गाजीपुर बॉर्डर: किसान बोले- हमारी वजह से कोरोना नहीं फैल रहा, सरकार इसी पैंतरे से आंदोलन खत्म करने पर आमादा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन को कई महीने हो गए हैं। न तो प्रदर्शनकारी दिल्ली की सीमाओं से हटने को तैयार हैं और न ही सरकार उनकी मांगों पर राजी है। सरकार चाहती है कि, यह विरोध प्रदर्शन खत्म हो जाए, वहीं प्रदर्शकारियों का कहना है कि आंदोलन चलता रहेगा। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आज कहा, "सरकार आंदोलन को खत्म करने के लिए कोरोना का मुद्दा उठा रही है। कहा जा रहा है कि दिल्ली में कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं। ऐसे में यहां भीड़ एकत्रित न हो। मगर, हम कह रहे हैं कि कोरोना हमारी वजह से नहीं फैल रहा।"
कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे एक बुजुर्ग प्रदर्शनकारी बोले, "सरकार कोरोना के पैंतरे से आंदोलन को खत्म करना चाहती है। कोरोना हमारी वजह से नहीं, नेताओं की रैली, बड़े-बड़े आयोजनों से फैलता है। बीजेपी के नेता चाहे जहां भीड़ जुटा रहे हैं। हम किसान तो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारी वजह से कोरोना नहीं फैल रहा।"
गौरतलब है कि, दिल्ली के सीमाई इलाकों यानी कि यूपी और हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के धरना-प्रदर्शन जारी हैं। किसानों का आंदोलन नवंबर के आखिरी हफ्ते में शुरू हुआ था। 100 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही।
इन दिनों धरना-प्रदर्शन में जुटने वाले लोगों के लिए खाने-पानी का इंतजाम भी बराबर हो रहा है। विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने आ रहे लोग भूखे न रहें, इसलिए कई सिख संस्थाएं, गुरुद्वारे और कृषि-व्यापारी खाने की व्यवस्था कर रहे हैं। पंजाब से लेकर हरियाणा और दिल्ली तक पूड़ी-सब्जी, दूध व राशन की सप्लाई की तस्वीरें सामने आ रही हैं। फतेहाबाद के गांव बाड़ा के गुरुद्वारा ने किया, उसे जानकर आंदोलन में हिस्सा लेने वाले लोगों ने बहुत प्रशंसा की। जहां देसी घी के पकवान बनाए गए थे।
पकवान तैयार कराने वाले बलबीर सिंह, गुरप्यार सिंह व धर्मपाल सिंह ने कहा कि, कई क्विंटल जलेबी के साथ भुजिया, ड्राईफूड यहां से किसान भाइयों के लिए भेजे जा चुके हैं। कई गांवों से राशन व दूध आता है।
सरकार से बातचीत के दिन लंच ब्रेक हुआ तो किसानों ने अपने साथ लाया खाना ही खाया, बोले- हम खुद लाए हैं