायता राशि से वंचित रहे।
वर्तमान प्रतिबंधों से भी इन रजिस्टर्ड और गैर-रजिस्टर्ड मजदूरों की दैनिक आय पर सीधा असर पड़ेगा। हालाँकि, अभी तक दिल्ली सरकार ने मजदूरों को राहत देने की दिशा में कोई योजना नहीं बनाई है।
इस आदेश का असर दिल्ली के आसपास चल रही खनन इकाईयों पर भी होगा और वहां काम करने वाले मजदूरों के सामने भी रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
दिल्ली में उत्तर प्रदेश से आने वाली बसों को भी अगर प्रतिबन्ध के दायरे में शामिल किया गया तो दिल्ली से आने-जाने वाले यात्रियों को भी भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ेगा।
दिल्ली सरकार पर कैग उठा चुकी है सवाल
दिल्ली सरकार ने पिछले साल जितने मजदूरों का हवाला देकर सहायता राशि उपलब्ध करवाई थी, उनकी संख्या पर भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट कुछ और कहती है।
दरअसल, कैग दिल्ली में मजदूरों के गलत पंजीकरण पर साल 2020 में ही सवाल उठा चुकी है। इसके अलावा, कैग ने प्रवासी और निर्माण श्रमिकों के लिए बनाए गए कोष में 3,200 करोड़ रुपये के इस्तेमाल पर भी शंका जाहिर की थी।
मार्च 2019 में खत्म हुए वित्त वर्ष की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य में श्रम विभाग के बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड ने निर्माण कार्यों में जुटे श्रमिकों की पहचान और उनको रजिस्टर करने के लिए कोई सर्वे नहीं किया।
रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, "कल्याणकारी योजनाओं के लाभ के लिए निर्माण कार्यों में जुटे मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की जरूरत होती है। हालांकि, बोर्ड ने कोई रजिस्ट्रेशन में इजाफे के लिए निर्माण कार्यों से जुड़े मजदूरों की पहचान के उद्देश्य से कोई सर्वे नहीं किया। 10 लाख अनुमानित कंस्ट्रक्शन वर्कर्स में से महज 17,339 (1.7%) ही बोर्ड के साथ जुड़े हुए हैं। इस वजह से 98 फीसदी मजदूर कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रह गए।"