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कौन हैं 94 साल की भगवानी देवी? पहले फिनलैंड में 3-3 मेडल जीते, फिर भारत आकर जमकर नाचीं

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नई दिल्ली। भगवानी देवी डागर। यह नाम अब आप कहीं न कहीं जरूर सुन रहे होंगे। सोशल मीडिया पर कुछ चलचित्र भी देखे होंगे। बहुत से लोगों की जुबां से नाम की तारीफ निकल रही है। बता दें कि, भगवानी देवी दिल्ली के नजफगढ़ में रहती हैं। वह 94 साल की वो वृद्धा हैं, जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में 3-3 मेडल जीतकर नाम रोशन कर दिया। यूरोप के फिनलैंड में उन्होंने एथलेटिक्स में गोल्ड जीता। फिर भारत लौटीं तो दिल्ली में जमकर नाचीं भी।

जानिए कौन हैं भगवानी देवी डागर

जानिए कौन हैं भगवानी देवी डागर

यहां आज हम आपको इन्हीं भगवानी देवी के बारे में बताएंगे। कहा जाता है कि, उन्हें एथिलेटिक्स के लिए अपने पोते से प्रेरणा मिली। उनका भरा-पूरा कुनबा है, जिसमें सभी लोगों को खेल-कूद पसंद है। उनके पोते 38 वर्षीय विकास डागर ने उनकी निजी जिंदगी के बारे में कई बातें शेयर कीं। विकास ने कहा कि, "मेरे दादाजी लगभग 63 साल पहले गुजर गए थे। दादी ने अपने बेटे की अकेले पर​वरिश की। जिसका नाम उन्होंने हवा सिंह डागर रखा। हवा सिंह मेरे पिता हैं।"

पोते विकास ने बताई दादी की कहानी

पोते विकास ने बताई दादी की कहानी

दादी भगवानी सिंह के स्ट्रगल का जिक्र करते हुए पोते विकास ने कहा, "मेरी दादी का जीवन संघर्ष भरा रहा है, लेकिन उन्होंने मुश्किलों में भी हिम्मत नहीं हारी।"
उनके एक पड़ोसी ने बताया कि, भगवानी ने अपने 38 साल के पोते विकास डागर, जो कि पैरा एथलीट हैं, के साथ अभ्यास करना शुरू किया था। विकास ने पहले उन्हें शॉट पुट दी। हालांकि उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही। अगली सुबह उन्होंने फिर गेंद मांगी। तब भगवानी ने उसे कहा कि, मैं लोहे की गेंद फेंकना (गोला फेंक) चाहती हूं।'

कबड्‌डी की भी शौकीन रहीं, जीते ढ़ेरों मेडल

कबड्‌डी की भी शौकीन रहीं, जीते ढ़ेरों मेडल

दादी के कहेनुसार पोता विकास उन्हें काकरोला स्टेडियम ले गया, यह देखने कि वे कितना फेंक लेती हैं। स्टेडियम पहुंचने पर भगवानी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनमें गजब का स्टैमिना आ गया। 4 महीने बाद उन्होंने दिल्ली स्टेट मास्टर्स चैंपियनशिप में 3 गोल्ड जीते। 1 और 2 अप्रैल को हुए इवेंट में उन्होंने स्प्रिंट, शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में मेडल जीता। फिर 26 अप्रैल से 2 मई तक चले नेशनल मास्टर्स चैंपियनशिप में भी उन्होंने 3 मेडल जीते।

2-3 दिन एक घंटे तक करती हैं प्रैक्टिस

2-3 दिन एक घंटे तक करती हैं प्रैक्टिस

भगवानी मूलत: हरियाणा की रहने वाली हैं और बाद में दिल्ली में बसीं। उनके पोते के मुताबिक, वह शिक्षित हैं। उन्होंने 5वीं क्लास तक पढ़ाई की थी। एथलेटिक्स की नामचीन खिलाड़ी बनने से पहले वह कबड्‌डी में भी हाथ आजमा चुकी थीं। अब वह हफ्ते में 2 से 3 दिन एक घंटे तक प्रैक्टिस करती हैं।

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उम्र के हिसाब से इतना कुछ काफी है

उम्र के हिसाब से इतना कुछ काफी है

दादी की उपलब्धि एवं उनके द्वारा किए जाने वाले शारीरिक श्रम को लेकर पोते विकास कहते हैं कि, दादीजी की उम्र के हिसाब से मुझे लगता है कि उनके लिए इतना कुछ पर्याप्त है। बकौल विकास, "मैं राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका हूं। अब मेरी इच्छा है कि, सरकार दादी को भी सम्मानित करे। लोगों से हमें खूब प्यार मिल रहा है।'

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आखिर क्या-क्या खाती-पीती हैं?

आखिर क्या-क्या खाती-पीती हैं?

यह दादी केवल घर का बना खाना ही खाती हैं। कहती हैं कि मैं देसी खाना खाती हूं। मुझे दूध, दाल-चपाती व सब्जियां पसंद हैं। वह कहती हैं कि, 'अब मैं वर्ल्ड मास्टर्स एथलेटिक्स इंडोर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना चाहती हूं। यह इवेंट अगले साल पाेलैंड में होगा।'

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ऐसा है भगवानी देवी का परिवार

ऐसा है भगवानी देवी का परिवार

भगवानी देवी के परिवार में उनके बेटे हवा सिंह डागर पुत्रवधू सुनीता, पोता विकास डागर, विनीत डागर नीतू डागर और पड-पोते निकुंज डागर डागर और विश्वेंद्र हैं। उनकी दो पुत्रवधू सरिता डागर और ज्योति डागर हैं।

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English summary
Know about Bhagwani devi Dagar, An 94 yrs Old athlete Inspired by grandson, known As Najafgarh Dadi
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