Success Story: Koriya की महिलाएं बना रही झाडू, साफ कर रही आर्थिक तंगी की गंदगी, बनी आत्मनिर्भर
मनेंद्रगढ़, 02अक्टूबर। छत्तीसगड़ के नवगठित जिला मनेंद्रगढ़ में वन क्षेत्र की अधिकता है, और आजीविका के साधन सीमित हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिए लघुवनोपज आजीविका का महत्वपूर्ण माध्यम है। लेकिन अब वन से मिलने वाली विशेष प्रकार की घास से झाड़ू का बनाकर महिलाओं ने इससे अपनी आय का साधन बना लिया है। क्योंकि महिलाओं ने समूह बनाकर झाड़ू बनाने का काम शुरू किया है। आइए आपको बताते हैं कि इन महिलाओं ने किस तरह से राज्य सरकार की मदद से एक झाड़ू से ही अपने जिंदगी की आर्थिक तंगी को झाड़ दिया है।
कोरिया, मनेन्द्रगढ़ के वनों में प्रचुर मात्रा में है वनोंपज
दरअसल छत्तीसगढ़ के वनांचल क्षेत्र मनेंद्रगढ़ में प्रचुर मात्रा में लघुवनोपज जैसे माहुल पत्ता, हर्रा कचरिया, बहेड़ा, रंगीनी लाख, बेलगुदा, चिरौंजी गुठली, महुआ फूल, इमली, सालबीज उपलब्ध हो जाते हैं, इनका संग्रह ग्रामीण महिलाएं करती है। लेकिन इसके साथ यहाँ उत्तम गुणवत्ता के कांटा झाड़ू घास की भी प्रचुरता है। विकासखण्ड भरतपुर के जनकपुर की प्रगति स्व सहायता समूह की महिलाएं कांटाझाड़ू घास संग्रहण द्वारा कांटा झाड़ू निर्माण कर आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रही हैं।
महिलाओ को मिला रोजगार, बनी आत्मनिर्भर
मनेन्द्रगढ़ के जनकपुर में घरेलू कार्य करने वाली महिलाओं के लिए कांटा झाड़ू स्वरोजगार का उत्तम माध्यम बन गया है। समूह की अध्यक्ष पिंकी ने बताया कि समूह द्वारा अब तक लगभग 7 हजार 300 कांटा झाड़ू का निर्माण कर चुके हैं, जिसमें से 5 हजार 210 झाड़ू 2 लाख 13 हजार रुपए में बेचा गया है। विक्रय से महिलाओं को कुल 80 हजार 60 रूपए का शुद्ध लाभ हुआ है। महिलाएं अब पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर परिवार के पालन पोषण में अपनी सहभागिता निभा रहीं हैं।
बिहान के सहयोग से महिलाएं स्वयं बनाती है छाड़ू
इस समूह को झाड़ू निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री तार, प्लास्टिक, झाड़ू घास की आपूर्ति बिहान के सहयोग से की जाती है। निर्माण से लेकर पैकेजिंग तक का काम महिलाओं द्वारा स्वयं किया जा रहा। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा निर्धारित दर पर काटा झाड़ू की खरीदी की गई हैं। जिससे उन्हें झाड़ू की बिक्री के लिए मशक्कत नहीं करनी पड़ रही है।
महिलाएं अन्य राज्यों और सी मार्ट में बेच रही झाड़ू
महिलाओं ने झाड़ू के साथ सफाई के अन्य सामग्री का भी निर्माण का काम शुरू किया है। जिससे इनके उत्पादों की मांग बाजार में हो रही है। बने उत्पाद की बिक्री के लिए स्थानीय बाजारों में स्टाल लगाए जाएं हैं। इसके आठ थोक विक्रेताओं से सम्पर्क किया जाता है। वहीं समूह द्वारा स्थानीय बाज़ारों, सी मार्ट सहित पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी विक्रय हेतु झाड़ू भेजी जा रही है।