सड़क दुर्घटना के लिए DM और एक्सईएन को कोर्ट ने ठहराया जिम्मदार, 23 साल पुराने मामले में सुनाई ये सजा
सड़क दुर्घटना के लिए DM और एक्सईएन को कोर्ट ने ठहराया जिम्मदार, 23 साल पुराने मामले में सुनाई ये सजा
देवरिया, 07 जनवरी: खबर उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से है। यहां जिला न्यायालय ने एक 23 साल पुराने मामले फैसला सुनाया है। जिसे सुनकर आप भी कोर्ट के न्यायाल फैसले की तारीफ करेंगे। दरअसल, जिला न्यायालय ने 23 साल पुराने एक दुर्घटना के लिए डीएम और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को जिम्मेदार ठहराया है। साथ ही, हादसे में जान गंवाने वाले युवक के परिजनों को 04 लाख रुपए ब्याज सहित मुआवजा देने का आदेश दिया है।
28
साल
पुराना
है
ये
मामला
हिंदुस्तान
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
यह
मामला
31
दिसंबर
1998
का
है।
31
दिसंबर
की
रात
8
बजे
गौरीबाजार
के
आजाद
चौक
के
रहने
वाले
रविंद्र
कुमार
गुप्ता
बाइक
से
हाटा
गौरी
बाजार
मार्ग
पर
घर
आ
रहे
थे।
सड़क
के
बीच
रखे
गए
साइफन
से
टकरा
जाने
के
कारण
घटनास्थल
पर
ही
उनकी
मृत्यु
हो
गई
थी।
मृतक
की
पत्नी
विमला
गुप्ता
व
उनके
पुत्र
व
पुत्रियों
ने
डीएम
और
उत्तर
प्रदेश
लोक
निर्माण
विभाग
के
अधिशासी
अभियंता
पर
क्षतिपूर्ति
का
मुकदमा
दाखिल
किया।
2016
में
खारिज
हो
गया
था
मुकदमा
मीडिया
रिपोर्ट्स
के
मुताबिक,
सिविल
जज
की
अदालत
ने
11
जनवरी
2016
को
मुकदमा
खारिज
कर
दिया।
इसके
विरुद्ध
विमला
गुप्ता
ने
जिला
जज
के
न्यायालय
में
अपील
दायर
की।
जिला
जज
ने
पत्रावली
की
सुनवाई
करते
हुए
अपर
जिला
जज
अजय
कुमार
के
न्यायालय
में
अंतरित
कर
दी।
दोनों
पक्षों
के
तर्कों
और
साक्ष्यों
के
अवलोकन
के
बाद
अदालत
ने
पाया
कि
लोक
निर्माण
विभाग
ने
लापरवाही
व
असावधानी
बरतते
हुए
उपेक्षापूर्ण
कार्य
किया
है।
लोगों
को
मरने
के
लिए
छोड़
दिया
जहां
सड़कें
क्षतिग्रस्त
हो
गई
हों,
आम
लोगों
का
चलना
खतरनाक
हो
गया
हो,
वहां
विभाग
का
दायित्व
है
कि
लैंपपोस्ट
व
आवश्यक
सूचना
बोर्ड
लगाए।
लेकिन
विभाग
ने
ऐसा
नहीं
किया।
इतना
ही
नहीं
क्षतिग्रस्त
सड़क
पर
साइफन
रखकर
लोगों
को
मरने
के
लिए
छोड़
दिया।
राज्य
सरकार
ने
सुरक्षा
एवं
सतर्कता
के
अपने
दायित्व
का
निर्वहन
नहीं
किया
है।
इससे
34
वर्षीय
युवक
की
असमय
मृत्यु
हो
गई।
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ब्याज
के
साथ
मुआवजा
दें
कोर्ट
ने
इस
मामले
में
राज्य
सरकार
के
कलक्टर
व
लोक
निर्माण
विभाग
के
अधिशासी
अभियंता
को
उत्तरदाई
ठहराया
जाता
है।
अदालत
ने
दोनों
अधिकारियों
को
मुकदमा
दाखिल
करने
की
तिथि
से
7
ब्याज
के
साथ
चार
लाख
की
क्षतिपूर्ति
एक
माह
के
अंदर
मृतक
के
परिजनों
को
देने
का
आदेश
दिया
है।