ट्रैक्टर रैली से पहले आज दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर रिहर्सल कर रहे किसान, राकेश टिकैत बोले- तैयार हैं
नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में महीनों से जारी किसान संगठनों के विरोध-प्रदर्शन को एक बार फिर ट्रैक्टर रैली के जरिए दमखम देने की तैयारी हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा एवं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बैनर तले हजारों किसान आज बैठक कर रहे हैं और ट्रैक्टर रैली को लेकर रिहर्सल की भी खबर आई है। ट्रैक्टर रैली के बारे में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया कि, 26 जून को 4 लाख से ज्यादा ट्रैक्टरों के साथ लाखों किसान सरकार को दम दिखाएंगे। वे चाहते हैं कि, कृषि कानून रद्द हों।
बिल वापसी ही हमारी घर वापसी: राकेश टिकैत
राकेश टिकैत ने अभी कहा कि, "कल की ट्रैक्टर रैली से पहले दिल्ली-गाजीपुर बॉर्डर पर तैयारियां चल रही हैं। आज रैली में शामिल होने वाले लोग इकट्ठा हो रहे हैं। हमारी बैठक होगी, जिसमें रणनीति तैयार होगी। वैसे लाखों किसान अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हैं। जैसे ही उद्घोष होगा, किसान दिल्ली में ठियां जमा देंगे।" टिकैत ने सरकार को चेतावनी दी। कहा कि, 25 लाख किसान यही हैं और 26 तारीख भी हर महीने आती है...तो ये सरकार याद रख ले! बिल वापसी ही हमारी घर वापसी होगी।"
इस सरकार को अब इलाज की जरूरत है
गौरतलब हो कि, किसान संगठनों ने विवादास्पद कृषि कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार को अल्टीमेटम जारी किया था। हालांकि, सरकार ने उस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। जिसके बाद राकेश टिकैत ने आवाह्न करते हुए कहा, "यह सरकार मानने वाली नहीं। इसे इलाज की जरूरत है। किसानों...अपने ट्रैक्टरों के साथ तैयार हो जाओ, हमें अपनी जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा।"
टिकैत बोले- सरकार गलतफहमी में न रहे
किसान नेता ने पिछले दिनों कहा कि, केंद्र सरकार को अपनी 'गलतफहमी' से छुटकारा पाना चाहिए कि किसान अपने विरोध प्रदर्शन से पीछे हट जाएंगे, क्योंकि हम ऐसा नहीं करेंगे।" राकेश टिकैत ने किसानों से एकजुट होने के लिए आवाह्न किया और कहा, "या तो किसान और जनता रहेगी या यह सरकार। किसानों की आवाज को झूठे मामलों से नहीं दबाया जा सकता है।"
दिल्ली के सीमावर्ती स्थलों पर जमे हैं प्रदर्शनकारी
बता दिया जाए कि, किसानों का आंदोलन अभी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती स्थलों पर ही चल रहा है। किसान प्रदर्शनकारी तीन कृषि कानूनों को निरस्त कराने की मांग पर अड़े हैं। इसी तरह इस आंदोलन शुरू हुए 200 से अधिक दिन बीत चुके हैं। उन्होंने मांग की है कि तीन कानून - किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम , 2020 को वापस लिया जाए और फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए एक नया कानून बनाया जाए।