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क्या होते हैं तेल के रणनीतिक भंडार

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Provided by Deutsche Welle

नई दिल्ली, 24 नवंबर। भारत सरकार ने घोषणा की है कि वो अपने रणनीतिक भंडार में से 50 लाख बैरल या करीब 80 करोड़ लीटर तेल निकालेगी. भारत के ठीक पहले अमेरिका ने इसी तरह पांच करोड़ बैरल तेल अपने रणनीतिक भंडार में से निकालने की घोषणा की थी. चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूनाइटेड किंगडम भी इसी तरह का कदम उठाने वाले हैं.

क्या होते हैं रणनीतिक भंडार

पूरी दुनिया में सरकारें और निजी कंपनियां मिल कर कच्चे तेल का एक भंडार अपने पास रखती हैं. इस भंडार को ऊर्जा संकट या तेल की सप्लाई में अल्पकालिक गड़बड़ी से निपटने के लिए रखा जाता है.

अमेरिका, चीन, जापान, भारत, यूके समेत दुनिया भर के कई देश ऐसा भंडार रखते हैं. 1973 के तेल संकट के बाद भविष्य में इस तरह के संकटों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) नाम की एक संस्था की स्थापना की गई थी.

1973 के तेल संकट के बाद तेल के रणनीतिक भंडार बनाने की शुरुआत की गई थी

इसके 30 सदस्य हैं और आठ सहयोगी सदस्य. सभी सदस्य देशों के लिए कम से कम 90 दिनों का तेल का भंडार रखना अनिवार्य है. भारत आईईए का सहयोगी सदस्य है.

कितना भंडार है भारत के पास

तेल मंत्रालय के तहत आने वाली कंपनी आईएसपीआरएल भारत में तेल के रणनीतिक भंडार का प्रबंधन करती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएसपीआरएल के पास आपात इस्तेमाल के लिए करीब 3.7 करोड़ बैरल कच्चे तेल का भंडार है.

इतना तेल कम से कम नौ दिनों तक भारत की खपत की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी है. ये भंडार आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम, कर्नाटक के मंगलौर और पदुर में जमीन के नीचे बने विशेष टैंकों में मौजूद है. ओडिशा के चंडीखोल में भी एक ऐसा ही टैंक बनाया जा रहा है.

ओपेक देश कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे हैं, जिससे दाम कम नहीं हो रहे हैं

राजस्थान के बीकानेर में भी एक और टैंक बनाने की घोषणा हो चुकी है. इस रणनीतिक भंडार के अलावा तेल कंपनियां कम से कम 64 दिनों का कच्चे तेल का भंडार अपने पास रखती हैं.

सबसे ज्यादा भंडार किस देश के पास है

वैसे तो अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार का संचालन करने वाले संगठन ओपेक के सदस्य देशों के पास सबसे ज्यादा कच्चा तेल है, लेकिन गैर ओपेक देशों में अमेरिका के पास तेल का सबसे बड़ा रणनीतिक भंडार है.

ताजा जानकारी के मुताबिक अमेरिका के पास करीब 60 करोड़ बैरल तेल का भंडार मौजूद है. 23 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इसमें से पांच करोड़ बैरल तेल निकालने का आदेश दे दिया. व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि अमेरिका के साथ ही भारत, यूके, चीन इत्यादि जैसे देश भी ऐसा की कदम उठाएंगे.

क्यों निकाला जा रहा है भंडार से तेल

इस कदम का उद्देश्य है अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में तेल की कीमतों को कम करना. तेल के दाम पिछले कई दिनों से बढ़े हुए हैं. इन्हें नीचे लाने के लिए ओपेक देशों से अनुरोध किया जा रहा था कि वो तेल का उत्पादन बढ़ाएं. उत्पादन बढ़ने से सप्लाई बढ़ जाती और दाम नीचे आ जाते.

लेकिन ओपेक देशों ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद अमेरिका और अन्य देशों ने यह कदम उठाने का फैसला किया.

हालांकि इस कदम का तुरंत तो अंतरराष्ट्रीय दामों पर असर नहीं पड़ा है. फैसले की घोषणा के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम तीन प्रतिशत और ऊपर चले गए. अब देखना यह होगा कि यह उछाल जारी रहती है या आने वाले दिनों में दाम कुछ नीचे आते हैं.

Source: DW

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English summary
explainer what are strategic oil reserves
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